महाराष्ट्र में उठे सियासी बवंडर से न केवल राज्य की महाविकास अघाड़ी की सरकार को खतरा है, बल्कि मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के हाथों से शिवसेना भी निकल सकती है। रिपोर्टों की माने तो एकनाथ शिंदे पार्टी निशान पर भी दावा कर सकते हैं। इसके संकेत उन्होंने बुधवार (22 जून 2022) को उस वक्त ही दे दिए थे, जब पार्टी के व्हिप पर सवाल उठाया गया था। बागी विधायकों ने शिंदे को विधायक दल का नेता चुना था। साथ ही नया व्हिप भी नियुक्त कर दिया था।
दलबदल कानून के प्रावधानों के अनुसार शिंदे यदि दो तिहाई विधायकों का समर्थन जुटा लेते हैं तो पार्टी पर अपना दावा कर सकते हैं। महाराष्ट्र में फिलहाल शिवसेना के 55 विधायक हैं। ऐसे में एकनाथ शिंदे को 37 पार्टी विधायकों के समर्थन की जरूरत होगी। ऐसा होने पर वे शिवसेना के नाम, निशान, झंडे और रंग को अपने हवाले करने का दावा ठोक सकते हैं।
Breaking: Eknath Shinde group claims to be ‘real’ Shiv Sena, stakes claim on party symbol.
— Rajgopal (@rajgopal88) June 23, 2022
फिलहाल शिंदे समर्थक विधायकों की संख्या को लेकर अलग-अलग दावे किए जा रहे हैं। न्यूज एजेंसी एएनआई ने सूत्रों के हवाले से बताया है कि उनके साथ असम के गुवाहाटी रेडिसन ब्लू होटल में 42 विधायक हैं। इनमें 8 निर्दलीय, जबकि 34 शिवसेना के हैं। यदि यह जानकारी सही है तो शिंदे फिलहाल मैजिक फिगर जुटाने में असफल दिख रहे हैं। लेकिन खुद शिंदे 46 विधायकों के समर्थन का दावा कर चुके हैं। इनमें 6-7 निर्दलीय हैं। यदि उनका दावा सही है तो फिर उद्धव ठाकरे के हाथों से शिवसेना भी निकल सकती है।
A total of 42 Maharashtra MLAs are present with Eknath Shinde at Radisson Blu Hotel in Guwahati, Assam. This includes 34 MLAs from Shiv Sena and 8 Independent MLAs: Sources#MaharashtraCrisis
— ANI (@ANI) June 23, 2022
वैसे यह तो स्पष्ट तौर पर दिख रहा है कि शिंदे समर्थकों की संख्या लगातार बढ़ रही है। यहाँ तक कि उद्धव ठाकरे मुख्यमंत्री का आधिकारिक आवास भी खाली कर चुके हैं। शिवसेना के बागी विधायकों ने शिंदे को अपना नेता चुनने के बाद राज्यपाल और महाराष्ट्र विधानसभा के डिप्टी स्पीकर को पत्र लिखा भी है।
शिवसेना में पैदा यह संकट अब केवल विधायकों तक ही सीमित नहीं है। उद्धव की कार्यशैली से पार्टी के कुछ सांसद भी नाराज बताए जा रहे हैं। पार्टी के 19 सांसद हैं। इनमें से 9 नाराज बताए जा रहे हैं। बताया जा रहा है कि ये भी शिवसेना को अलविदा भी कह सकते हैं। हालाँकि इनमें से को भी सांसद अभी खुलकर अपनी बात नहीं कह रहे हैं और वक्त का इंतजार कर रहे हैं।