लोकसभा के बाद राज्यसभा में बुधवार (दिसंबर 11, 2019) की रात नागरिकता विधेयक पास होने के बाद कई लोगों ने इस पर अपनी प्रतिक्रिया दी। कुछ ने इसे लेकर खुशी जताई, तो कुछ लोगों ने इसे हिंदुस्तान की धर्मनिरपेक्षता पर खतरा बताया। इसी कड़ी में कल महाराष्ट्र के बड़े पुलिस अधिकारी अब्दुर रहमान ने इस्तीफा दे दिया और कहा कि वे कल अपने कार्यालय में उपस्थित नहीं होंगे। उन्होंने अपना ये फैसला नागरिकता बिल को मुस्लिम विरोधी बताते हुए लिया। लेकिन इसी बीच सोशल मीडिया पर यूजर्स ने उन्हें घेर लिया और उनके इस्तीफे के पीछे असली वजह का पर्दाफाश किया। साथ ही मौक़े का फायदा उठाने वाले अधिकारी को और उनका समर्थन करने वाले तबके को यूजर्स ने रहमान की हकीकत भी सबूतों के साथ दिखाई।
The #CitizenshipAmendmentBill2019 is against the basic feature of the Constitution. I condemn this Bill. In civil disobedience I have decided not attend office from tomorrow. I am finally quitting the service.@ndtvindia@IndianExpress #CitizenshipAmendmentBill2019 pic.twitter.com/Z2EtRAcJp4
— Abdur Rahman (@AbdurRahman_IPS) December 11, 2019
दरअसल, बुधवार को अपने इस्तीफे का ऐलान करते हुए अब्दुर रहमान ने एक ट्वीट किया। उन्होंने लिखा, “मैं इस नागरिकता संशोधन विधेयक 2019 के विरुद्ध हूँ और मैं इस विधेयक की निंदा करता हूँ। जिसके चलते मैंने कल से कार्यालय में उपस्थित ना होने का फैसला लिया है। और अंततः मैं अपनी सेवा को छोड़ रहा हूँ।”
This Bill is against the religious pluralism of India. I request all justice loving people to oppose the bill in a democratic manner. It runs against the very basic feature of the Constitution. @ndtvindia@IndianExpress #CitizenshipAmendmentBill2019 pic.twitter.com/1ljyxp585B
— Abdur Rahman (@AbdurRahman_IPS) December 11, 2019
रहमान ने कहा कि बिल के पारित होने के दौरान, गृहमंत्री अमित शाह ने गलत तथ्य, भ्रामक जानकारी और गलत तर्क पेश किए। उनके मुताबिक बिल के पीछे का विचार मुस्लिमों में भय पैदा करने और राष्ट्र को विभाजित करने के लिए है और ये विधेयक संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन करता है। साथ ही धर्म के आधार पर लोगों के साथ भेदभाव करता है। यह भारत में 200 मिलियन मुस्लिमों को नीचा दिखाने का काम है।
गौरतलब है कि एक ओर जहाँ नागरिकता संशोधन विधेयक के राज्यसभा से पास होने के तुरंत बाद अब्दुर रहमान ने केंद्र सरकार की आलोचना करते हुए अपनी नौकरी से इस्तीफा देने की बात की। वहीं, एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा कि रहमान ने अगस्त में ही स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति योजना (वीआरएस) के लिए आवेदन किया था और वह केवल अपने आवेदन पर निर्णय का इंतजार कर रहे थे। इसके अलावा सोशल मीडिया पर भी रहमान के ट्वीट के तुरंत बाद कुछ यूजर्स अगस्त का वो लेटर पोस्ट करने लगे, जिससे साफ हो गया कि रहमान ने अपना फैसला विरोध में नहीं लिया। बल्कि ये उनकी व्यक्तिगत इच्छा थी। और उनकी यह व्यक्तिगत इच्छा नागरिकता संशोधन विधेयक पास होने के 5 महीने पहले ही जाग गई थी।
He has not resigned today,
— Abhijeet katkar ?????? (@abhijeetkatkar) December 12, 2019
He applied for VRS on 1st August. Don’t believe presstitutes, they are fear mongering and trying to connect it with CAB. pic.twitter.com/eJ0Iw2tVP3
रहमान द्वारा किए गए ट्वीट को मीडिया गिरोह के लोगों द्वारा तेजी से आगे बढ़ाया जा रहा है। नागरिकता संशोधन विधेयक (CAB, कैब) के विरोध में मीडिया गिरोह के लोग भ्रम फैलाने की कोशिश कर रहे हैं। तथ्यों को तोड़-मरोड़ कर पेश कर रहे हैं। तभी तो अब्दुर रहमान के इस्तीफे को ऐसे दिखाया जा रहा है मानो उन्होंने इसी के विरोध में यह फैसला लिया है। जबकि वास्तविकता यह है कि इस समय में इनके द्वारा किया गया ऐलान मौक़ापरस्ती और प्रोपेगेंडा फैलाने की कोशिश है, जिसमें बरखा दत्त जैसै नामी चेहरे उनका समर्थन कर रहे हैं। वरना क्या वजह थी कि बरखा जैसी सीनियर जर्नलिस्ट इस्तीफे के दूसरे पेज को अपने ट्वीट में दिखाती है लेकिन पहले पन्ने को गायब कर देती हैं, जिसमें स्पष्ट लिखा है कि रहमान ने खुद ही व्यक्तिगत कारणों से अगस्त में ही VRS के लिए आवेदन किया था।
बता दें कि मजहब के नाम पर नागरिकता विधेयक के विरुद्ध सवाल उठाने वाले और मानवाधिकारों की दुहाई देकर चर्चा बटोरने वाले अब्दुर रहमान इस तरह पहली बार सुर्खियों में नहीं आए हैं। इससे पहले भी पुलिस भर्ती के दौरान उन पर फर्जीवाड़े के आरोप लग चुके हैं। जिसके संबंध में इसी वर्ष अप्रैल में पूर्व महाराष्ट्र सरकार ने उनके ख़िलाफ़ जाँच के आदेश दिए थे। दरअसल पूरा मामला साल 2007 में हुई पुलिस भर्ती से जुड़ा है। साल 2007 में हुई पुलिस भर्ती की परीक्षा में मराठी में लिखना अनिवार्य था, लेकिन अब्दुर रहमान ने ‘विशेष समुदाय’ के लोगों को उर्दू में लिखने की अनुमति दी थी। साथ ही महिला अभ्यार्थियों का कोटा होने के बावजूद भी उनकी भर्ती नहीं की थी।
Reality of Abdur rehmaan who resigned today.
— Basant Bhoruka ?? (@basant_bhoruka) December 11, 2019
In april’19, MH govt gave order of enquiry of 2007 yavatmal sp rehmaan abt fraud in police recruitment.
it was compulsory to write in marathi bt he allowed M ppl to write in urdu & did nt recruit female from their reserved quota. pic.twitter.com/95CyMvBqy9
‘Pak में मेरे परिवार को मुस्लिम बना दिया’ – CAB पर बोलना था विरोध में, डेरेक ओ’ब्रायन ने सच उगल दिया
नागरिकता विधेयक पर ही BJP को मिली दोबारा सत्ता, बिना घोषणापत्र पढ़े ही शेखर गुप्ता फैला रहे झूठ-भ्रम