प्रियंका गाँधी ने ‘यस बैंक’ के संस्थापक राणा कपूर को जो पेंटिंग बेची थी, उस पूरी प्रक्रिया में पूर्व केंद्रीय मंत्री मिलिंद देवड़ा ने बिचौलिए की भूमिका निभाई थी। मिलिंद फ़िलहाल मुंबई कॉन्ग्रेस के अध्यक्ष हैं। मई 1, 2010 को मिलिंद द्वारा राणा को लिखे गए पत्र से सब कुछ स्पष्ट हो जाता है। मिलिंद मुंबई में राणा से मिले थे और उन्होंने इस पत्र में राणा कपूर को ‘अंकल’ कह कर सम्बोधित करते हुए लिखा है कि वो ‘यस बैंक’ द्वारा किए जा रहे कार्यों से ख़ासे प्रभावित हैं। मिलिंद ने लिखा था कि कला के क्षेत्र में ‘यस बैंक’ के कार्य और नेहरू सेंटर में उनके दफ्तर से वो बहुत प्रभावित हैं।
मिलिंद देवड़ा के इस पत्र से ऐसा लगता है कि जब वो दोनों मिले थे, तब उनके बीच प्रियंका गाँधी की उस पेंटिंग को ख़रीदने की बातचीत हुई थी। राणा कपूर ने शायद उस पेंटिंग की बड़ाई की हो या फिर उसे ख़रीदने की इच्छा जाहिर की हो। इसी बात को लेकर मिलिंद ने राणा कपूर को सलाह दी कि वो इस बारे में सीधा प्रियंका गाँधी को लिखें और अपनी इच्छा जाहिर करें। मिलिंद पत्र में यह भी दावा करते हैं कि गाँधी परिवार उस पेंटिंग को तभी बेचेगा, जब वो इस बात को लेकर आश्वस्त होगा कि पेंटिंग ख़रीदने वाला व्यक्ति इसकी इज्जत करे, इसकी सुरक्षा पर ध्यान दे व अच्छे से देखभाल करे।
मिलिंद देवड़ा इसी पत्र में राणा कपूर को आश्वासन दिलाते हैं कि उनके अथवा उनकी कम्पनी द्वारा इस पेंटिंग को ख़रीदना जायज है। वो दोबारा फिर इसी बात को दोहराते हैं की वो पेंटिंग ख़रीदने के लिए प्रियंका गाँधी को लिखें। पत्र देख कर सपहत होता है कि जितनी राणा कपूर को पेंटिंग ख़रीदने की जल्दी नहीं थी, उतनी मिलिंद देवड़ा को इसे बेचने की थी। यदि राणा कपूर को वो पेंटिंग उतनी ज्यादा ही पसंद आई होती तो वो पहले ही इस बारे में मिलिंद को लिखते।
नीचे आप उस चेक की फोटो देख सकते हैं, जिसके माध्यम से राणा कपूर ने पेंटिंग की एवज में प्रियंका गाँधी को पेमेंट किया। ये 2 करोड़ रुपए का चेक है। ये चेक ‘हॉन्गकॉन्ग एन्ड संघाई बैंकिंग कॉर्पोरेशन लिमिटेड (HSBC)’ का चेक है। इस चेक पर जून 3, 2010 की तारीख दर्ज है।
‘ऑपइंडिया’ को विश्वस्त सूत्रों से पता चला है कि मिलिंद देवड़ा और राणा कपूर के बीच इस पेंटिंग की बिक्री को लेकर तेज़त के माध्यम से बातचीत भी हुई। मिलिंद अपने ब्लैकबेरी के फोन से राणा से बात किया करते थे। यहाँ भी वो राणा कपूर को ‘अंकल’ कह कर सम्बोधित करते हैं। ऑपइंडिया के सूत्रों की मानें तो मिलिंद देवड़ा ने मई 29, 2010 को राणा कपूर को भेजे मैसेज में लिखा था:
“राणा अंकल, मई 28, 2010 को मुझे आपका पत्र मिला और मैंने उसे प्रियंका गाँधी को भेज दिया है। हालाँकि, अभी तो उनके या उनके परिवार के साथ अपनी मुलाक़ात नहीं हो सकेगी लेकिन कुछ दिनों बाद मैं इसके लिए पूरा प्रबंध करा दूँगा। पेंटिंग के पेमेंट चेक के रूप में प्रियंका और सोनिया अगले ही सप्ताह चाहती हैं। मेरे पिता को भी इस बारे में बताया गया है और उन्होंने भी आपसे संपर्क करने की असफल कोशिश की थी। दुर्भाग्य से चीजें काफ़ी देरी से हो रही हैं। आप इस मैसेज का रिप्लाई करें और बताएँ कि आप कब तक चेक दे रहे हैं। मुझे मेरे पिता को इस बारे में तुरंत बताना है। आप मैसेज देख रहे हैं तो जल्द रिप्लाई करें।”
उपर्युक्त मैसेज से स्पष्ट है कि ‘यस बैंक’ के तत्कालीन सीईओ राणा कपूर चाहते थे कि वो पेंटिंग तो ख़रीदेंगे लेकिन बदले में गाँधी परिवार के साथ उनकी बैठक का प्रबंध किया जाए। यही माँग उन्होंने मिलिंद और मुरली से रखी होगी। मिलिंद के पिता मुरली देवड़ा उस वक़्त मनमोहन सिंह सरकार में पेट्रोलियम मंत्री थे। वो यूपीए-1 में भी केंद्रीय मंत्री रह चुके थे। इस टेक्स्ट से ये भी पता चलता है कि पेंटिंग ख़रीदने में राणा ने किसी कारणवश बाद में ज्यादा रुचि न दिखाई हो लेकिन मिलिंद जल्द से जल्द 2 करोड़ रुपए का पेमेंट चाहते थे। देवड़ा पिता-पुत्र लगातार बिचौलिए के रूप में कार्यरत थे।
इसके ठीक 5 दिन बाद मिलिंद देवड़ा ने राणा कपूर को फिर से मैसेज किया और अबकी उनकी भाषा काफ़ी झल्लाई हुई सी लग रही थी। मिलिंद नस इस मैसेज में राणा कपूर से कहा कि वो गाँधी परिवार को कई सप्ताह से आश्वासन दे रहे हैं लेकिन आपने चेक के इंतज़ार में सब गुड़-गोबर हो रहा है। उन्होंने राणा कपूर को जल्द से जल्द चेक पेमेंट की व्यवस्था करने को कहा। उसके अगले दिन राणा कपूर ने मिलिंद को फोन किया और उसी दिन 2 बजे दोपहर में दोनों की बैठक हुई। राणा से मिलने के लिए मिलिंद ने अपनी फ्लाइट तक कैंसल कर दी थी।
मिलिंद ने राणा को कह दिया था कि वो चिट्ठी और चेक तैयार रखें, जिन्हें लेने वो उनके दफ्तर आ रहे हैं। इस पेंटिंग को बेचवाने में मिलिंद देवड़ा ने दिन-रात एक कर दिया था, ऐसा प्रतीत होता है। लगातार राणा कपूर के पीछे पड़ना, अपने पिता तक को इसमें शामिल करना और चेक पेमेंट लेने के लिए फ्लाइट तक कैंसल कर देना- इन चीजों से उनकी बेचैनी तो समझी जा सकती है लेकिन इसकी वजह साफ़ नहीं है।
जून 4, 2010 को प्रियंका गाँधी ने राणा कपूर को पत्र लिख कर पेंटिंग को ख़रीदने के लिए धन्यवाद दिया। उन्होंने इसी पत्र में बताया कि इस पेंटिंग को 1985 में उनके पिता व तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गाँधी को ये गिफ्ट के रूप में मिला था और अभी ये उनके स्वामित्व में है। इसी पत्र में प्रियंका ने इसकी भी पुष्टि की कि उन्हें राणा कपूर का चेक मिल चुका है और पेमेंट डन हो गया है। अंत में उन्होंने राणा को लिखा है कि उन्हें विश्वास है कि वो इस पेंटिंग को सही तरीके से रखेंगे।
मिलिंद देवड़ा ने ही इस पेंटिंग का मूल्य 2 करोड़ रुपए तय किया था और राणा को इस सम्बन्ध में सूचित किया। उन्होंने राणा कपूर को सलाह दी थी कि वो प्रियंका को लिखें कि इस पेंटिंग के एवज में 2 करोड़ रुपए देने को राजी हो गए हैं।