केंद्र सरकार ने कॉन्ग्रेस की वर्तमान अध्यक्ष सोनिया गाँधी की PM केयर्स के अंतर्गत अब तक जमा हुई संपूर्ण धनराशि को प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष (PMNRF) में ट्रांसफर करने की माँग को ठुकरा दिया है। बता दें कि पिछले दिनों सोनिया गाँधी ने पीएम मोदी को पत्र लिखकर कोरोना महामारी से लड़ने के लिए बनाए गए PM CARES यानी ‘प्राइम मिनिस्टर सिटीजन्स असिस्टेंस एंड रिलीफ इन इमरजेंसी सिचुएशन’ कोष में जमा राशि को प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष में ट्रांसफर करने की माँग की थी।
इसकी माँग करते हुए सोनिया गाँधी का कहना था कि बेहतर पारदर्शिता और जवाबदेही के लिए यह कदम उठाया जाना बेहद जरूरी है। उन्होंने कोरोना वायरस से निपटने के लिए अलग से बनाए गए फंड को संसाधनों की बर्बादी करार दिया था।
इकॉनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक कोरोना वायरस की महामारी से निपटने के लिए बनाए गए इस फंड को विदेशी अंशदान विनियमन अधिनियम (FCRA) से मुक्त करने के बाद अब विदेशों से दान के लिए खोला गया है। अब विदेशों से दान करने वाले लोग सीधे पीएम केयर्स पोर्टल से दान की रसीदें डाउनलोड कर सकते हैं। ईटी ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि केंद्र द्वारा सोनिया गाँधी की माँग को ठुकरा दिया गया है।
इसके साथ ही सरकार ने कहा है कि प्रधानमंत्री सहित ट्रस्टियों द्वारा नियुक्त किए जाने वाले एक या उससे अधिक योग्य ऑडिटरों द्वारा पीएम केयर्स फंड का ऑडिट किया जाएगा।
इसके अलावा PM-CARES फंड को FCRA अधिनियम के सभी प्रावधानों के संचालन से भी छूट प्राप्त होगी और अब वे विदेशी क्रेडिट/ डेबिट कार्ड और वायर ट्रांसफर / SWIFT के माध्यम से विदेशों में व्यक्तियों और संगठनों से दान स्वीकार कर सकते हैं। इसके लिए एक अलग बैंक खाता खोला गया है। साथ ही दान कर्ता सीधे पोर्टल से ही रसीदें डाउनलोड कर सकेंगे।
कॉन्ग्रेस के साथ ही अन्य लेफ्ट पार्टियों ने इस बात का दावा करते हुए अपना रोना राया था कि पीएम केयर्स फंड में दान की गई राशि की रसीदें नहीं मिलती है। कॉन्ग्रेस नेताओं ने यह भी पूछा था कि पीएम केयर्स फंड की तरह सीएम रिलीफ फंड कॉर्पोरेट सोशल रिस्पॉनसिबिलटी (CSR) के अंतर्गत आने वाली वाली कंपनियों से फंड लेने के लिए सक्षम क्यों नहीं है।
मजेदार बात यह है कि CSR दान के संबंध में अधिकांश कॉन्ग्रेस सीएम द्वारा उठाए गए मुद्दे जुलाई 2013 में यूपीए सरकार द्वारा पारित एक कानून (कंपनी अधिनियम) का परिणाम है। जिसके तहत राज्य सरकार द्वारा स्थापित धनराशि को ‘ग्रहण करने योग्य फंड’ (eligible funds) की सूची से हटा दिया गया था जो CSR दान प्राप्त कर सकते थे।
ईटी की रिपोर्ट के अनुसार, एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने कहा कि सीएम राहत राशि के बारे में विवाद सीएसआर के लिए योग्य नहीं है, लिहाजा यह कानून और उससे संबंधित तथ्यों के अधूरे ज्ञान का नतीजा है। वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, 2013 में पारित कानून ने अधिसूचित किया कि सीएसआर के लिए ‘ग्रहण करने योग्य फंड’ में केवल प्रधान मंत्री राहत कोष (PMRF) और केंद्र सरकार द्वारा निर्धारित कोई अन्य फंड शामिल है।
उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि कोरोना वायरस से निपटने के लिए राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के लिए धन का योगदान सीएसआर व्यय के रूप में गिना जाएगा और इसलिए कंपनियाँ आपदा प्रबंधन प्राधिकरण मार्ग के माध्यम से महामारी से लड़ने के लिए किसी भी राज्य सरकार को CSR योगदान दे सकती हैं।
आगे उन्होंने कहा कि 23 मार्च को कॉर्पोरेट मामलों के मंत्रालय ने स्पष्ट किया कि कोरोना वायरस स्वास्थ्य सेवा, निवारक स्वास्थ्य देखभाल और स्वच्छता और आपदा प्रबंधन से संबंधित गतिविधियों को सीएसआर व्यय के रूप में गिना जाएगा।
बता दें कि सोनिया गाँधी पीएम केयर्स में जमा राशि को PMNRF में ट्रांसफर करने की माँग इसलिए कर रही थीं, क्योंकि PMNRF हमेशा एक प्रबंधन समिति की देखरेख में संचालित होता है, जो जमा हुई धनराशि का नियोजन प्रधानमंत्री के विवेकानुसार सुनिश्चित करती है। बता दें कि पंडित जवाहरलाल नेहरू द्वारा PMNRF की स्थापना के समय से लेकर आज तक इसकी प्रबंध समिति में कॉन्ग्रेस पार्टी का अध्यक्ष भी हमेशा शामिल रहता है, जो कि वर्तमान में सोनिया गाँधी हैं। PMNRF सीधे प्रधानमंत्री के नियंत्रण में है और शायद सोनिया गाँधी को उम्मीद है कि भविष्य में एक दिन देश का पीएम गाँधी परिवार से ही होगा। इस तरह यह धनराशि पीएम के नियंत्रण में होगी।
PM CARES, PMNRF की तुलना में कहीं ज्यादा पारदर्शी और सक्षम है। हालाँकि, PMNRF भी समय-समय पर नागरिकों की मदद के लिए आगे आता रहा है। यहाँ यह भी बताते चलें कि PM CARES में 13 विशेषज्ञों को भी शामिल करने का प्रावधान है जो अपनी सेवाएँ देश के लिए निःशुल्क प्रदान करेंगे। इसमें सलाहकारी बोर्ड के तौर पर भी 10 व्यक्तियों को शामिल करने की व्यवस्था है, जिन्हें ट्रस्टीज द्वारा डॉक्टरों, स्वास्थ्य सेवा प्रोफेशनलों, अकादमिक जगत के लोगों, अर्थशास्त्रियों और वकीलों में से चुना जाएगा।