Wednesday, October 16, 2024
Homeराजनीतिगरीबों का किराया देने का ढोल पीट बुरे फँसे केजरीवाल! HC ने फटकारा, पूछा-...

गरीबों का किराया देने का ढोल पीट बुरे फँसे केजरीवाल! HC ने फटकारा, पूछा- तो आपका इरादा भुगतान करने का नहीं है?

"ऐसा कोई वादा नहीं किया गया था। हमने सिर्फ इतना कहा था कि प्रधानमंत्री के आदेश का पालन करें। हमने मकान मालिकों से किराए के लिए किराएदारों को मजबूर न करने को कहा था और ये भी कहा था कि अगर किराएदारों को कोई साधन नहीं मिलते हैं तो सरकार इस पर गौर करेगी।''

दिल्ली हाई कोर्ट ने सोमवार (27 सितंबर 2021) को सिंगल जज के उस फैसले पर रोक लगा दी, जिसमें अरविंद केजरीवाल का कोरोना काल में गरीब किराएदारों को भुगतान करने का वादा लागू करने योग्य बताया गया था। चीफ जस्टिस डीएन पटेल और जस्टिस ज्योति सिंह की खंडपीठ ने कहा कि इस फैसले पर तब तक रोक लगाई जाती है, जब तक मामले की अगली सुनवाई नहीं हो जाती। इस मामले में अगली सुनवाई 29 नवंबर 2021 को होगी।

जस्टिस प्रतिभा सिंह ने 22 जुलाई के आदेश में उस फैसले को लागू करने योग्य बताया था, जिसमें केजरीवाल ने कहा था कि वह असमर्थ किराएदारों के किराए का भुगतान करेंगे। 29 मार्च 2021 को कोरोना महामारी के दौरान सीएम अरविंद केजरीवाल ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा था कि दिल्ली सरकार गरीब किराएदारों की तरफ से किराए का भुगतान करेगी। यदि कोई किराएदार किराए का भुगतान करने में असमर्थ है। हालाँकि, यह फैसला लागू नहीं किया गया था, जिसको लेकर हाई कोर्ट में याचिका दायर हुई है। दिल्ली सरकार ने जस्टिस प्रतिभा सिंह के आदेश को चुनौती देते हुए हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी।

सुनवाई के दौरान दिल्ली सरकार की ओर से पेश हुए सीनियर वकील मनीष वशिष्ठ ने कहा, “ऐसा कोई वादा नहीं किया गया था। हमने सिर्फ इतना कहा था कि प्रधानमंत्री के आदेश का पालन करें। हमने मकान मालिकों से किराए के लिए किराएदारों को मजबूर न करने को कहा था और ये भी कहा था कि अगर किराएदारों को कोई साधन नहीं मिलते हैं तो सरकार इस पर गौर करेगी।”

इस पर हाई कोर्ट ने पूछा, “तो क्या आपका इरादा भुगतान करने का नहीं है? यहाँ तक कि एक फीसदी भी नहीं?” कोर्ट ने कहा, ”यह बहुत हैरानी की बात है कि इतनी कम राशि के लिए दिल्ली सरकार जो सभी राज्यों में अपने आपको सबसे बेहतर और सबसे अधिक बजट वाला होने का दावा करती है, वो मना कर रही है।”

इस पर मनीष वशिष्ठ ने कहा, “केवल तभी जब माँग हो।” उन्होंने दावा किया कि कोई भी व्यक्ति उनके पास राहत माँगने नहीं आया। वहीं, याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश हुए वकील गौरव जैन ने अदालत के फैसले का विरोध करते हुए कहा कि उनके क्लाइंट के पास किराए का भुगतान करने का कोई साधन नहीं है।

बता दें कि जस्टिस सिंह ने उस दौरान दिल्ली सरकार को सीएम द्वारा किए गए वादे को पूरा करने के लिए एक नीति बनाने का आदेश दिया था। उन्होंने 22 जुलाई 2021 को अपने आदेश में कहा था कि अरविंद केजरीवाल का प्रेस कॉन्फ्रेंस किया गया वादा नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।

Join OpIndia's official WhatsApp channel

  सहयोग करें  

एनडीटीवी हो या 'द वायर', इन्हें कभी पैसों की कमी नहीं होती। देश-विदेश से क्रांति के नाम पर ख़ूब फ़ंडिग मिलती है इन्हें। इनसे लड़ने के लिए हमारे हाथ मज़बूत करें। जितना बन सके, सहयोग करें

ऑपइंडिया स्टाफ़
ऑपइंडिया स्टाफ़http://www.opindia.in
कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

संबंधित ख़बरें

ख़ास ख़बरें

बच्चे के सामने सेक्स करना POCSO का अपराध, नंगा होना माना जाएगा यौन उत्पीड़न के बराबर: केरल हाई कोर्ट का फैसला, जानिए क्या है...

केरल हाई कोर्ट ने कहा है कि किसी नाबालिग के सामने नग्न होकर सेक्स करना POCSO के तहत अपराध की श्रेणी में आता है।

कार में बैठ गरबा सुन रहे थे RSS कार्यकर्ता, इस्लामी कट्टरपंथियों की भीड़ ने घेर कर किया हमला: पीड़ित ने ऑपइंडिया को सुनाई आपबीती

गुजरात के द्वारका जिले में आरएसएस स्वयंसेवक पर हमला हुआ, जिसकी गलती सिर्फ इतनी थी कि वह अपनी कार में गरबा सुन रहा था।

प्रचलित ख़बरें

- विज्ञापन -