Sunday, December 22, 2024
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‘पीएम मोदी से राहुल गाँधी ज्यादा पॉपुलर!’: कॉन्ग्रेस ने संसद में भाषण के फर्जी आँकड़ों का रचा मायाजाल, सोशल मीडिया को आधार बना बोला झूठ

हमेशा की तरह इस बार भी कॉन्ग्रेस पार्टी को हार में भी जीत नजर आ रही है। इस बार नैतिक जीत नहीं तो सोशल मीडिया की जीत है, भले ही वह झूठे आँकड़ों का इस्तेमाल करके दिखाया गया हो।

चुनाव हारने के बाद कॉन्ग्रेस अक्सर ‘नैतिक जीत’ की बात करती है। इसी तरह का दावा एक बार फिर उसने ‘सोशल मीडिया जीत’ को लेकर करना शुरू कर दिया है। रविवार यानी 13 अगस्त 2023 को पार्टी ने अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल पर कुछ नंबर पोस्ट कर दावा किया गया कि अविश्वास प्रस्ताव के दौरान लोकसभा में राहुल गाँधी के भाषण देखने वालों की संख्या प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भाषण देखने वालों से कहीं ज्यादा थी।

इस दावे के लिए कॉन्ग्रेस ने 4 अलग-अलग प्लेटफार्म- संसद टीवी, यूट्यूब, एक्स (ट्विटर) और फेसबुक के नंबर दिए। कॉन्ग्रेस ने दावा किया कि चारों प्लेटफॉर्म पर राहुल गाँधी के भाषण को देखने वालों की संख्या क्रमश: 3.5 लाख, 26 लाख, 23 हजार और 73 लाख थी, जबकि नरेंद्र मोदी के भाषण देखने वालों की संख्या क्रमश: 2.3 लाख, 6.50 लाख, 22 हजार और 11 हजार थी।

हालाँकि, ये नंबर पूरी तरह से फर्जी हैं और इनमें से कुछ नंबरों का कोई अर्थ भी नहीं है। कॉन्ग्रेस ने संसद टीवी और यूट्यूब का अलग-अलग उल्लेख किया है, लेकिन तथ्य यह है कि संसद टीवी अपने यूट्यूब चैनल का उपयोग केवल कार्यवाही का लाइव स्ट्रीम करने के लिए करता है। संसद टीवी की वेबसाइट सिर्फ लाइव स्ट्रीम सहित अपने चैनल से YouTube वीडियो को एम्बेड करती है।

संसद टीवी के यूट्यूब चैनल पर राहुल गाँधी के भाषण को 3.55 लाख बार देखा गया, जबकि पीएम नरेंद्र मोदी के भाषण को 2.66 लाख बार देखा गया। गौरतलब है कि राहुल गाँधी ने 9 अगस्त 2023 को लोकसभा को संबोधित किया था, जबकि पीएम का भाषण ध्वनि मत से अविश्वास प्रस्ताव गिरने से पहले 10 अगस्त की शाम को प्रसारित था। यूट्यूब पर राहुल गाँधी का भाषण ज्यादा देर तक रहा। ऐसे में उसे ज्यादा देखा जाना स्वाभाविक है।

भाषणों के वीडियो दोनों राजनेताओं के संबंधित यूट्यूब चैनलों पर भी हैं और ये कॉन्ग्रेस द्वारा उल्लेखित संख्या से मेल नहीं खाते। राहुल गाँधी के यूट्यूब पेज पर उनके भाषण के लाइव-स्ट्रीम किए गए वीडियो को 6.70 लाख बार देखा गया है, जबकि पीएम नरेंद्र मोदी के पेज पर उनके भाषण के लाइव-स्ट्रीम किए गए वीडियो को 18 लाख से अधिक बार देखा गया है।

इसलिए, राहुल गाँधी के संबंधित यूट्यूब चैनल पर उनके भाषण की लाइव स्ट्रीम के व्यूज की तुलना करने पर नरेंद्र मोदी के भाषण के व्यूज कहीं अधिक हैं, यानी राहुल गाँधी के भाषण के व्यूज से लगभग तीन गुना। कॉन्ग्रेस पार्टी यहाँ बिल्कुल फर्जी दावा कर रही है।

गौरतलब है कि लाइव स्ट्रीम के अलावा राहुल गाँधी के यूट्यूब चैनल ने बाद में अलग से वीडियो अपलोड किया और इसे 21 लाख बार देखा गया। वीडियो को कुछ संपादन करने के बाद अपलोड किया गया था और इसे लाइव स्ट्रीम की तुलना में बहुत अधिक दर्शक मिले। शायद इसलिए कि इसे खूब प्रचारित किया गया था।

राहुल गाँधी के यूट्यूब चैनल का स्क्रीनशॉट

सच्चाई ये है कि राहुल गाँधी के चैनल के इस नंबर की तुलना पीएम नरेंद्र मोदी के भाषण के व्यूज से नहीं की जा सकती, क्योंकि वह एक लाइव स्ट्रीम है। इधर, पीएम मोदी के चैनल ने वीडियो को अलग से अपलोड नहीं किया, जैसा कि राहुल गाँधी के चैनल ने किया है। दोनों की लाइव स्ट्रीम की तुलना करें तो पीएम मोदी के भाषण पर ज्यादा व्यूज हैं।

कॉन्ग्रेस ने ट्विटर पर राहुल गाँधी के लिए 23,000 व्यूज और नरेंद्र मोदी के लिए 22,000 व्यूज का दावा किया है, लेकिन ये नहीं बताया है कि ये नंबर किस अकाउंट से लिए गए हैं। अगर हम मान लें कि ये नंबर राहुल गाँधी और पीएम नरेंद्र मोदी के ट्विटर अकाउंट से हैं तो दावा किए गए नंबर बिल्कुल मेल नहीं खाते। राहुल गाँधी के भाषण की लाइव स्ट्रीम वाले ट्वीट को 14 लाख बार देखा गया है। साथ ही 13.5 लाख रीपोस्ट (रीट्वीट), 511 कोट, 37.7 लाख लाइक और 201 बुकमार्क हैं।

वहीं, पीएम मोदी के एक्स (ट्विटर) अकाउंट पर पोस्ट किए गए उनके भाषण को 25 लाख बार देखा गया, 16.3 हजार रीपोस्ट, 853 कोट, 51.7 हजार लाइक और 363 बुकमार्क हैं। स्पष्ट रूप से, ट्विटर पर नरेंद्र मोदी का भाषण देखने वालों की संख्या राहुल गाँधी के भाषण से अधिक है, भले ही पीएम का भाषण राहुल गाँधी के भाषण के एक दिन बाद आया था।

फेसबुक के लिए कॉन्ग्रेस ने दावा किया कि राहुल गाँधी के भाषण को 73 लाख बार देखा गया, जबकि नरेंद्र मोदी के भाषण को केवल 11,000 बार देखा गया। यह एक और सरासर गलत दावा है, क्योंकि नरेंद्र मोदी के आधिकारिक फेसबुक पेज पर उनके भाषण को 64 लाख बार देखा गया है। वहीं, राहुल गाँधी के फेसबुक पेज पर उनके भाषण को देखने वालों की संख्या करीब 80 लाख है।

इस तरह कॉन्ग्रेस द्वारा फेसबुक पर नरेंद्र मोदी के भाषण के व्यूज 11 हजार होने का दावा पूरी तरह से फर्जी है। इस तरह स्पष्ट है कि कॉन्ग्रेस ने ट्विटर और फेसबुक पर पीएम मोदी के भाषण को देखने वालों के लिए गलत आँकड़ों का इस्तेमाल किया है, क्योंकि वास्तविक संख्या उसके दावे से कहीं अधिक है। इसी तरह यूट्यूब के लिए निष्कर्ष पर पहुँचने के लिए गलत चैनलों की तुलना भी की।

व्यूज बनाम लोकप्रियता

फर्जी आँकड़ों का उपयोग करके कॉन्ग्रेस यह दिखाने की कोशिश कर रही है कि ऑनलाइन स्ट्रीम के दर्शकों के बीच राहुल गाँधी पीएम मोदी से अधिक लोकप्रिय हैं। हालाँकि, सच ये है कि अविश्वास प्रस्ताव जैसे महत्वपूर्ण मौकों पर भाषणों को बड़ी संख्या में लोग देखते हैं और यह किसी भी तरह से लोकप्रियता का परिचायक नहीं है। भारतीय जैसे-जैसे राजनीतिक रूप से अधिक जागरूक हो रहे हैं, वे टीवी और इंटरनेट पर संसदीय कार्यवाही अधिक संख्या में देख रहे हैं।

यह भी तथ्य है कि राहुल गाँधी के भाषण को बड़ी संख्या में लोगों ने देखा, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि वे अधिक लोकप्रिय हैं। यह भी उल्लेखनीय है कि भाजपा समर्थकों और दक्षिणपंथी सोशल मीडिया उपयोगकर्ताओं का एक बड़ा वर्ग राहुल गाँधी के भाषणों को उत्सुकता से देखता है। वे ऐसा राहुल गाँधी के दावों और आरोपों का प्रतिकार करने, तथ्यों की जाँच करने या उनकी गलतियों को पकड़ने के लिए करते हैं, ताकि उनका मजाक उड़ा सकें।

लोकसभा में अपनी बहाली के बाद राहुल गाँधी का यह पहला भाषण था। इसलिए उनके भाषण में लोगों की उत्सुकता अधिक थी। दूसरी ओर, वामपंथी अपनी अलग दुनिया में रहने में विश्वास करते हैं। इसलिए इस बात की बहुत अधिक संभावना है कि उनमें से अधिकांश लोगों ने पीएम मोदी का भाषण नहीं देखा होगा। फिर भी, पीएम मोदी की सोशल मीडिया पहुँच राहुल गाँधी की तुलना में बहुत अधिक है।

भले ही संसद में राहुल गाँधी के भाषण को पीएम मोदी के भाषण से ज्यादा ऑनलाइन देखा गया हो, लेकिन तथ्य यह है कि कॉन्ग्रेस का अविश्वास प्रस्ताव गिर गया था। प्रधानमंत्री के भाषण के दौरान विपक्षी सांसद वॉकआउट कर गए थे, क्योंकि वे जानते थे कि प्रस्ताव को मतदान के लिए रखने का मतलब नए नामित I.N.D.I.A. गठबंधन के लिए शर्मिंदगी होगी।

हालाँकि, हमेशा की तरह इस बार भी कॉन्ग्रेस पार्टी को हार में भी जीत नजर आ रही है। इस बार नैतिक जीत नहीं तो सोशल मीडिया की जीत है, भले ही वह झूठे आँकड़ों का इस्तेमाल करके दिखाया गया हो।

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Raju Das
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Corporate Dropout, Freelance Translator

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