कॉन्ग्रेस अध्यक्ष सोनिया गाँधी के प्रवासी श्रमिकों को घर भेजने के लिए आवश्यक किराया वहन करने की बात की सच्चाई से खुद कॉन्ग्रेस शासित राज्य राजस्थान ने पर्दा उठाने का काम किया है। राजस्थान सरकार ने स्वीकार किया है कि उन्होंने जयपुर-पटना श्रमिक स्पेशल ट्रेन से सफर कर रहे मजदूर-श्रमिकों से रेल का किराया लिया है।
#Breaking | Showdown over migrants in Rajasthan.
— TIMES NOW (@TimesNow) May 5, 2020
Rajasthan Govt admits to charging migrants for the Jaipur-Patna Shramik Special train.
Details by Arvind. pic.twitter.com/GWoe11nG78
राजस्थान सरकार ने खुद स्वीकारी बात
कॉन्ग्रेस ने एक दिन पहले ही यह दावा किया है कि राजस्थान सरकार ने प्रदेश में फँसे बिहार के श्रमिकों को अपने खर्चे पर उनकी गृह राज्य में वापसी करवाई है। राजस्थान सरकार ने दावा किया था कि जयपुर से स्पेशल ट्रेन में भेजे गए 1200 मजदूर-श्रमिकों के किराए का भुगतान राज्य सरकार ने उत्तर पश्चिम रेलवे को कर दिया है।
वहीं, इसके बाद सीएम अशोक गहलोत ने भी सोमवार (मई 04, 2020) को इस बात की घोषणा भी कर दी थी कि लॉकडाउन में फँसे सभी श्रमिकों से घर वापसी राज्य सरकार अपने खर्च पर करवाएगी।
कॉन्ग्रेस पार्टी ने ऐसा करके एक ओर जहाँ अपने खर्चे पर श्रमिकों को घर भेजने का झूठा दावा किया वहीं, राजस्थान सरकार ने भी अपने राजस्व के जरिए अपनी पार्टी के अरमानों को पूरा करने की बात मीडिया के सामने रखी।
लेकिन यदि राजस्थान सरकार और कॉन्ग्रेस, दोनों में से ही किसी एक ने भी इन श्रमिकों का खर्चा वहन नहीं किया है तो ऐसे में इन दोनों की ही मंशा पर प्रश्नचिन्ह लगाया जा रहा है।
वास्तव में, लॉकडाउन में लोगों को घर भेजने जैसी बड़ी बड़ी बातें तो कॉन्ग्रेस ने जोश में आकर खूब की हैं, लेकिन वास्तविकता यही है कि खुद कॉन्ग्रेस शासित राज्य ही अभी तक अपनी पार्टी अध्यक्ष सोनिया गाँधी के फैसले पर सहमत और एकजुट नजर नहीं आ रहे हैं।
सोनिया गाँधी की बात पर एकमत नहीं है कॉन्ग्रेस
मीडिया की अटेंशन में जुटी कॉन्ग्रेस में मजदूरों के किराए के सवाल पर अभी तक भी स्पष्ट नहीं है क्योंकि उन्होंने सरकार के निर्देशों को समझा ही नहीं है। एक तरफ सोनिया गाँधी कहती हैं कि मजदूरों का किराया कॉन्ग्रेस देगी। भूपेश बघेल पूछते हैं राज्य क्यों दे किराया? अशोक गहलोत कहते हैं राज्य ही देगा। जबकि अंत में श्रमिक खुद अपना किराया देकर रेल से यात्रा करते हैं।
तीन बड़े नेताओं के तीन अलग-अलग किस्म के बयान ये बताते हैं कि पार्टी श्रमिक एक्सप्रेस मामले पर राजनीति करना चाह रही है और जबरदस्ती का मुद्दा बना कर भाजपा को मजदूर-विरोधी दिखाना चाहती है।
झूठ फैलाने का काम तो पत्रकारों द्वारा शुरू ही करवा दिया गया था। रोहिणी सिंह, अजीत अंजुम और रवीश कुमार ने पहले ही माहौल बना दिया था। सोनिया गाँधी का बयान आते ही सागरिका घोष जैसों ने कॉन्ग्रेस की पीठ थपथपा कर इसे आगे बढ़ाया। ‘द हिन्दू’ की ख़बर के माध्यम से भ्रम का माहौल पैदा किया गया। जबकि बाद में सामने आया कि कॉन्ग्रेस शासित राज्य महाराष्ट्र और राजस्थान ही किराया देने में आनाकानी कर रहे हैं।