महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों में MVA (महाविकास अघाड़ी) के उम्मीदवार का एक कथित एक पत्र मंगलवार (5 नवंबर 2024) से सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। इसमें कहा गया है कि मुंबई की मीरा भयंदर सीट से कॉन्ग्रेस प्रत्याशी सैयद मुज़फ्फर हुसैन ने आतंकी याकूब मेमन की फाँसी रुकवाने के लिए दया याचिका दाखिल की थी। पत्र में 28 जुलाई 2015 की तारीख़ है।
क्या है वायरल पत्र में
राष्ट्रपति को लिखे इस पत्र में कहा गया है, “हम महामहिम से याकूब मेमन की सजा के लिए क्षमादान की अपील करते हैं।” याकूब मेमन की फाँसी टालने के प्रयास में फिल्म निर्माता महेश भट्ट, अभिनेता नसीरुद्दीन शाह, कार्यकर्ता तुषार गाँधी, CPI नेता सीताराम येचुरी, सांसद शत्रुघ्न सिन्हा, वकील वृंदा ग्रोवर और 290 अन्य लोगों ने दया याचिका पर दस्तखत किए थे।
इस पत्र में मुजफ्फर हुसैन के अलावा पूर्व मंत्री आरिफ नसीम खान, अमीन पटेल, असलम शेख, शेख आसिफ, शेख राशिद, हुस्नबानो खलिफ, यूसुफ अब्राहनी और जावेद जुनेजा के भी दस्तखत हैं। वायरल हो रहे इस पत्र में संविधान का हवाला देते हुए आतंकी याकूब मेमन को मिले मृत्युदंड की सजा को उम्रकैद में बदलने की अपील की गई थी।
He is not a local Congress leader, he is working president of Maharashtra Congress, Muzaffar Hussain.
— Facts (@BefittingFacts) November 4, 2024
He had signed Mercy Petition request of Terrorist Yakub Memon.
He is contesting from Mira-Bhayandar seat of Thane district. https://t.co/h42kClU2FM pic.twitter.com/cwRspUtSCw
बताते चलें कि साल 1993 के मुंबई बम धमाकों में याकूब मेमन का हाथ था। इस मामले में उसे फाँसी की सजा हुई थी। यह पत्र कॉन्ग्रेस प्रत्याशी मुज़फ्फर हुसैन की तस्वीरों के साथ शेयर हो रहा है। चिट्ठी के साथ ‘कॉन्ग्रेस को वोट देना मतलब लव जिहाद को वोट देना’ और ‘कॉन्ग्रेस को वोट देना मतलब मुस्लिम समर्थक मुख्यमंत्री बनाना’ जैसे स्लोगन भी लिखे हुए हैं।
मुज़फ्फर हुसैन ने अपनी दस्तखत वाले इस पत्र को फर्जी करार दिया है। उन्होंने इसे वोटों के ध्रुवीकरण और साम्प्रदायिक तनाव फैलाने की साजिश बताया है। हालाँकि, साल 2015 में कई मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया था कि आतंकी याकूब की दया याचिका पर कॉन्ग्रेस पार्टी के 6 विधायकों, 1 पूर्व MLA और 1 पार्षद ने हस्ताक्षर किए थे।
इंडियन एक्सप्रेस 29 जुलाई 2015 की एक रिपोर्ट में साफ लिखा गया है कि तत्कालीन MLC मुज़फ्फर हुसैन के दस्तखत उस पत्र पर थे। इसके अलावा, महाराष्ट्रनामा और लोकसत्ता जैसी स्थानीय मीडिया रिपोर्टों में भी इसी तरह का दावा किया गया है। हालाँकि, तमाम कोशिशों के बावजूद साल 2015 में याकूब मेमन को फाँसी पर लटका दिया गया था।
Here is another article from Lok Satta.
— Facts (@BefittingFacts) November 8, 2024
Which shares same document. A letter to president signed by @MuzaffarHussain
link: https://t.co/2j32dPSOPr pic.twitter.com/m9IvpU7cMF
पत्र को फर्जी बता कर मुज़फ्फर ने दर्ज करवाई FIR
मुज़फ्फर हुसैन के वकील राहुल दिनेश रॉय द्वारा इस वायरल पत्र के खिलाफ 6 नवंबर (बुधवार) को मुंबई के मीरा रोड थाने में FIR दर्ज करवाई गई है। शिकायतकर्ता ने इस पत्र को फर्जी करार देते हुए इसे सोची-समझी साजिश बताया है। यह FIR भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 299, 302 और जनप्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 की धारा 125 के तहत दर्ज हुई है।
हालाँकि, तमाम सोशल मीडिया हैंडलों से इस वायरल पत्र के असली होने का दावा अभी भी किया जा रहा है। कॉन्ग्रेस नेता मुज़फ्फर हुसैन की आलोचना करते हुए तमाम सोशल मीडिया यूजर्स ने कहा है कि FIR के बाद अब सच अदालत में सामने आ जाएगा।
The working president of Maharashtra Congress wasn't ashamed to sign a mercy petition but offended to see people exposing him? https://t.co/Om2GjiMyRe
— Mr Sinha (@MrSinha_) November 8, 2024
यूजर्स को डराने की कोशिश नाकाम
कई यूजर्स ने तो कॉन्ग्रेस नेता को सलाह दी कि बेहतर होगा वो अपनी शिकायत वापस ले ले। एक यूजर ने लिखा, “एक बार अदालतों में साबित होने के बाद यह पूरे समाचार जगत में ब्रेकिंग न्यूज़ बन जाएगा।” अपने खिलाफ दर्ज FIR पर टिप्पणी करते हुए बेफिटिंग फैक्ट्स ने लिखा, “हुसैन अचानक धर्मनिरपेक्ष हो गए हैं। वो वोट के लिए मंदिरों में जा रहे हैं।”
इस सोशल मीडिया हैंडल ने आगे कहा, “वह (मुजफ्फर हुसैन) अपने इतिहास को छिपाने की कोशिश कर रहे हैं और सोशल मीडिया यूजर्स को भी डरा रहे हैं, लेकिन वह भूल गए कि शिकायत दर्ज करके वह जाल में फँस रहे हैं। अब अदालत कहेगी कि हाँ, मुजफ्फर ने याकूब मेमन की दया याचिका पर हस्ताक्षर किए थे।”
Here is another article from
— Facts (@BefittingFacts) November 8, 2024
Maharashtra Nama. They have published the letter, which @MuzaffarHussain is calling fake.
Fass gaye Muzaffar beta 😂
Link Lelo: https://t.co/cNiNy3hpbW pic.twitter.com/rIGUhQxLOA
मुज़फ्फर हुसैन की FIR में आमची मुंबई का इंस्टाग्राम चैनल, कुणाल शुक्ला, जेरोम डिसूजा और गणेश मुरुगन को नामजद किया गया है। इन सभी पर आरोप है कि उन्होंने पत्र को अलग-अलग प्लेटफॉर्म से वायरल किया है। ऑपइंडिया से बात करते हुए जेरोम डिसूजा ने कहा कि मुजफ्फर हुसैन के वकील एडवोकेट रॉय की FIR में लगाए गए आरोप झूठे हैं। यह पत्र पहले ही पब्लिक डोमेन में है। जेरोम ने चुनाव बाद नोटिस पर जवाब देने की बात कही है।