कॉन्ग्रेस अध्यक्ष राहुल गाँधी ने आचार संहिता उल्लंघन के मामले में चुनाव आयोग में जवाब दाखिल किया। इसमें उन्होंने निर्वाचन आयोग को नसीहत दी है कि आयोग आचार संहिता के उल्लंघन से जुड़ी शिकायतों का निपटारा करते वक्त निष्पक्ष रहे और कॉन्ग्रेस के खिलाफ भेदभावपूर्ण रवैया न अपनाए। राहुल गाँधी का कहना है कि उन्होंने आदिवासियों के बारे में जो बयान दिया था, उसमें उन्होंने आचार संहिता का उल्लंघन नहीं किया है।
#LokSabhaElections2019: Didn’t violate poll code, says Rahul in reply to show cause notice; asks EC to be ‘fair and non-discriminatory’https://t.co/Jz31A00xUx
— DNA (@dna) May 11, 2019
दरअसल, राहुल गाँधी ने 23 अप्रैल को मध्यप्रदेश के शहडोल में कहा था कि मोदी सरकार एक ऐसा कानून लेकर आई है, जिसके तहत आदिवासियों को गोली मारी जा सकती है। वो आपकी जमीन और जंगल पर कब्जा कर सकते हैं। इसके बाद चुनाव आयोग ने उन्हें नोटिस जारी कर जवाब माँगा था। चुनाव आयोग के कारण बताओ नोटिस के जवाब में राहुल ने कहा कि उन्होंने भारतीय वन कानून में प्रस्तावित संशोधन को अपने एक राजनीतिक भाषण में संक्षिप्त कर सरल ढंग से समझाने का प्रयास किया था। इसके पीछे जनता को गुमराह करने या झूठ फैलाने की कोई मंशा नहीं थी।
राहुल ने कहा कि भाजपा ने उन्हें लोकसभा चुनाव में प्रचार करने से रोकने के लिए उनके खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी, क्योंकि वह एक राजनीतिक पार्टी के प्रमुख होने के साथ ही उसके स्टार प्रचारक भी हैं। उन्होंने कहा कि उनकी आलोचना मोदी सरकार की नीतियों, कार्यक्रमों और कार्यों तक ही सीमित थी। भाषणों में मोदी सरकार के कामकाज की आलोचना करना आचार संहिता का उल्लंघन नहीं है। शहडोल में भाजपा की आदिवासी विरोधी नीतियों को लेकर दिया गया था। इसलिए शिकायत को रद्द किया जाना चाहिए।
राहुल गाँधी ने चुनाव आयोग से कहा कि आयोग पार्टियों के खिलाफ की गई शिकायतों पर कार्रवाई करते वक्त निष्पक्ष, गैर-भेदभावपूर्ण, गैर-मनमाना और संतुलित दृष्टिकोण अपनाए। उन्होंने चुनाव प्रचार के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह सहित भाजपा नेताओं द्वारा दिये गए कई बयानों का हवाला दिया, जिनमें कई नेताओं ने ‘आपत्तिनजक’ शब्दों का इस्तेमाल किया था।