पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और तृणमूल कॉन्ग्रेस की अध्यक्षा ममता बनर्जी ने कहा है कि भारतीय जनता पार्टी अपने कार्यकर्ताओं के लिए मुस्लिम टोपियाँ ख़रीद रही है और वह कार्यकर्ता तोड़फोड़ करके सार्वजनिक सम्पत्ति को नुक़सान पहुँचा रहे हैं, जिससे एक समुदाय विशेष को बदनाम किया जा सके। ममता बनर्जी ने पश्चिम बंगाल को कोलकाता में एक रैली के दौरान यह बयान दिया है। देशभर के कई शहरों में नागरिकता क़ानून को लेकर विरोध-प्रदर्शन हो रहा है और कई जगहों पर प्रदर्शन हिंसक हो रहे हैं।
BJP is buying skull caps for its cadres who are wearing them while vandalising properties to malign a particular community: Mamata Banerjee at Kolkata rally
— Press Trust of India (@PTI_News) December 19, 2019
इसके अलावा, ममता बनर्जी ने रैली में संबोधन के दौरान कहा कि आज़ादी के इतने वर्षों बाद हमें नागरिकता साबित करने की क्या ज़रूरत है। उन्होंने माँग की कि नागरिकता क़ानून और NRC पर जनमत संग्रह कराया जाए और इसे संयुक्त राष्ट्र मॉनिटर करे। ममता का कहना है कि जनमत संग्रह के बाद यह पता चल जाएगा कि किसकी जीत होगी और किसकी हार। इसके आगे ममता ने कहा, “मैं तुमको चुनौती देती हूँ देश को फेसबुक और सांप्रदायिक दंगों का इस्तेमाल कर विभाजित करने की कोशिश मत करो।”
यह कहना ग़लत नहीं होगा कि मोदी सरकार को अपने हर क़दम पर मिलने वाली कामयाबी ममता को एक आँख नहीं भाती। उन्होंने इतिहासकार रामचंद्र गुहा की गिरफ़्तारी पर भी केंद्र सरकार को घेरा। उन्होंने कहा कि यह सरकार छात्रों और एक इतिहासकार से डर गई है, इसलिए ऐसे दमनकारी क़दम उठा रही है।
हाल ही में ममता बनर्जी ने कहा था, “मैं पश्चिम बंगाल में संशोधित नागरिकता कानून और एनआरसी को कभी अनुमति नहीं दूँगी। यदि आप मेरी सरकार को बर्खास्त करना चाहते हैं, तो आप कर सकते हैं।” इस दौरान ममता बनर्जी ने सभी राज्यों के सीएम को एनआरसी और सीएए को लेकर संदेश दिया था। उन्होंने केंद्र की मोदी सरकार के सबका साथ सबका विकास नारे पर निशाना साधते हुए कहा था, “केवल बीजेपी यहाँ बचे और बाकी सब चले जाएँ, यही बीजेपी की राजनीति है। यह कभी नहीं हो पाएगा। भारत सभी का है। अगर सबका साथ नहीं रहेगा तो सबका विकास कैसे होगा? नागरिकता क़ानून किसके लिए है?”
ग़ौरतलब है कि रविवार (15 दिसंबर) को बंगाल के मुर्शिदाबाद, बीरभूम और उत्तर 24 परगना में हिंसक प्रदर्शन हुए। इन विरोध-प्रदर्शनों के चलते यातायात प्रभावित रहा और लोगों को कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ा। हावड़ा 24 परगना और मुर्शिदाबाद के विभिन्न स्टेशनों पर ट्रेनों को रोक दिया गया। इस बीच, मालदा और आसपास के ज़िलों में इंटरनेट सेवा बंद रही।
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