कॉन्ग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गाँधी, पूर्व अध्यक्ष राहुल गाँधी और पार्टी महासचिव प्रियंका गाँधी को भी अब विमान से यात्रा करने के लिए आम हवाई यात्री की तरह एयरपोर्ट की सुरक्षा प्रक्रिया से गुजरना होगा। अब उन्हें भी कतार में खड़े होकर अपनी बारी का इंतजार करना होगा। इससे पहले, इन तीनों को सुरक्षा जाँच को दरकिनार करते हुए एयरक्राफ्ट के बोर्डिंग तक कार से जाने की अनुमति प्राप्त थी।
बता दें कि नवंबर में ही मोदी सरकार ने सोनिया गाँधी, उनके बेटे, वायनाड सांसद और कॉन्ग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गाँधी व प्रियंका गाँधी को मिला हुआ एसपीजी सुरक्षा कवच हटाने का निर्णय लिया था। अब उनकी सुरक्षा का स्तर घटा कर ज़ेड प्लस कर दिया गया है। यानी इनकी सुरक्षा अर्द्धसैनिक बल सीआरपीएफ (सेंट्रल रिज़र्व पुलिस फ़ोर्स) की ज़िम्मेदारी है। सोमवार (11 नवंबर, 2019 को) को सीआरपीएफ़ ने एसपीजी जवानों से तीनों की सुरक्षा के संबंध में जानकारी ली थी। फिलहाल एसपीजी सीआरपीएफ़ के सहायक की भूमिका में है।
जानकारी के मुताबिक एसपीजी कवर वापस लेते ही विशेषाधिकारों को समाप्त हो जाना चाहिए था। हालाँकि एयरपोर्ट ऑथोरिटी ऑफ इंडिया और ब्यूरो ऑफ सिविल एविएशन सेक्योरिटी ने अनौपचारिक रूप से गाँधी परिवार को ये सुविधा इस्तेमाल करने दिया था। लेकिन हाल ही में उनकी कार एयरपोर्ट के एक अन्य कार से टकरा गई। जिसके बाद एयरपोर्ट के सुरक्षा अधिकारियों ने FIR दर्ज करने की धमकी दी है।
इस हाई प्रोफाइल मामले को CRPF की मदद से सँभाल लिया गया। लेकिन नागरिक उड्डयन सुरक्षा ब्यूरो की तरफ से कहा गया कि आगे से इस तरह की घटनाएँ न हों और वो अपनी विशेष सुरक्षा के दायरे में रहें। अब अगर गृह मंत्रालय नागरिक उड्डयन सुरक्षा ब्यूरो के प्रस्ताव को स्वीकार करता है, तो गाँधी को हवाई अड्डे की सुरक्षा से गुजरना होगा और घरेलू या अंतरराष्ट्रीय उड़ानों में सवार होने के लिए अन्य यात्रियों के साथ कतार में खड़ा होना होगा।
उल्लेखनीय है कि एसपीजी सुरक्षा व्यवस्था वापस लिए जाने के विरोध में कॉन्ग्रेस सदस्यों ने लोकसभा में जमकर हंगामा किया था। लोकसभा में कॉन्ग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा था, “सोनिया गाँधी और राहुल गाँधी सुरक्षा पाने वाले मामूली लोग नहीं हैं। वाजपेयी जी ने गाँधी परिवार को एसपीजी सुरक्षा दी थी। 1991 से अब तक एनडीए दो बार सत्ता में आई, लेकिन उनकी एसपीजी सुरक्षा कभी नहीं हटाई गई।”
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