कॉन्ग्रेस उत्तर प्रदेश के प्रवासी मजदूरों को उनके घर पहुँचाने के लिए 1000 बसों की व्यवस्था का दावा कर रही है। यूपी से लगी राजस्थान की सीमा पर उसने बसें खड़ी भी कर रखी है। लेकिन उसके ही शासन वाले राजस्थान में स्थिति बेहाल है। मजदूर पैदल चल घर जाने को मजबूर हैं, जबकि राजस्थान की गहलोत सरकार ने दावा किया था कि सूबे में कोई भी मजदूर पैदल चलता नहीं दिखेगा।
‘आजतक’ की ख़बर के अनुसार, राजस्थान में मजदूर अपने परिवार के साथ पैदल चलने को मजबूर हैं। उनके साथ महिलाएँ और बच्चे भी हैं। असल में सैकड़ों मजदूर राजस्थान होकर उत्तर प्रदेश पहुँचे हैं। उनमें से कई गुजरात से राजस्थान होते हुए यूपी में घुसे। ऐसा ही एक जत्था सूरत से पहुँचा, जो राजस्थान होते हुए यूपी के कासगंज के लिए निकला था। इनमें एक 8 महीने की गर्भवती महिला भी शामिल है, जिनका नाम सोनेन्द्री देवी है।
भरतपुर पहुँची महिला ने बताया कि वे लोग 10 दिनों से लगातार चलते जा रहे हैं। भरतपुर से ये जत्था उत्तर प्रदेश के लिए निकल जाएगा। ‘आजतक’ के सुरेश फौजदार को उन मजदूरों ने बताया कि कॉन्ग्रेस पार्टी की सैकड़ों बसें सीमा पर खड़ी तो हैं, लेकिन उन्होंने इन मजदूरों के लगातार निवेदन के बावजूद उन्हें घर ले जाने से मना कर दिया। बेसहारा प्रवासियों का पूछना है कि क्या वो मजदूर नहीं हैं? उनकी मदद क्यों नहीं की गई? ये बसें ऊँचा नगला सीमा पर खड़ी हैं।
यहाँ सवाल उठता है कि आख़िर मजदूरों की हितैषी होने का दावा करने वाली कॉन्ग्रेस ने इन मजदूरों को उत्तर प्रदेश की सीमा तक क्यों नहीं छोड़ा, जब राजस्थान में पार्टी की ही सरकार है? भाजपा नेता सतीश पूनियाँ ने भी यही आरोप लगाया है। उन्होंने बताया कि राजस्थान में पिछले 15 दिनों से हजारों प्रवासी मजदूर पैदल यात्रा करने को विवश हैं, लेकिन कॉन्ग्रेस अपने ही शासन वाले राज्य में उनके लिए कुछ नहीं कर रही। बता दें कि इस ‘बस सियासत’ पर कॉन्ग्रेस के अपने ही गढ़ की नेता ने पार्टी पर निशाना साधा है। विधायक अदिति सिंह ने कहा:
“राजस्थान के कोटा में जब उत्तर प्रदेश के हजारों बच्चे फँसे हुए थे, तब कहाँ थीं ये तथाकथित बसें? तब कॉन्ग्रेस सरकार इन बच्चों को घर तक तो छोड़िए, बॉर्डर तक भी नहीं छोड़ पाई। तब प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने रातोंरात बसें लगाकर इन बच्चों को घर पहुँचाया। तब खुद राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत ने भी इसकी तारीफ की थी।”
इससे पहले कॉन्ग्रेस पार्टी ने यूपी सरकार को 1000 बसों की सूची सौंपने का दावा किया था। ये अलग बात है कि इनमें से 297 गाड़ियों में कोई न कोई गड़बड़ी है। 79 की फिटनेस नहीं है, 140 का बीमा समाप्त हो चुका है और 78 ऐसी हैं, जिनमें ये दोनों ही ख़त्म हो चुका है।
प्रियंका गाँधी द्वारा भेजे गए बसों की सूची में से 31 ऑटो थे, 69 एंबुलेंस, ट्रक या फिर अन्य वाहन थे। इसके साथ ही 70 ऐसे वाहनों की लिस्ट दी गई थी, जिसका कोई डेटा ही उपलब्ध नहीं था। बस ड्राइवरों को खाना भी नहीं दिया जा रहा हैं जिसके बाद उन्होंने कॉन्ग्रेस के खिलाफ नारेबाजी और विरोध प्रदर्शन किया।