Friday, November 22, 2024
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भारत के खिलाफ वैश्विक षड्यंत्र, 3 महीने से प्लानिंग: रिहाना, ग्रेटा के ट्वीट थे पूर्व नियोजित, 5 स्क्रीनशॉट से सब का खुलासा

नवंबर 2020 में जो ट्वीट किए गए थे, वो भी कॉपी थे। ग्रेटा और रिहाना के ट्वीट भी कॉपी थे। किसे टैग करना है, क्या हैशटैग रखना है, सब कुछ लिखा हुआ था। बस 5 स्क्रीनशॉट से समझिए भारत के खिलाफ कैसे रचा गया वैश्विक षड्यंत्र

गणतंत्र दिवस के अवसर पर दिल्ली में अराजकता फैलाने वाले, लाल किले पर कब्जा करने वाले, तिरंगे का अपमान करने वाले कथित किसान प्रदर्शनकारियों के किसान आंदोलन को पर्यावरण कार्यकर्ता ग्रेटा थनबर्ग व अंतरराष्ट्रीय गायिका रिहाना ने 2 फरवरी को अपना समर्थन दिया।

समर्थन में ट्वीट करने के बाद बेबी प्रोटेस्टर ग्रेटा थनबर्ग ने किसान आंदोलन पर एक और ट्वीट किया, जिससे जाने-अनजाने भारत के ख़िलाफ़ तैयार किए जा रहे वैश्विक अभियान का खुलासा हो गया। दरअसल, उसने भारत में चल रहे किसान आंदोलन के संबंध में अपने ट्विटर हैंडल से एक (ToolKit) टूलकिट शेयर किया। इसमें बताया गया था कि यदि कोई भारत के किसान आंदोलन का समर्थन करना चाहता है तो वह क्या-क्या कर सकता है। 

दिलचस्प बात यह है कि ग्रेटा ने इस टूलकिट को कुछ ही देर में डिलीट जरूर कर दिया मगर तब तक सच्चाई का खुलासा हो चुका था। इस डॉक्यूमेंट से मालूम चल चुका था कि अचानक जो विदेशी समर्थन इन कथित किसानों को मिल रहा है, वो कहीं से भी असली नहीं है बल्कि इसकी तैयारी नवंबर से ही चल रही थी।

इसमें सूचीबद्ध तरीके से वो सारे एक्शन लिखें हैं कि आखिर ‘Farmer Protest’ के लिए दुनिया भर में क्या-क्या किया जा सकता है। इससे यह भी ज्ञात हुआ कि भारत में अशांति फैलाने के प्रयास 26 जनवरी को हुए दंगों से पहले शुरू हो चुके थे। दस्तावेज में पूर्व निर्धारित ट्वीट्स भी शामिल थे, जिन्हें पोस्ट किया जाना था। जब ऑपइंडिया की ओर से इन्हें जाँचा गया तो उनमें से कुछ शब्दश: नवंबर 2020 में ट्विटर पर पोस्ट किए मिले।

सबसे खास बात यह है कि पूरे टूलकिट को देखने के बाद साफ पता चलता है कि ग्रेटा थनबर्ग और गायिका रिहाना के ट्वीट भी पूर्व नियोजित थे और वास्तविक समर्थन से उनका सरोकार नहीं था।

इस टूलकिट में एक शीर्षक है, “भारतीय किसानों के साथ एकजुटता- ट्विटर पर तूफान (‘Solidarity with Indian farmers – Twitter storm’) इसमें यह बताया गया है कि कैसे पूरे आंदोलन को वैश्विक पहचान दिलाई जाएगी। इसमें दो influencer के नाम हैं। पहला ग्रेटा थनबर्ग और दूसरा रिहाना। ”

ग्रेटा थनबर्ग द्वारा शेयर किए गए डॉक्यूमेंट का स्क्रीनशॉट

शीट में बक़ायदा पूरा प्लान नजर आता है। इसमें सब बताया गया है कि ट्वीट करते हुए किसे टैग करना है और किसे लक्षित करना है। डॉक्यूमेंट के स्क्रीनशॉट में ग्रेटा और रिहाना के नामों को अलग से देखा जा सकता है। इसी तरह टैग और हैशटैग भी इस लिस्ट में उल्लेखित किया गया है। वहीं रिहाना का बिल्कुल वही ट्वीट उस डॉक्यूमेंट में शामिल है, जो उन्होंने 2 फरवरी को ट्वीट किया।

अब इस प्लानिंग को समझने के लिए कुछ बेसिक तथ्य पर गौर करने की आवश्यकता है। जैसे रिहाना ने 2 फरवरी को अपना ट्वीट किया और ग्रेटा ने 3 फरवरी को अपना ट्वीट किया। दोनों का नाम सूची में था और ट्वीट भी डॉक्यूमेंट में लिखे थे। इन्होंने हैशटैग भी वही इस्तेमाल किया, जिसका जिक्र टूलकिट में था। इस दस्तावेज में ये भी लिखा था कि 4 और 5 फरवरी को भारी मात्रा में किसानों के समर्थन में ट्वीट किया जाए।

ग्रेटा थनबर्ग द्वारा शेयर किए गए डॉक्यूमेंट का स्क्रीनशॉट

ये टूलकिट साबित करता है कि ग्रेटा और रिहाना जैसी अंतरराष्ट्रीय हस्तियों के ट्वीट पूर्व नियोजित थे न कि कोई त्वरित प्रक्रिया। हम यदि ऐसे भी सोचें कि हो सकता है रिहाना का ट्वीट बाद में दस्तावेज में जोड़ा गया तो ये गौर करने वाली बात है कि ग्रेटा के टूलकिट पोस्ट करने से 4 घंटे पहले रिहाना ने ट्वीट किया था। अगर ये सब पहले से प्लान नहीं किया होता तो डॉक्यूमेंट में रिहाना के ट्वीट का जिक्र सबसे आखिर में होना था न कि सबसे ऊपर… जैसा कि हम दस्तावेज के स्क्रीनशॉट में देख रहे हैं।

इस डॉक्यूमेंट को यदि कोई देखे तो मालूम होता है कि पूरे-पूरे ट्वीट पहले से लिखे हुए थे, जिनमें से कुछ ट्वीट के साथ एम्बेड लिंक भी शामिल था, जिस पर क्लिक करते ही वह आपको ट्विटर पर पहुँचा रहे थे ताकि उसे जस का तस पोस्ट किया जा सके।

इस सूची में रिहाना का नाम दूसरे नंबर पर नजर आता है लेकिन उसके ट्वीट के साथ ये ऑप्शन नहीं मेंशन है कि ‘यहाँ क्लिक करके इसे ट्वीट करें।’ जो साबित करता है कि शायद रिहाना के ट्वीट करने से पहले इसे लिखा गया।

किसी को नहीं पता कि रिहाना और ग्रेटा ने ये सब कनाडाई खालिस्तानी सांसद जगमीत सिंह के कहने पर किया या फिर पीआर एजेंसी ने उनसे ये सब करवाया। हमने पहले बताया था कि रिहाना और जगमीत सिंह के बीच बातचीत होती है। ऐसे में हो सकता है कि अनुरोध पर रिहाना ने इसे किया हो।

गौरतलब है कि ये दस्तावेज एक पुख्ता सबूत हैं, जो साबित करते हैं कि भारत के ख़िलाफ़ न केवल देश के भीतर बल्कि विदेश में भी प्रोपगेंडा तैयार हो रहा है। ये डॉक्यूमेंट यह भी बता रहा है कि प्रोपगेंडा बाजों का मकसद प्रदर्शन को चलाते रहने का है, चाहे तो कानून को वापस ही क्यों न ले लिया जाए। जाहिर है ये प्रोटेस्ट कहीं से कहीं तक कृषि कानूनों से संबंधित नहीं है। इनका मकसद सिर्फ़ अराजकता फैलाना है और वैश्विक स्तर पर मोदी सरकार को घेरना है।

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