जम्मू कश्मीर के पूर्व IAS अधिकारी शाह फैसल ने अपने पद से इस्तीफा देकर राजनीति में शामिल होने का फैसला लिया था लेकिन अब उनका राजनीति से मोहभंग हो गया है। उन्होंने ‘जम्मू कश्मीर पीपल्स मूवमेंट’ से नाता तोड़ लिया है। शाह फैसल ने कहा कि जम्मू कश्मीर की राजनीतिक वास्तविकता अब पूरी तरह बदल गई है और वो राज्य के लोगों को कल्पनायुक्त और अव्यावहारिक सपने नहीं दिखाना चाहते।
शाह फैसल ने सोमवार (अगस्त 10, 2020) को कहा कि जब उनके पास उन सपनों को पूरा करने के लिए कोई ताकत ही नहीं है तो फिर उनका राजनीति में रहने से क्या फायदा। ‘इंडियन एक्सप्रेस’ को दिए गए इंटरव्यू में उन्होंने कहा कि उनके बारे में एक धारणा बना दी गई है कि वो देशद्रोही हैं। पूर्व IAS अधिकारी ने कहा कि पिछले कुछ सालों में उनके समस्यात्मक बयानों के कारण उनके देशविरोधी होने की बात कही गई।
उन्होंने कहा कि पिछले एक सालों में उन्होंने अपने बयानों से कई ऐसे लोगों को दुःख पहुँचाया है, जो उनके लिए अपने मन में सकारात्मक सोच रखते थे। शाह फैसल ने कहा कि उन्होंने ऐसे लोगों को नाराज़ किया है। उन्होंने कहा कि अब उनसे जो भी गलतियाँ हुई हैं, उन्हें वो सुधारना चाहते हैं। उन्होंने अपना अनुभव बताते हुए कहा कि राजनीति में लोगों को वास्तविकता का भान कराना खासा मुश्किल कार्य है।
शाह फैसल ने कहा कि वो जम्मू कश्मीर को सुनहरे सपने दिखा कर उन्हें बाद में निराश नहीं करना चाहते। जब उनसे पूछा गया कि क्या वो फिर से IAS ज्वाइन करेंगे तो उन्होंने जवाब दिया कि उनके आगे एक पूरी ज़िंदगी पड़ी हुई है और वो कुछ प्रोडक्टिव करना चाहते हैं, वो आगे बढ़ना चाहते हैं। हालाँकि, उन्होंने कहा कि भविष्य में उनके लिए क्या है और वो कहाँ जाएँगे, कुछ भी निश्चित नहीं है।
शाह फैसल ने कहा कि शिक्षा, स्वास्थ्य, गरीबी उन्मूलन और रोजगार उत्पन्न करने से जुड़े क्षेत्रों में उनकी रुचि है और वो इन्हीं क्षेत्रों में योगदान देना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि वो अब काफी साफ़-सफाई से कुछ शुरू करना चाहते हैं क्योंकि जम्मू कश्मीर के लिए उनके पास कुछ सपने हैं। उन्होंने अपनी हिरासत अवधि में हुए अनुभवों के बारे में भी कहा। शाह फैसल ने इस बारे में बात करते हुए ‘इंडियन एक्सप्रेस’ से कहा:
“हिरासत में मैं जब तक रहा, वो मेरे लिए अनगिनत चीजें सीखने का एक अनुभव साबित हुआ। मुझे इस वास्तविकता का भान हुआ कि सब सब कुछ ख़त्म हो जाता है तो आप अंत में अकेले ही बचते हैं। इन सबमें सबसे ज्यादा आपका परिवार कष्ट उठाता है और आप जिसके लिए संघर्ष कर रहे हैं, वही लोग आपकी विपत्ति में अपना मजा ढूँढ लेते हैं। हिरासत ने मुझे बताया है कि मैं कहीं और से सम्बन्ध रखता हूँ। मैं उनके लिए अपनी ज़िंदगी को बर्बाद नहीं कर सकता, जो मेरी विपत्ति पर रो तक नहीं सकते।”
शाह फैसल ने ये भी कहा कि उन्होंने पिछले एक साल से कोई बयान नहीं दिया है। एक साल से वो चुप हैं, उन्होंने समय लिया, फिर भी राजनीति छोड़ने को उनका उतावलेपन में लिया गया निर्णय बताया गया। 2009 में UPSC की परीक्षा में पूरे देश में पहला स्थान पाने वाले पहले कश्मीरी फैसल ने कहा कि उनके लिए जम्मू कश्मीर की मेनस्ट्रीम राजनीति में कोई जगह है या नहीं, इस बारे में भी उन्हें कोई आइडिया नहीं है।
Deeply hurt by the way I was branded as an anti national…My politics ended before it could even start: IAS officer @shahfaesal tells The Hindu.
— vijaita singh (@vijaita) August 11, 2020
He has been in detention for almost a year now, currently under “house arrest” #kashmir https://t.co/sxTZEzY5Bj
बता दें कि शाह फैसल का विवादों से पुराना नाता रहा है और वो अक्सर देशविरोधी ब्यान देते रहे हैं। शाह फैसल को अगस्त 2019 में दिल्ली एयरपोर्ट से हिरासत में लेकर कश्मीर में नजरबंद किया गया था। अगर 14 अगस्त को शाह फैसल दिल्ली में नहीं रोके गए होते तो वह इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस (ICJ) में भारत के खिलाफ मामला दर्ज करा चुके होते। वह घाटी में अनुच्छेद-370 के प्रावधानों को निष्प्रभावी करने के केंद्र सरकार के फैसले के खिलाफ याचिका दायर करने की तैयारी में थे।
अनुच्छेद 370 का विरोध करते हुए शाह फैसल ने कहा था, “कैसी ईद। दुनिया भर के कश्मीरी अपनी जमीन पर अवैध कब्जे का शोक मना रहे हैं। तब तक कोई ईद नहीं मनेगी, जब तक 1947 से हमसे छीनी गई हर चीज वापस नहीं ले ली जाती। जब तक हर अपमान का बदला पूरा नहीं होता, ईद नहीं मनेगी।” उन्होंने कहा था कि वो तब तक ईद नहीं मनाएँगे जब तक जम्मू-कश्मीर को दो केन्द्रशासित प्रदेशों में बॉंटने के फैसले से हुई ‘पीड़ा’ का बदला नहीं ले लेते।
रायटर्स के पत्रकार देवज्योत घोषाल के अनुसार, उन्होंने अगस्त 2019 में शाह फैसल से बात की थी। पत्रकार ने जम्मू-कश्मीर में ‘संचार व्यवस्था पूरी तरह ठप्प’ होने का दावा करते हुए लिखा था कि सैटेलाइट टीवी चालू थे और कई लोगों को सरकार के निर्णय की ख़बर मिल चुकी थी। घोषाल से बातचीत में शाह फैसल ने कहा कि सुरक्षा कम होते ही कश्मीर के भभक उठने की संभावना है, क्योंकि लोग ख़ुद को छला महसूस कर रहे हैं। घोषाल ने दावा किया है कि इसके बाद पत्थरबाजी शुरू हो गई।