Saturday, July 27, 2024
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कर्नाटक के स्कूलों में अब वक्फ बोर्ड को चाहिए नमाज के लिए कमरा: गणेशोत्सव की अनुमति से भड़के, शिक्षा मंत्री से माँगा इस्तीफा

गणेशोत्सव की अनुमति देते हुए कर्नाटक के शिक्षा मंत्री ने कहा था कि यह एक गैर.धार्मिक आयोजन है जो समाज को एकजुट करता है। साथ ही स्कूलों में इसे मनाने की परंपरा देश की स्वतंत्रता से पहले से चल रही है।

कर्नाटक के शिक्षा मंत्री बीसी नागेश (BC Nagesh) मुस्लिम संगठनों के निशाने पर हैं। शैक्षणिक संस्थानों में गणेश चतुर्थी (Ganesh Chaturthi) मनाने की अनुमति दिए जाने को लेकर उनके इस्तीफे की माँग कर रहे हैं। वक्फ बोर्ड ने इस फैसले पर नाराजगी जताते हुए शैक्षणिक संस्थानों में नमाज पढ़ने के लिए अलग कमरा और मुस्लिम त्योहारों को मनाने की अनुमति देने की माँग की है। वहीं कैंपस फ्रंट ऑफ इंडिया (CFI) के प्रदेश अध्यक्ष आठवुल्ला पुंजालकट्टे (Athavulla Punjalkatte) ने मंत्री के इस्तीफे की माँग की।

कट्टरपंथी संगठन पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) की छात्र शाखा CFI ने मंत्री के फैसले को एकतरफा और पक्षपातपूर्ण बताया है। ट्वीट कर कहा है, “शिक्षा मंत्री को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और बुनियादी ढाँचे के विकास पर ध्यान देना चाहिए न कि सांप्रदायिक नीतियों और बयानों पर।”

दरअसल, बेंगलुरु (Bengaluru) में गुरुवार (18 अगस्त 2022) को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में नागेश ने कहा था, “स्कूलों को हर साल की तरह इस साल भी गणेश चतुर्थी मनाने की पूरी आजादी है। यह एक गैर-धार्मिक आयोजन है, जो समाज को एकजुट करता है।” उन्होंने स्कूलों में गणेश चतुर्थी मनाने की अनुमति देते हुए कहा कि देश की आजादी से पहले से भी स्कूलों में इस तरह के कार्यक्रम आयोजित किए जाते थे। साथ ही उन्होंने स्कूलों में अन्य धार्मिक गतिविधियों की अनुमति देने से इनकार किया।

शिक्षा मंत्री ने कहा था, “गणेशोत्सव इस देश में स्वतंत्रता आंदोलन के हथियार के रूप में शुरू किया गया था। इससे पहले गणपति पूजा घरों के अंदर की जाती थी। बाल गंगाधर तिलक के आह्वान पर स्कूलों, छात्रावासों और सार्वजनिक स्थानों पर गणपति उत्सव शुरू किया गया था। इस तरह की परंपरा पीढ़ियों से चली आ रही हैं और इसे रोकने का कोई सवाल ही नहीं है। हमने धार्मिक प्रथाओं के लिए कोई नई अनुमति नहीं दी है।”

लेकिन मुस्लिम संगठनों को यह रास नहीं आ रहा। वे इसे हिजाब मामले में उच्च न्यायालय के फैसले से जोड़कर देख रहे हैं। हाई कोर्ट ने कक्षाओं के अंदर हिजाब और भगवा शॉल सहित सभी धार्मिक प्रतीकों के इस्तेमाल पर रोक लगा दी थी। कर्नाटक वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष शाफी सादी (Shaafi Saadi) ने सरकार के इस कदम पर सवाल उठाते हुए कई माँगे रखी हैं। उन्होंने मुस्लिम त्योहार मनाने की इजाजत देने और छात्रों को हर रोज नमाज अदा करने के लिए एक अलग कमरा देने की माँग की है। उनका कहना है कि सभी धर्म के छात्रों को समान अवसर दिया जाना चाहिए। बच्चों के लिए धर्मों पर जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए जाने चाहिए। नैतिक शिक्षा की नींव मजबूत करने के लिए छात्रों को मजहबी पाठ पढ़ाया जाना चाहिए।

वहीं, श्रीराम सेना के प्रमुख प्रमोद मुतालिक ने वक्फ बोर्ड के माँगों की निंदा करते हुए सरकार से इसे खारिज करने की माँग की है। मुतालिक ने कहा, “आज वे स्कूलों में नमाज की अनुमति माँग रहे हैं, कल शुक्रवार को छुट्टी की माँग करेंगे। स्कूलों के इस इस्लामीकरण की अनुमति सरकार को नहीं देनी चाहिए।”

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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