प्रोपेगेंडा और झूठ फैलाने के लिए कुख्यात सुप्रीम कोर्ट के वकील प्रशांत भूषण ने इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM) को लेकर गड़े मुर्दे उखाड़े हैं। भूषण ने माँग की है कि चुनाव आयोग EVM का सोर्स कोड सार्वजनिक कर दे। भूषण ने यह माँग तब की है जब इसे पहले ही सुप्रीम कोर्ट द्वारा नकारा जा चुका है। कोर्ट ने कहा था कि सोर्स कोड सार्वजनिक करने से इसमें गड़बड़ी का खतरा बढ़ेगा।
चुनाव आयोग के विरुद्ध प्रलाप करते हुए प्रशांत भूषण ने एक्स (पहले ट्विटर) पर लिखा, “जिस तरह से चुनाव आयोग सरकार की गोद में बैठ कर काम कर रहा है और EVM की चिप का सोर्स कोड नहीं दे रहा है और ना ही विपक्षी पार्टियों से इस मामले पर बातचीत कर रहा है और यहाँ तक कि VVPAT की पर्चियों की गिनती से इनकार कर रहा है, उसके खराब मंतव्य को दर्शाती है।”
The manner in which the lapdog CEC is behaving wrt EVMs: Not revealing the source code of the programmable chips; not willing to meet Opp parties on this; not willing to even count the VVPAT slips; reveals the malafide intent of the CEC.
— Prashant Bhushan (@pbhushan1) April 13, 2024
They must know they will be jailed if… https://t.co/Ynwr8L6o4N
प्रशांत भूषण ने चुनाव आयोग को धमकी दी कि अगर यह लोग EVM के साथ गड़बड़ी करते पाए जाते हैं तो उन्हें जेल जाना होगा। EVM को लेकर यह प्रलाप भूषण ने एक मीडिया रिपोर्ट के हवाले से किया है जिसमें कहा गया कि मुख्य सूचना आयुक्त ने चुनाव आयोग की आलोचना की। यह RTI, EVM और VVPAT के सम्बन्ध में दी गई थी। यह RTI पूर्व IAS अधिकारी एम जी देवसहायम द्वारा दायर की गई थी।
देवसहायम उन लोगों में से हैं जिन्होंने EVM, VVPAT और वोटों की गिनती के बारे में भ्रम फ़ैलाने की कोशिश की थी। देवसहायम ने इस सम्बन्ध में एक RTI नवम्बर, 2022 में चुनाव आयोग के समक्ष लगाई थी।
प्रशांत भूषण ने जिस आधार पर चुनाव आयोग पर हमला बोला, उसको लेकर सुप्रीम कोर्ट का निर्णय पहले ही आ चुका है। सुप्रीम कोर्ट इस माँग को ठुकरा चुका है। सुप्रीम कोर्ट ने नवम्बर 2023 में एक याचिका खारिज की थी जिसमें यह माँग की गई थी कि VVPAT पर्चियों की भी गिनती की जाए। इसी याचिका में EVM के सोर्स कोड को भी सार्वजनिक किए जाने की माँग की गई थी।
देश के मुख्य न्यायाधीश ने इस मामले की सुनवाई करते हुए कहा था कि हमारे पास भला ऐसा क्या सबूत है कि हम चुनाव आयोग पर शंका व्यक्त करें। उन्होंने कहा था कि सोर्स कोड सार्वजनिक नहीं किया जा सकता, इससे इसको लेकर खतरा और बढ़ जाएगा।
भूषण ने यह झूठ भी बोला कि चुनाव आयोग VVPAT पर्चियों की गिनती करने को तैयार नहीं है। वर्तमान में सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार, प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र में पांच EVM-VVPAT की पर्चियों की गिनती की जाती है। इन पर्चियों की गिनती के लिए VVPAT को सामान्य पर्यवेक्षक और उम्मीदवारों या उनके प्रतिनिधियों की उपस्थिति में चुनाव अधिकारी द्वारा पाँच EVM VVAPT चुनी जाती हैं। इन पर्चियों की गिनती सुरक्षित तौर पर मतगणना हॉल में होती है।
VVPAT से निकली सभी पर्चियों की गिनती को लेकर सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका भी लंबित है। चुनाव आयोग ने इसका विरोध किया है। आयोग ने कहा है कि इससे परिणाम जारी करने की तिथि 5-6 दिन आगे बढ़ जाएगी।
चुनाव आयोग अपनी वेबसाइट पर भी यह साफ़ कर चुका है कि EVM क्यों नहीं हैक हो सकती। चुनाव आयोग ने साफ़ कहा है कि वह कोई भी EVM विदेश से नहीं मंगाता। सारी EVM भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (BEL) और इलेक्ट्रॉनिक्स कारपोरेशन द्वारा निर्मित हैं। इनमे लगने वाली चिप विदेश से आती है क्योंकि यह भारत में कोई बनाता ही नहीं। इसकी सुरक्षा को लेकर भी पहले भारत में सोर्स कोड लिखा जाता है और उसे मशीन कोड में बदला जाता है। विदेशी कम्पनी को यह मशीन कोड दिया जाता है, इसमें गड़बड़ी नामुमकिन है।