उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में हार के बाद समाजवादी पार्टी और ‘राष्ट्रीय लोकदल (RLD)’ गठबंधन के बीच दरार आनी शुरू हो गई है। पिछले साढ़े 5 वर्षों से RLD के प्रदेश अध्यक्ष रहे मसूद अहमद ने अपने पद और पार्टी की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने 7 पन्ने के एक पत्र को भी सार्वजनिक किया है, उन्होंने आरोप लगाया है कि जयंत चौधरी और अखिलेश यादव ने पैसे लेकर टिकट बाँटे। उनका आरोप है कि हापुड़ की सीट को 8 करोड़ रुपए में बेचा गया।
साथ ही उन्होंने इस गठबंधन में दलितों और मुस्लिमों को नज़रअंदाज़ किए जाने का भी आरोप लगाया। साथ ही उन्होंने कहा कि ‘भीम आर्मी’ के संस्थापक चंद्रशेखर आज़ाद रावण को गठबंधन में साथ नहीं लेने से नुकसान हुआ। उन्होंने कहा कि चुनाव के ऐन वक्त पर भाजपा छोड़ कर सपा में गए स्वामी प्रसाद को अचानक कुशीनगर के फाजिलनगर भेजे जाने से उनकी हार हुई। साथ ही SBSP अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर की ‘ओछी बयानबाजी’ को भी हार के लिए जिम्मेदार ठहराया।
उन्होंने बताया कि गठबंधन में कम सीटें मिलने के कारण पार्टी के नेताओं ने RLD के अकेले चुनाव लड़ने की सलाह दी थी, लेकिन जयंत चौधरी ने बात नहीं मानी। उन्होंने बताया कि 12 जनवरी, 2022 को अखिलेश यादव से संपर्क करने पर उन्होंने साथी दलों से सीटों को लेकर चर्चा से इनकार कर दिया। उन्होंने आरोप लगाया कि 10 सपा नेताओं को रालोद के टिकट पर लड़ाया गया, जबकि रालोद के एक भी नेता सपा के सिंबल पर नहीं लड़ाए गए।
#यूपी चुनाव में टिकट बेचने, टिकट देने में मनमानी करने, दलितों और मुसलमानों की उपेक्षा का आरोप लगाते हुए #RLD के प्रदेश अध्यक्ष मसूद अहमद ने पार्टी छोड़ दी है. उन्होंने जयंत चौधरी @jayantrld को चिट्ठी लिख कर सारी बातें बताई हैं pic.twitter.com/UBhqMlYKqf
— पंकज झा (@pankajjha_) March 19, 2022
मसूद अहमद ने बाहरियों को टिकट वितरण में प्राथमिकता दिए जाने का आरोप लगाया। उनका आरोप है कि दिल्ली के कार्यालय में बैठे नेता टिकट के लिए करोड़ों की माँग करने लगे। उन्होंने उदाहरण दिया कि गजराज सिंह के पार्टी में शामिल होने के दो घंटे के भीतर उन्हें टिकट दे दिया गया। उन्होंने कहा कि जाट समुदाय में ऐसा सन्देश गया कि जयंत चौधरी ने अखिलेश यादव के समक्ष घुटने टेक दिए हैं। उन्होंने कहा कि शिवपाल यादव के अपमान से भी गलत सन्देश गया।