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Monday, April 14, 2025
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पहले अंबेडकर पर बोलने को बुलाया, फिर लेडी श्रीराम कॉलेज ने मना कर दिया: दलित विचारक गुरु प्रकाश को BJP से जुड़े होने की मिली ‘सजा’

दिल्ली के प्रतिष्ठित लेडी श्रीराम कॉलेज फॉर वीमेन में एक दलित विद्वान को बोलने से रोकना स्पष्ट रूप से बताता है कि वामपंथी अपने संकीर्ण राजनीति एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए दलितों की आवाज दबाने में कैसे कामयाब रहे हैं।

प्रख्यात दलित विचारक और भाजपा (BJP) के राष्ट्रीय प्रवक्ता गुरु प्रकाश पासवान (Guru Prakash Paswan) को अम्बेडकर जयंती के अवसर पर दिल्ली के लेडी श्रीराम कॉलेज फॉर वीमेन (LSR) में व्याख्यान देने से रोक दिया गया। ऑनलाइन कार्यक्रम का आयोजन कॉलेज के एससी-एसटी सेल द्वारा किया गया था और गुरु प्रकाश 14 अप्रैल को गूगल मीट के जरिए अपनी बात रखने वाले थे।

गुरु प्रकाश भाजपा के प्रवक्ता होने के साथ-साथ पटना विश्वविद्यालय में कानून के सहायक प्रोफेसर और दलित इंडियन चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (DICCI) के सलाहकार भी हैं। उन्होंने सुदर्शन रामबद्रन के साथ मेकर्स ऑफ द मॉडर्न दलित हिस्ट्री नामक पुस्तक का लेखन भी किया है। उन्होंने अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर इस संबंध में जानकारी दी है।

गुरु प्रकाश ‘संविधान से परे अम्बेडकर’ (Ambedkar beyond Constitution) पर व्याख्यान देने वाले थे। उन्हें बुधवार (13 अप्रैल 2022) को सुबह बताया गया कि उनका व्याख्यान उनके राजनीतिक जुड़ाव के कारण रद्द कर दिया गया है। बता दें कि भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता के रूप में पासवान कई राष्ट्रीय मंचों पर दलितों से संबंधित मुद्दों को उठाते रहे हैं। हालाँकि उनका भाजपा के साथ जुड़ाव वामपंथी वर्चस्ववादी कॉलेज में उन्हें व्याख्यान देने से रोकने के लिए पर्याप्त कारण था।

पासवान ने लिखा, “कोई संस्था ईको चैंबर नहीं हो सकती। एक टीचिंग फैकल्टी के रूप में यह मुझे और भी अधिक दुखी करता है, जब छात्र अपने ज्ञान आदि की सीमाओं को बंद कर लेते हैं! बाबा साहेब अम्बेडकर ने कहा था कि ज्ञान की साधना मानव अस्तित्व का अंतिम उद्देश्य होना चाहिए। मैं एक ऐसी संस्कृति से आता हूँ, जो ‘आ नो भद्राः क्रतवो यन्तु विश्वतः’ अर्थात ‘मेरे पास हर तरफ से अच्छे विचार आने दें’ में विश्वास करती है। दुख की बात है कि आज हम जो देखते हैं वह दोहरा है, जो दूसरे की दृष्टिकोण को जाने बिना अपना विचार उस पर थोप देता है।”

उन्होंने आगे कहा, “बहस और चर्चा लोकतंत्र का सार है। ऐसे समय में जब हम अपनी स्वतंत्रता के 75 वर्ष मना रहे हैं, एक बात जो हमें अपने संविधान निर्माताओं से सीखनी चाहिए, वह है उनकी सुनने, आत्मसात करने और अन्य दृष्टिकोणों का सम्मान करने की क्षमता। बाबासाहेब ने उन मूल्यों का प्रतिनिधित्व किया!”

प्रोफेसर पासवान ने एक अर्थशास्त्री, राजनयिक और एक शिक्षाविद् के रूप में बाबा साहेब अम्बेडकर के योगदान पर अपना प्रेजेंटेशन तैयार कर लिया था। उनकी आवाज को रोकना दलितों की आवाज को दबाने और समुदाय से आने वाली विविध अभिव्यक्तियों को समृद्ध होने से रोकने का एक पुराना तरीका है।

न्यूज एजेंसी एएनआई से बात करते हुए गुरु प्रकाश पासवान ने कहा, “मुझे LSR कॉलेज ने अम्बेडकर जंयती के कार्यक्रम के लिए आमंत्रित किया था, लेकिन बाद में सूचित किया गया कि एक छात्र संघ के विरोध के कारण इसे रद्द कर दिया गया। यह असहिष्णुता का प्रतीक है।

भाजपा के प्रवक्ता ने आगे कहा, “यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि अम्बेडकर की जयंती पर एक दलित व्यक्ति को बोलने से रोका गया। यह ऐसे समूहों, खासकर SFI की तानाशाही और अधिनायकवादी सोच को दर्शाता है, जो लोगों को बोलने से रोक रहे हैं। इसने अपनी प्रासंगिकता खो दी है।”

इधर गुरु प्रकाश पासवान का व्याख्यान रद्द होने की खबर आने के बाद कई शिक्षाविद, विचारक और बुद्धिजीवी उनके समर्थन में आए हैं।

लेडी श्रीराम कॉलेज में एससी-एसटी सेल ने कार्यक्रम को रद्द करने की घोषणा करते हुए इंस्टाग्राम पर एक अपडेट जारी किया। इसमें कहा गया, “काफी अफसोस के साथ अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति सेल, एलएसआर इस खबर की घोषणा कर रहा है कि कुछ अपरिहार्य परिस्थितियों के कारण अम्बेडकर जयंती कार्यक्रम को रद्द कर दिया गया है।”

उल्लेखनीय है कि देश 14 अप्रैल को बाबा साहेब अम्बेडकर के जन्मदिन पर उनकी जयंती मनाई जाती है। हालाँकि, दिल्ली के प्रतिष्ठित लेडी श्रीराम कॉलेज फॉर वीमेन में एक दलित विद्वान को बोलने से रोकना स्पष्ट रूप से बताता है कि कैसे वामपंथी अपने संकीर्ण राजनीति एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए दलितों की आवाज दबाने में कामयाब रहे हैं।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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