Sunday, November 17, 2024
Homeराजनीतिनाखून कटा के शहीद बन रहा था हिन्दू-विरोधी IPS अब्दुर रहमान, लोगों ने खोली...

नाखून कटा के शहीद बन रहा था हिन्दू-विरोधी IPS अब्दुर रहमान, लोगों ने खोली पोल

रहमान के ट्वीट को मीडिया गिरोह तेजी से बढ़ा रहा। तथ्यों को तोड़-मरोड़ कर पेश कर रहा। वास्तविकता यह है कि IPS अब्दुर ने अगस्त में ही VRS के लिए आवेदन किया था, जिसका जिक्र पहले पन्ने पर है। लेकिन बरखा दत्त और गैंग सिर्फ दूसरे पन्ने को शेयर कर भ्रम फैला रहे।

लोकसभा के बाद राज्यसभा में बुधवार (दिसंबर 11, 2019) की रात नागरिकता विधेयक पास होने के बाद कई लोगों ने इस पर अपनी प्रतिक्रिया दी। कुछ ने इसे लेकर खुशी जताई, तो कुछ लोगों ने इसे हिंदुस्तान की धर्मनिरपेक्षता पर खतरा बताया। इसी कड़ी में कल महाराष्ट्र के बड़े पुलिस अधिकारी अब्दुर रहमान ने इस्तीफा दे दिया और कहा कि वे कल अपने कार्यालय में उपस्थित नहीं होंगे। उन्होंने अपना ये फैसला नागरिकता बिल को मुस्लिम विरोधी बताते हुए लिया। लेकिन इसी बीच सोशल मीडिया पर यूजर्स ने उन्हें घेर लिया और उनके इस्तीफे के पीछे असली वजह का पर्दाफाश किया। साथ ही मौक़े का फायदा उठाने वाले अधिकारी को और उनका समर्थन करने वाले तबके को यूजर्स ने रहमान की हकीकत भी सबूतों के साथ दिखाई।

दरअसल, बुधवार को अपने इस्तीफे का ऐलान करते हुए अब्दुर रहमान ने एक ट्वीट किया। उन्होंने लिखा, “मैं इस नागरिकता संशोधन विधेयक 2019 के विरुद्ध हूँ और मैं इस विधेयक की निंदा करता हूँ। जिसके चलते मैंने कल से कार्यालय में उपस्थित ना होने का फैसला लिया है। और अंततः मैं अपनी सेवा को छोड़ रहा हूँ।”

रहमान ने कहा कि बिल के पारित होने के दौरान, गृहमंत्री अमित शाह ने गलत तथ्य, भ्रामक जानकारी और गलत तर्क पेश किए। उनके मुताबिक बिल के पीछे का विचार मुस्लिमों में भय पैदा करने और राष्ट्र को विभाजित करने के लिए है और ये विधेयक संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन करता है। साथ ही धर्म के आधार पर लोगों के साथ भेदभाव करता है। यह भारत में 200 मिलियन मुस्लिमों को नीचा दिखाने का काम है।

गौरतलब है कि एक ओर जहाँ नागरिकता संशोधन विधेयक के राज्यसभा से पास होने के तुरंत बाद अब्दुर रहमान ने केंद्र सरकार की आलोचना करते हुए अपनी नौकरी से इस्तीफा देने की बात की। वहीं, एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा कि रहमान ने अगस्त में ही स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति योजना (वीआरएस) के लिए आवेदन किया था और वह केवल अपने आवेदन पर निर्णय का इंतजार कर रहे थे। इसके अलावा सोशल मीडिया पर भी रहमान के ट्वीट के तुरंत बाद कुछ यूजर्स अगस्त का वो लेटर पोस्ट करने लगे, जिससे साफ हो गया कि रहमान ने अपना फैसला विरोध में नहीं लिया। बल्कि ये उनकी व्यक्तिगत इच्छा थी। और उनकी यह व्यक्तिगत इच्छा नागरिकता संशोधन विधेयक पास होने के 5 महीने पहले ही जाग गई थी।

रहमान द्वारा किए गए ट्वीट को मीडिया गिरोह के लोगों द्वारा तेजी से आगे बढ़ाया जा रहा है। नागरिकता संशोधन विधेयक (CAB, कैब) के विरोध में मीडिया गिरोह के लोग भ्रम फैलाने की कोशिश कर रहे हैं। तथ्यों को तोड़-मरोड़ कर पेश कर रहे हैं। तभी तो अब्दुर रहमान के इस्तीफे को ऐसे दिखाया जा रहा है मानो उन्होंने इसी के विरोध में यह फैसला लिया है। जबकि वास्तविकता यह है कि इस समय में इनके द्वारा किया गया ऐलान मौक़ापरस्ती और प्रोपेगेंडा फैलाने की कोशिश है, जिसमें बरखा दत्त जैसै नामी चेहरे उनका समर्थन कर रहे हैं। वरना क्या वजह थी कि बरखा जैसी सीनियर जर्नलिस्ट इस्तीफे के दूसरे पेज को अपने ट्वीट में दिखाती है लेकिन पहले पन्ने को गायब कर देती हैं, जिसमें स्पष्ट लिखा है कि रहमान ने खुद ही व्यक्तिगत कारणों से अगस्त में ही VRS के लिए आवेदन किया था।

बता दें कि मजहब के नाम पर नागरिकता विधेयक के विरुद्ध सवाल उठाने वाले और मानवाधिकारों की दुहाई देकर चर्चा बटोरने वाले अब्दुर रहमान इस तरह पहली बार सुर्खियों में नहीं आए हैं। इससे पहले भी पुलिस भर्ती के दौरान उन पर फर्जीवाड़े के आरोप लग चुके हैं। जिसके संबंध में इसी वर्ष अप्रैल में पूर्व महाराष्ट्र सरकार ने उनके ख़िलाफ़ जाँच के आदेश दिए थे। दरअसल पूरा मामला साल 2007 में हुई पुलिस भर्ती से जुड़ा है। साल 2007 में हुई पुलिस भर्ती की परीक्षा में मराठी में लिखना अनिवार्य था, लेकिन अब्दुर रहमान ने ‘विशेष समुदाय’ के लोगों को उर्दू में लिखने की अनुमति दी थी। साथ ही महिला अभ्यार्थियों का कोटा होने के बावजूद भी उनकी भर्ती नहीं की थी।

‘Pak में मेरे परिवार को मुस्लिम बना दिया’ – CAB पर बोलना था विरोध में, डेरेक ओ’ब्रायन ने सच उगल दिया

हिन्दू बच्चियों को जबरिया पढ़वाया जाता है कलमा, 95% मंदिर छीन लिए, सिखों के सर होते हैं कलम: ओवैसी जी, ये रहा डेटा

नागरिकता विधेयक पर ही BJP को मिली दोबारा सत्ता, बिना घोषणापत्र पढ़े ही शेखर गुप्ता फैला रहे झूठ-भ्रम

Join OpIndia's official WhatsApp channel

  सहयोग करें  

एनडीटीवी हो या 'द वायर', इन्हें कभी पैसों की कमी नहीं होती। देश-विदेश से क्रांति के नाम पर ख़ूब फ़ंडिग मिलती है इन्हें। इनसे लड़ने के लिए हमारे हाथ मज़बूत करें। जितना बन सके, सहयोग करें

ऑपइंडिया स्टाफ़
ऑपइंडिया स्टाफ़http://www.opindia.in
कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

संबंधित ख़बरें

ख़ास ख़बरें

महाराष्ट्र में चुनाव देख PM मोदी की चुनौती से डरा ‘बच्चा’, पुण्यतिथि पर बाला साहेब ठाकरे को किया याद; लेकिन तारीफ के दो शब्द...

पीएम की चुनौती के बाद ही राहुल गाँधी का बाला साहेब को श्रद्धांजलि देने का ट्वीट आया। हालाँकि देखने वाली बात ये है इतनी बड़ी शख्सियत के लिए राहुल गाँधी अपने ट्वीट में कहीं भी दो लाइन प्रशंसा की नहीं लिख पाए।

घर की बजी घंटी, दरवाजा खुलते ही अस्सलाम वालेकुम के साथ घुस गई टोपी-बुर्के वाली पलटन, कोने-कोने में जमा लिया कब्जा: झारखंड चुनावों का...

भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने बीते कुछ वर्षों में चुनावी रणनीति के तहत घुसपैठियों का मुद्दा प्रमुखता से उठाया है।

प्रचलित ख़बरें

- विज्ञापन -