भाजपा पर निशाना साधने के चक्कर में मध्य प्रदेश के कॉन्ग्रेस नेता जीतू पटवारी खुद विवादों में घिर गए। बुधवार को उन्होंने एक ट्वीट किया। इस ट्वीट में उन्होंने केंद्र सरकार पर ये कहते हुए निशाना साधा कि केंद्र का प्रयास था कि एक बेटा यानी ‘विकास’ हो। लेकिन उसके बदले 5 बेटियाँ यानी ‘नोटबंदी’, ‘जीएसटी’, ‘महंगाई’, ‘बेरोजगारी’ और ‘मंदी’ पैदा हो गई।
People like him are the reason why girl child is still a non acceptence
— Nikita Agarwal (@SweetKristy__) June 24, 2020
Shame on jitu patwari pic.twitter.com/nE1lvgl7D9
अब सोशल मीडिया पर इसी ट्वीट को लेकर उन्हें जमकर खरी-खोटी सुनाई जा रही है। साथ ही कहा जा रहा है कि इन्हीं जैसे लोगों के कारण अब भी समाज में लड़की स्वीकार्य नहीं है।
वहीं भाजपा ने भी जीतू पटवारी के इस ट्वीट पर संज्ञान लिया है। उन्होंने पटवारी को नारी विरोधी बताते हुए कॉन्ग्रेस से उन्हें निकालने को कहा है। मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी पटवारी के ट्वीट पर अपनी प्रतिक्रिया दी है।
प्रदेश मुख्यमंत्री ने कहा, “एक ओर तो पूरा देश रानी दुर्गावती के त्याग को याद कर रहा है। जबकि दूसरी ओर कॉन्ग्रेस भारत की बेटियों को अपमानित कर रही है। क्या कॉन्ग्रेस की इसी विकृत मानसिकता की बलि नैना साहनी, सरला मिश्रा, प्रीति मिश्रा जैसी अनेक बेटियाँ चढ़ा दी गईं? धिक्कार है कॉन्ग्रेस की ऐसी निकृष्टम विचारधारा पर!”
आज एक तरफ पूरा देश रानी दुर्गावती के बलिदान को याद कर रहा है, तो दूसरी तरफ कांग्रेस बेटियों को अपमानित कर रही है।
— Shivraj Singh Chouhan (@ChouhanShivraj) June 24, 2020
क्या कांग्रेस की इसी विकृत मानसिकता की बलि नैना साहनी, सरला मिश्रा, प्रीति मिश्रा जैसी अनेक बेटियां चढ़ा दी गईं?
धिक्कार है कांग्रेस की ऐसी निकृष्टम विचारधारा पर! pic.twitter.com/1zU81IJL0w
इसी प्रकार राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष रेखा शर्मा ने भी संबित पात्रा की शिकायत पर जीतू के ट्वीट पे संज्ञान लिया। संबित पात्रा ने जीतू पटवारी के ट्वीट के मद्देनजर रेखा शर्मा को टैग करते हुए लिखा था, “कृपया इस चुने हुए प्रतिनिधि के इस बेहद गलत ट्वीट पर ध्यान दें जो बेटियों को अवांछित और सबसे घटिया तरीके से पेश करता है।”
जिसपर रेखा शर्मा ने कहा, “ये दुखद है कि ऐसी मानसिकता के लोग खुद को नेता कहते हैं। मैं हैरान हूँ। ये लोग अपने समर्थकों को क्या सिखाते होंगें। उनसे इसपर अवश्य स्पष्टीकरण माँगा जाएगा।”
Sad that these people with this kind of mind set are calling themselves leaders. What are they teaching to their followers I wonder. Will ask for an explanation from him for sure. @sambitswaraj https://t.co/ETanvE65I5
— Rekha Sharma (@sharmarekha) June 24, 2020
यहाँ बता दें, ट्वीट के कुछ घंटों में ही ढेरों आलोचनाओं का सामना करने के बाद जीतू पटवारी ने अपनी सफाई में देर रात लड़कियों पर एक और पोस्ट डाला। इस पोस्ट में उन्होंने लिखा, “जहाँ तक बात बेटियों की है तो वो देवीतुल्य हैं। विकास की अपेक्षा के साथ मैंने एक ट्वीट किया है जिसे बीजेपी अपनी कमज़ोरियों को छिपाने के लिए उपयोग कर रही है। मैं अब भी कह रहा हूँ कि ‘विकास’ का पूरे देश को इंतजार है।”
जहां तक बात बेटियों की है तो वो देवीतुल्य हैं।
— Jitu Patwari (@jitupatwari) June 24, 2020
विकास की अपेक्षा के साथ मैंने एक ट्वीट किया है जिसे बीजेपी अपनी कमज़ोरियों को छिपाने के लिये उपयोग कर रही है।
मैं अब भी कह रहा हूँ कि “विकास” का पूरे देश को इंतजार है।
अपने दूसरे ट्वीट में पटवारी ने लिखा, “मोदी जी ने नोटबंदी, जीएसटी, महंगाई, बेरोज़गारी और मंदी से देश की अर्थव्यवस्था की कमर तोड़ दी..! जनता यह सब केवल “विकास” की उम्मीद में सहन करती रही। उपरोक्त आशय के साथ किए गए मेरे ट्वीट से यदि किसी की भावनाएँ आहत हुई हैं तो मैं खेद व्यक्त करता हूँ।”
मोदी जी ने नोटबंदी, जीएसटी, महंगाई, बेरोज़गारी और मंदी से देश की अर्थव्यवस्था की कमर तोड़ दी..!
— Jitu Patwari (@jitupatwari) June 24, 2020
—जनता यह सब केवल “विकास” की उम्मीद में सहन करती रही।
उपरोक्त आशय के साथ किये गये मेरे ट्वीट से यदि किसी की भावनायें आहत हुई हैं तो मैं खेद व्यक्त करता हूँ।
उल्लेखनीय है कि, मध्यप्रदेश की सत्ताधारी पार्टी भाजपा व महिला आयोग के अलावा इसपर राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आय़ोग ने भी संज्ञान लिया है। एनसीपीसीआर ने कहा कि इस ट्वीट ने बेटी की बजाय बेटे को प्राथमिकता देने की सदियों पुरानी गलत सोच का न केवल समर्थन किया, बल्कि इसने बच्चियों के प्रति उनकी मानसिकता और रवैये को भी दर्शाया। इसी सोच के कारण देश में कन्या भ्रूण हत्या की दर बढ़ गई है।
आयोग ने पटवारी को भेजे पत्र में कहा कि एक नेता का किसी पर राजनीतिक निशाना साधने के लिए नैतिकता का उल्लंघन करना और इससे समाज को होने वाले नुकसान को नजरअंदाज करना अनुचित है।
पत्र में लिखा गया, “अपने ट्वीट से इस प्रकार की अपमानजनक टिप्पणी करने का धृष्ट कृत्य बेटियों के अस्तित्व का ही अनादर नहीं करता, बल्कि यह हमें दशकों पीछे ले जाता है और लैंगिक समानता एवं बच्चियों के अधिकारों के लिए किए गए अनगिनत संघर्षों एवं बलिदानों पर पानी फेरने का काम करता है।”