Saturday, July 27, 2024
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‘गायों की सुरक्षा हमारी प्राथमिकता’: कर्नाटक में जल्द पारित होगा गोहत्या पर पाबंदी से जुड़ा विधेयक

"जब बीजेपी सत्ता में थी, हमने 2010 में कानून पारित किया था। गृह मंत्रालय ने हमें कुछ संशोधन करने के निर्देश दिए थे। हालाँकि, जब सिद्धारमैया सरकार सत्ता में आई, तब उन्होंने इसका पालन नहीं किया।''

कर्नाटक में भी अब जल्द ही गोहत्या विरोधी विधेयक पारित होगा। राज्य के पशुपालन मंत्री प्रभु चौहान ने शुक्रवार (जुलाई 10, 2020) को इसकी पुष्टि की। उन्होंने कहा कि कई राज्यों ने गोहत्या विरोधी विधेयक पारित किया है, हम इसे कर्नाटक में भी लागू करने की तैयारी कर रहे हैं। राज्य सरकार जल्द ही कई अन्य राज्यों की तर्ज पर गोहत्या, बिक्री और गोमांस की खपत पर प्रतिबंध लगाएगी। 

बता दें कि बीजेपी ने 2018 के विधानसभा चुनावों के लिए अपने घोषणा पत्र में गोहत्या पर प्रतिबंध का वादा किया था। प्रभु चौहान ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि कर्नाटक सरकार गोहत्या और संरक्षण विधेयक 2012 को वापस लाने की तैयारी कर रही है और राज्य के अधिकारियों को गुजरात और उत्तर प्रदेश में भेजा जाएगा।

उन्होंने संवाददाताओं से कहा कि एक बार कानून लागू हो जाने के बाद गायों को बेचने और उनके वध के साथ ही गायों को अन्य राज्यों में ले जाए जाने पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया जाएगा।

पशुपालन मंत्री ने कहा, “गायों की सुरक्षा हमारी प्राथमिकता है। हमने पहले ही गोशालाओं को मजबूत करना शुरू कर दिया है।” मंत्री ने आगे कहा कि उन्होंने स्थानीय गाय की नस्लों की रक्षा के लिए चुनाव के दौरान गोसेवा आरोग्य शुरू करने की घोषणा की थी।

प्रभु चौहान ने कहा कि उन्होंने गोहत्या पर प्रतिबंध के लिए जमीनी स्तर पर तैयारी शुरू कर दी है। उन्होंने कहा कि तेलंगाना, असम, बिहार, दिल्ली, गुजरात, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, जम्मू और कश्मीर, झारखंड, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, ओडिशा, पंजाब, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश और अन्य राज्यों ने गोहत्या विरोधी कानून लागू किया है। कर्नाटक में भी इसे जल्द ही लागू किया जाएगा।

चौहान ने आगे कहा, “एक बार जब हम कोविड -19 संकट पर काबू पा लेते हैं, तो कानूनों का अध्ययन करने के लिए अधिकारियों को गुजरात और उत्तर प्रदेश भेजा जाएगा। जब बीजेपी सत्ता में थी, हमने 2010 में कानून पारित किया था। गृह मंत्रालय ने हमें कुछ संशोधन करने के निर्देश दिए थे। हालाँकि, जब सिद्धारमैया सरकार सत्ता में आई, तब उन्होंने इसका पालन नहीं किया।”

उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार, राज्य ने कर्नाटक पशु कल्याण बोर्ड का गठन किया है। वर्तमान में, लगभग 85.22 लाख मवेशी, 29.98 लाख भैंस, 110.91 लाख भेड़, 61.96 लाख बकरियाँ, 3.26 लाख सूअर और 617 लाख मुर्गी, और 4,214 पशु अस्पताल हैं। सरकार आवारा पशुओं के लिए पानी के टैंक और शेड के निर्माण को प्रोत्साहित कर रही है। लॉकडाउन अवधि के दौरान, ऐसी कई संरचनाएँ बनाईं गईं, और जानवरों और पक्षियों को बचाया गया।

चौहान ने कहा कि विभाग जल्द ही एंबुलेंस शुरू करने जा रहा है, जो जानवरों के इलाज के लिए खेतों तक पहुँचेगी। यह एम्बुलेंस स्कैनिंग, ऑपरेशन थिएटर और टेस्टिंग लैब की सुविधाओं से लैस होगी। इसके साथ ही उन्होंने टॉल फ्री नंबर के शुरुआत की भी बात कही, जिस पर कॉल करने के चार घंटे के भीतर टीम मौके पर पहुँच जाएगी।

भारत में गोहत्या पर प्रतिबंध

गोहत्या पर प्रतिबंध संविधान के अनुच्छेद 48 में निहित राज्य नीति का एक निर्देशक सिद्धांत है। इसमें लिखा गया है, “राज्य आधुनिक और वैज्ञानिक तर्ज पर कृषि और पशुपालन को संगठित करने का प्रयास करेगा और विशेष रूप से नस्लों के संरक्षण और सुधार के लिए कदम उठाएगा और गायों एवं बछड़ों और अन्य दुधारू पशुओं के वध को प्रतिबंधित करेगा”।

वर्तमान में, केरल, पश्चिम बंगाल और पूर्वोत्तर राज्यों जैसे अरुणाचल प्रदेश, मिजोरम, मेघालय, नागालैंड, त्रिपुरा और सिक्किम के अलावा, भारत के अधिकांश हिस्सों में गौहत्या प्रतिबंधित है। मणिपुर में, अदालत ने गोहत्या पर प्रतिबंध लगा दिया, लेकिन गोमांस का व्यापक रूप से सेवन किया जाता है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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