कोरोनो वायरस लॉकडाउन के कारण राज्य की अर्थव्यवस्था खराब होने के बावजूद मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे अपनी महाविकास आघाड़ी सरकार को प्रमोट करने के लिए 5 करोड़ रुपए से अधिक की राशि खर्च करने के लिए तैयार हैं।
शिवसेना की अगुवाई वाली महाविकास आघाड़ी समिति के प्रशासन विभाग ने मुख्यमंत्री और महाराष्ट्र सरकार के पीआर के प्रबंधन के आवेदन करने के लिए निजी विज्ञापन एजेंसियों को आमंत्रित करते हुए एक ई-टेंडर जारी किया है।
![](https://i0.wp.com/hindi.opindia.com/wp-content/uploads/sites/6/2020/09/1600444418443.jpg?resize=495%2C748&ssl=1)
![](https://i0.wp.com/hindi.opindia.com/wp-content/uploads/sites/6/2020/09/1600444456931-1.jpg?resize=696%2C732&ssl=1)
सीएमओ और सूचना व जनसंपर्क महानिदेशालय द्वारा जारी एक सरकारी संकल्प में कहा गया है कि एजेंसियाँ ऑडियो विजुअल कंटेंट का उपयोग करें और रचनात्मक चीजें विकसित करके, सरकार की छवि और नीतियों को बढ़ावा देने के लिए अभियानों के साथ आएँ। यह बात सोशल मीडिया के जरिए सामने आई है। इस पूरी पीआर एक्सरसाइज की कीमत 5,43,60, 240 रुपए है, जो कि 5 करोड़ 50 लाख रुपए से सिर्फ़ थोड़ी कम है।
ठाकरे सरकार ने अपने इस कदम को सही ठहराते हुए कहा कि सूचना और जनसंपर्क निदेशालय (DGIPR) के तर्क के बाद निजी एजेंसियों के लिए सोशल मीडिया के काम को आउटसोर्स करना एकमात्र विकल्प उपलब्ध था, जिसमें कहा गया था कि इसमें तकनीकी विशेषज्ञता और प्रशिक्षित जनशक्ति का अभाव है जो कि कार्य को प्रभावी ढंग से करने के लिए आवश्यक है।
यह निर्णय ऐसे समय में सामने आया है जब महाराष्ट्र सरकार बड़े पैमाने पर वित्तीय संकट का सामना कर रही है। यहाँ तक कि सरकार अपने कर्मचारियों को भुगतान करने के लिए भी संघर्ष कर रही है। इसके अलावा स्वास्थ्य देखभाल संसाधनों के लिए दूसरों राज्यों से मदद माँगने तक की नौबत आ गई है।
हाल ही में एक घटना सामने आई थी कि कैसे पिछले दो महीनों की अवधि का वेतन नहीं मिलने की वजह से राज्य परिवहन निगम के एक महाराष्ट्र सरकार के कर्मचारी ने अवसाद में आकर आत्महत्या कर ली थी। इससे पहले यह बताया गया था कि न केवल महाराष्ट्र सरकार के कर्मचारी, बल्कि केरल के डॉक्टरों और नर्सों के वेतन को भी महा-विकास आघाड़ी सरकार द्वारा देरी से दिया जा रहा था जिसके चलते डॉक्टर और नर्स वापस केरल चले गए थे।
गौरतलब है कि जहाँ एक तरफ कोरोना की महामारी ने सभी राज्यों की हालत खस्ता कर दी थी और महाराष्ट्र सरकार कोरोना से लड़ने वालों तक तो भुगतान करने में खुद को नाकाम बता रहे थे, ऐसे में सरकार ने अपने मंत्रियों के लिए 6 नए लक्जरी वाहनों की खरीद के लिए अनुमति प्रदान किया था। बता दें इन गाड़ियों की कुल कीमत 1.37 करोड़ रुपए थी।