चुनाव आयोग ने सोमवार (2 मई 2022) को झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन (Jharkhand CM Hemant Soren) को नोटिस भेजकर उनसे जवाब माँगा है। आयोग ने उनसे यह बताने के लिए कहा है कि खुद को खनन पट्टा जारी करने के लिए उनके खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं की जानी चाहिए? जो आरपी अधिनियम की धारा 9ए का उल्लंघन करती है। धारा 9ए सरकारी अनुबंधों के लिए किसी सदन से अयोग्यता से संबंधित है।
BREAKING: EC sends notice to Jharkhand CM Hemant Soren asking him to explain why action should not be taken against him for having a mine lease issued in his favour, which prima facie violates Section 9A of the R. P. Act. Section 9A deals with disqualification for govt contracts
— Bharti Jain (@bhartijainTOI) May 2, 2022
चुनाव आयोग पहले से इस मामले की जाँच कर रहा है कि क्या मुख्यमंत्री ने अपने पद का इस्तेमाल लाभ के लिए किया है? चुनाव आयोग ने बीते दिनों झारखंड के मुख्य सचिव सुखदेव सिंह को पत्र लिख कर ‘ऑफिस ऑफ प्रॉफिट’ पर जवाब माँगा था। मुख्यमंत्री सोरेन पर अपने पद का दुरूपयोग करते हुए खुद को ही खदान आवंटित करने का आरोप याचिकाकर्ता शिव शंकर वर्मा ने लगाया था।
हाईकोर्ट ने की थी टिप्पणी
शिवशंकर शर्मा नाम के एक व्यक्ति ने खनन पट्टा अपने नाम करने को लेकर सोरेन के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी। उस याचिका पर हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डॉ. रवि रंजन और न्यायाधीश सुजीत नारायण प्रसाद की खंडपीठ ने सुनवाई करते हुए कहा था कि संवैधानिक पद पर बैठे व्यक्ति को अपनी शक्तियों का दुरुपयोग नहीं करना चाहिए।
याचिका में कहा गया था कि सोरेन राज्य के मुख्यमंत्री और वन एवं पर्यावरण विभाग के विभागीय मंत्री हैं। उनके पास खनन विभाग भी है। ऐसे में उन्होंने खुद ही पर्यावरण क्लीयरेंस के आवेदन दिया और क्लीयरेंस लेकर खुद ही खनन पट्टा हासिल कर लिया। ऐसा करना पद का दुरुपयोग और जनप्रतिनिधि कानून का उल्लंघन है
क्या है मामला?
मुख्यमंत्री सोरेन पर आरोप है कि उन्होंने पद का दुरुपयोग करते हुए अपने नाम पर पत्थर खदान का पट्टा लिया। यह खदान राँची जिले के अनगड़ा मौजा, थाना नं-26, खाता नं- 187, प्लॉट नं- 482 में स्थित है। भाजपा ने आरोप लगाया था कि इस पट्टे की स्वीकृति के लिए सोरेन 2008 से ही प्रयास कर रहे थे।
मुख्यमंत्री बनने के बाद पत्रांक संख्या 615/M, दिनांक 16-06-2021 के जरिए पट्टा की स्वीकृति का आशय का पत्र (LOI) विभाग द्वारा जारी कर दिया है। यह विभाग मुख्यमंत्री के पास ही है। स्टेट लेबल इंवायरमेंट इंपेक्ट असेसमेंट अथॉरिटी (SEIAA) ने 14-18 सितम्बर 2021 को अपनी 90वीं बैठक में पर्यावरण स्वीकृति की अनुशंसा भी कर दी।