Sunday, September 1, 2024
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बसवराज बोम्मई ने ली कर्नाटक CM की शपथ, ‘जंजीर’ देख रहे थे पिता जब मिली थी मुख्यमंत्री चुने जाने की खबर

कई दलों में उनके अच्छे सम्बन्ध हैं और एक कुशल प्रशासक के रूप में वो पहले भी अपना लोहा मनवा चुके हैं। उन्होंने पूरे कर्नाटक के सिचाई व्यवस्था को आधुनिक बनाने में बड़ी भूमिका निभाई है।

भाजपा नेता बसवराज बोम्मई (Basavaraj Bommai) ने बुधवार (28 जुलाई, 2021) को कर्नाटक के नए मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली। राजनीति का उनका लंबा अनुभव है। वरिष्ठ नेता येदियुरप्पा की सरकार में वो गृह, कानून और संसदीय मामलों के मंत्री थे। साथ ही वो उडुपी और हावेरी जैसे जिलों के प्रभारी मंत्री भी थे। उनका राजनीतिक करियर जनता दल से शुरू हुआ था। वो हावेरी के शिग्गओं से लगातार तीसरी बार विधायक बने हैं।

उनके पिता एसआर बोम्मई भी कर्नाटक के मुख्यमंत्री रहे थे। उन्हें बीएस येदियुरप्पा का करीबी माना जाता है। जुलाई 2011 में जब येदियुरप्पा पर अवैध खनन मामले में भ्रष्टाचार के आरोप लगे थे, तब उनके दो मंत्री बसवराज बोम्मई और मुरुगेश निरानी उनकी तरफ से बयान देने आए थे। येदियुरप्पा भले ही मुख्यमंत्री की कुर्सी जाने से खुश न हों, लेकिन बसवराज बोम्मई का नाम उन्होंने ही सुझाया है और उनके लिए शायद यही सबसे सुरक्षित विकल्प भी था।

वो भी येदियुरप्पा की तरह लिंगायत समुदाय से आते हैं। जहाँ येदियुरप्पा लिंगायत के बनजिगा समाज से आते हैं, बसवराज बोम्मई सदर समाज से। कर्नाटक में लिंगायत समुदाय की जनसंख्या 17% है और वहाँ की राजनीति पर लिंगायत मठों का काफी प्रभाव है, इसीलिए उनका चुनाव किया गया। उन्होंने अपने पिता के नक्शेकदम पर चलते हुए पश्चिमी कर्नाटक के धारवाड़ से 1998 और 2004 में ‘जनता दल’ से विधान पार्षद का चुनाव जीते थे। उनके पिता को जब CM बनने की खबर मिली थी, तब वो ‘जंजीर’ फिल्म देख रहे थे।

उन्होंने 2008 में भाजपा में शामिल होने का फैसला लिया और भाजपा नेताओं ने धूमधाम से स्वागत किया। उत्तरी कर्नाटक में पार्टी को मजबूत करने में उनका बड़ा योगदान रहा है। 2008 में उन्हें जल-संसाधन मंत्रालय दिया गया था। प्रोफेशन से वो मैकेनिकल इंजिनियर हैं। युवावस्था में उन्होंने पुणे में टेल्को कंपनी में जॉब भी किया है। 1995 में उन्हें ‘जनता दल’ का जनरल सेक्रेटरी नियुक्त किया गया था। अगले ही वर्ष वो तत्कालीन मुख्यमंत्री जेएच पटेल के राजनीतिक सचिव बनाए गए।

हालाँकि, अधिकतर भाजपा नेताओं की तरह वो RSS से नहीं जुड़े हुए हैं। कई दलों में उनके अच्छे सम्बन्ध हैं और एक कुशल प्रशासक के रूप में वो पहले भी अपना लोहा मनवा चुके हैं। उन्होंने पूरे कर्नाटक के सिचाई व्यवस्था को आधुनिक बनाने में बड़ी भूमिका निभाई है। उनका जन्म 18 जनवरी, 1960 को हुआ था। वो एक कृषि विशेषज्ञ भी हैं। हावेरी में उन्होंने भारत का पहले शत-प्रतिशत सिंचाई परियोजना का निर्माण करवाया और उसे लागू करवाया।

बसवराज बोम्मई ने कहा है कि उनकी सरकार जनता के हित में काम करेगी और ये गरीबों की सरकार होगी। उनके पास एचडी देवेगौड़ा और रामकृष्ण हेगड़े जैसे बड़े नेताओं के साथ करीब से काम करने का अनुभव है। उन्होंने कहा है कि कोरोना की स्थिति को संभालने को भी वो एक नई चुनौती के रूप में लेंगे। उन्हें शांत स्वाभाव का माना जाता है, जो मजबूत निर्णय तो लेते हैं लेकिन उससे पहले लंबा विचार-विमर्श करते हैं।

सदन में जब-जब तनाव हुआ, भाजपा ने उन्हें स्थिति को संभालने के लिए लगाया। राज्य के गृह मंत्री के रूप में उन्होंने बेंगलुरु में इस्लामी दंगे को नियंत्रित किया। साथ ही पार्टी का आलाकमान भी उनसे खुश रहा है। व्यक्तिगत जीवन की बात करें तो उनके परिवार में पत्नी और दो संतान हैं। हाल ही में उनके पालतू कुत्ते की मौत के बाद पूरे परिवार को भावुक देखा गया था। अब वो कर्नाटक के मुख्यमंत्री हैं।

याद हो कि केंद्र की राजीव गाँधी की कॉन्ग्रेस सरकार ने उनके पिता एसआर बोम्मई की सरकार को 21 अप्रैल 1989 को संविधान के अनुच्छेद 356 के अंतर्गत कर कर्नाटक में राष्ट्रपति शासन लगा दिया था। उन्हें बहुमत साबित करने का भी मौका नहीं दिया गया था। इसके बाद यह मामला सुप्रीम कोर्ट में गया। एसआर बोम्मई बनाम भारत सरकार नाम से मशहूर इस मामले में 1994 में शीर्ष अदालत का फैसला आया था। इसमें अदालत ने उनकी सरकार की बर्खास्तगी को अनुचित बताया था।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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