केंद्रीय कृषि कानूनों के विरोध में जारी किसान आंदोलन के तहत बुधवार (मार्च 3, 2021) को राजस्थान के किसानों ने नागौर में अपनी एकजुटता दिखाई। यहाँ आज हुई किसान महापंचायत को किसान नेता राकेश टिकैत और भीम आर्मी के संस्थापक चंद्रशेखर आजाद सहित अन्य किसान नेता संबोधित किया। किसान संगठनों ने नागौर की इस महापंचायत में भी एक लाख किसानों के पहुँचने का दावा किया है।
‘देश को गुलामी की ओर धकेलना चाह रही सरकार’
भीम आर्मी के संस्थापक चंद्रशेखर आजाद ने केंद्र सरकार पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि सरकार आजाद देश को गुलामी की ओर धकेल रही है। कृषि बिलों को लेकर लड़ाई लड़ी भी जाएगी और जीती भी जाएगी। उन्होंने कहा कि भीम आर्मी के कार्यकर्ता इस आंदोलन में किसान के साथ हैं।
आज की किसान महापंचायत में ये हुए शामिल
नागौर जिला मुख्यालय के पशु प्रदर्शनी स्थल पर हो रही किसान महापंचायत को भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत और भीम आर्मी के संस्थापक चंद्रशेखर आजाद के अलावा राजस्थान जाट महासभा के अध्यक्ष राजाराम मील, किसान सभा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष कॉमरेड अमराराम, किसान यूनियन के महासचिव युद्धवीर सिंह, किसान संघर्ष समिति के संयोजक हिम्मत सिंह गुर्जर, जमीयत-उलेमा-ए हिंद के प्रदेश उपाध्यक्ष हाफिज मंजूर अली खान ने भी संबोधित किया।
गाँव-गाँव किया जनसंपर्क, दिया न्यौता
किसान महापंचायत में किसानों को एकजुट करने के लिए किसान संगठनों की ओर से बीते कुछ दिनों से जनसंपर्क किया जा रहा था। संगठनों के प्रतिनिधियों ने आसपास के गाँवों में जाकर किसानों और आमजन को महापंचायत में ज़्यादा से ज़्यादा संख्या में पहुँचने का न्यौता दिया।
इधर राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के संयोजक हनुमान बेनीवाल ने भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत को बाहरी करार दिया। इसके साथ ही उनके लिए रैलियाँ आयोजित करा रहे वामपंथी नेताओं पर भी निशाना साधा। उन्होंने कहा कि बाहरी नेताओं से राजस्थान में वामपंथी दल सियासी जमीन तैयार नहीं कर पाएँगे। बेनीवाल ने टिकैत पर सवाल खड़े करते हुए कहा कि बाहरी नेता राजस्थान में किसानों की भीड़ नहीं जुटा सकता।
वहीं राकेश टिकैत ने राजस्थान के झुंझुनू में किसानों को संबोधित करते हुए ‘नया फॉर्मुला’ दिया। उन्होंने कहा कि ये दिन के लुटेरे हैं, भगाना पड़ेगा, अनाज लेकर अब दिल्ली जाना होगा। मंगलवार (मार्च 2, 2021) को किसान महापंचायत में टिकैत ने किसानों से अनाज ट्रैक्टर में भरकर दिल्ली चलने की अपील की।
गौरतलब है कि केंद्र के तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसान संगठनों ने मिलकर मोर्चा खोला हुआ है। कानूनों के विरोध में लगभग तीन महीने से किसान आंदोलन जारी है। सरकार के साथ तमाम तरह की वार्ताएँ विफल साबित हुई हैं और गतिरोध टूटने का नाम नहीं ले रहा है।