जहाँ एक तरह मोदी सरकार के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ पंजाब के किसानों ने दिल्ली में डेरा डाल रखा है और लगातार विरोध प्रदर्शन चालू है, वहीं दूसरी तरफ ऐसे भी किसान हैं जिन्होंने इस मामले में केंद्र सरकार को पूरी तरह अपना समर्थन दिया हुआ है। शनिवार (दिसंबर 12, 2020) को 29 किसानों के एक प्रतिनिधिमंडल ने केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर से मुलाकात कर कृषि कानूनों को अपना सम्पूर्ण समर्थन दिया।
इन किसानों ने ये भी कहा है कि अगर केंद्र इन तीनों कृषि कानूनों पर अपने कदम वापस खींचती है तो वो सड़क पर उतर कर विरोध प्रदर्शन के लिए मजबूत हो जाएँगे। इस प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व भारतीय किसान यूनियन (मान) के गुणी प्रकाश कर रहे थे, जो हरियाणा से ताल्लुक रखते हैं और राज्य में इस संगठन का नेतृत्व करते हैं। इन्होंने मिल कर केंद्रीय कृषि मंत्री को ‘समर्थन पत्र’ भी सौंपा। साथ ही कहा कि सितम्बर में पास किए गए इन कानूनों को लेकर सरकार आगे बढ़े।
इन किसानों ने बताया कि उन्होंने हर जिले को मेमोरेंडम दे रखा है और अगर सरकार इन कृषि कानूनों को वापस लेती है तो वो विरोध प्रदर्शन करेंगे। साथ ही उन्होंने ये भी सवाल उठाया कि पिछली यूपीए सरकारों ने आखिर स्वामीनाथन रिपोर्ट की अनुशंसा के आधार पर फैसले क्यों नहीं लिए? उन्होंने कहा कि मौजूदा विरोध प्रदर्शन हिंसक है और वामपंथी इसका नेतृत्व कर रहे हैं। किसानों ने कहा कि वो इन कानूनों के समर्थन में हैं।
किसानों ने कहा कि इन कानूनों से बिचौलियों को ही नुकसान हो रहा है, लेकिन फिर भी भ्रम फैला कर किसानों को बरगलाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि ये गलत तरीके से आंदोलन हो रहा है और ये झूठ है कि कॉर्पोरेट घराने उनकी जमीनें ले लेंगे। अन्य किसानों ने कहा, “हमलोग उन प्रदर्शनकारियों के साथ नहीं हैं।” केंद्रीय मंत्री तोमर के साथ उन्होंने अपने अनुभव साझा कर के बताया कि उन्हें कैसे नए कानूनों से लाभ हो रहा है।
किसानों ने अपने समर्थन पत्र में लिखा है, “हम केंद्र सरकार द्वारा प्रस्तावित सुधारों को बरक़रार रखने के पक्ष में हैं। केंद्र द्वारा प्रस्तावित संशोधनों के साथ इन्हें बरकरार रखा जाए। हम MSP और मंडी व्यवस्था को भी जारी रखने के पक्षधर हैं। हम आपसे आग्रह करते हैं कि समय प्रदान कर हमारी बात भी सुनी जाए।” इस पत्र पर किसान प्रतिनिधियों ने अपने हस्ताक्षर भी किए। सभी ने खुद को हरियाणा के FPO से जुड़ा और प्रगतिशील किसान बताया।
— Agriculture INDIA (@AgriGoI) December 12, 2020
उन्होंने कहा कि भले ही सबको विरोध प्रदर्शन का अधिकार है, लेकिन मौजूदा आंदोलन अब किसानों का नहीं रहा। उन्होंने कहा कि ये अब एक राजनीतिक रंग में रंग गया। उन्होंने आंदोलनकारियों को समझाया कि ये तीनों ही कानून उन्हें सही मायने में स्वतंत्रता देने का काम करेंगे। बता दें कि किसान संगठनों से 6 राउंड की बातचीत होने के बावजूद अब तक कोई निष्कर्ष नहीं निकला है। खुद पीएम मोदी बार-बार चीजों को स्पष्ट कर चुके हैं।
हाल ही में जहाँ एक तरफ 20 किसानों के एक प्रतिनिधिमंडल ने केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर से मुलाकात कर के सरकार को अपना समर्थन दिया, वहीं दूसरी तरफ पद्मश्री सम्मान विजेता किसान भारत भूषण त्यागी ने नए ‘अवॉर्ड वापसी गैंग’ को आड़े हाथों लिया। उन्होंने पूछा कि क्या इन लोगों को ये अवॉर्ड खेती में पुरस्कार स्वरूप मिला? उन्होंने किसानों को सलाह दी कि वो जब सरकार से बातचीत करने जाएँ, तो विरोध वाली मानसिकता न रखें।