हिमाचल प्रदेश में सब कुछ सही नहीं है। अब तक कॉन्ग्रेस कहती आई है कि प्रदेश में सब ठीक है, लेकिन सब ठीक नहीं है। कॉन्ग्रेस के बागी नेता राजेंद्र राणा ने शनिवार (2 मार्च 2024) को मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू को ‘एक नंबर का झूठा’ बताया और कहा कि ना तो लोक निर्माण विभाग के मंत्री विक्रमादित्य सिंह ने सुक्खू को बताया था कि वे पंचकूला में कॉन्ग्रेस के बागियों से मिल रहे हैं और ना ही मुख्यमंत्री ने उन्हें भेजा था।
राजेंद्र राणा ने कहा कि मुख्यमंत्री सुक्खू तथ्यों को तोड़-मरोड़ कर पेश करने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि विक्रमादित्य सिंह ने उन्हें वापस आने या समझौता करने के लिए कभी नहीं कहा। राजेंद्र राणा ने कहा कि उन्हें अपनी सरकार से शिकायतें हैं, क्योंकि सरकार पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह की प्रतिमा स्थापित करने के लिए जमीन उपलब्ध कराने में नाकाम रही है।
दरअसल, सीएम सुक्खू ने शुक्रवार (1 मार्च 2024) को कहा था कि उन्हें विक्रमादित्य सिंह ने बताया था कि कॉन्ग्रेस के कुछ बागियों ने उनसे संपर्क किया था और वे वापस आना चाहते हैं। इसके बाद सुक्खू ने कहा कि वे शीर्ष नेतृत्व से बात करके इसकी जानकारी देंगे।
वहीं, पार्टी के बागी राजेंद्र राणा ने कहा कि उन्होंने प्रदेश की जनता के हितों के लिए क्रॉस वोटिंग की थी। उन्होंने कहा कि वे अपमान झेलने के बजाय घर बैठना पसंद करेंगे। राजेंद्र राणा ने कहा कि सीएम का यह दावा की सरकार स्थिर है, झूठा है। उन्होंने कहा कि हिमाचल के 9 विधायक उनके संपर्क में हैं।
दरअसल, सोलन जिले के कसौली में सीएम सुक्खू ने कहा था कि कॉन्ग्रेस पार्टी के छह काले साँपों ने अपना सम्मान बेच दिया और गरीबों के कल्याणकारी योजनाओं वाले बजट पर वोट ना देकर कॉन्ग्रेस सरकार को अस्थिर करने की कोशिश की। भाजपा के पक्ष में क्रॉस वोटिंग करने वाले कॉन्ग्रेस के छह विधायकों को सदन की सदस्यता से निलंबित कर दिया गया था।
हिमाचल प्रदेश विधानसभा के अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठानिया ने 29 फरवरी को कहा था, “कॉन्ग्रेस के निशान पर चुनाव लड़ने वाले छह विधायकों ने अपने खिलाफ दलबदल विरोधी कानून के प्रावधानों का उल्लंघन किया है। मैं घोषणा करता हूँ कि छह लोग तत्काल प्रभाव से हिमाचल प्रदेश विधानसभा के सदस्य नहीं रहेंगे।”
जिन विधायकों की सदस्यता रद्द की गई थी, उनमें धर्मशाला के विधायक सुधीर शर्मा, गगरेट के विधायक चैतन्य शर्मा, कुटलैहड़ के विधायक देवेंद्र भुट्टो, बड़सर के विधायक इंद्र दत्त लखनपाल, सुजानपुर के विधायक राजेंद्र राणा और लाहौल स्पीति के विधायक रवि ठाकुर शामिल हैं। इन विधायकों के पास अब हाई कोर्ट या सुप्रीम कोर्ट जाने का विकल्प है।
हिमाचल विधानसभा अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठानिया ने ट्रिब्यूनल के चेयरमैन के तौर पर पिटीशन की सुनवाई की और 30 पन्नों का फैसला दिया। बता दें कि संसदीय कार्य मंत्री हर्षवर्धन चौहान ने छह बागी विधायकों के खिलाफ याचिका दायर की थी। व्हिप के मुताबिक बजट पास करने के वक्त बागी विधायक सदन में मौजूद नहीं रहे।