Saturday, July 12, 2025
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RSS में मुस्लिमों का स्वागत… औरंगजेब के वंशजों का नहीं: मोहन भागवत की दो टूक, कहा – ‘भगवा और भारत माता को स्वीकार करना होगा’

मोहन भागवत ने कहा कि संघ में ऐसा वातावरण है कि आजतक उन्हें नहीं पता है कि सुरेश सोनी किस जाति-कैटेगरी से आते हैं।

RSS के सरसंघचालक मोहन भागवत फ़िलहाल वाराणसी दौरे पर हैं, जहाँ उन्होंने काशी विश्वनाथ मंदिर में दर्शन एवं पूजा-अर्चना की। इस दौरान उन्होंने स्वयंसेवकों के साथ संवाद भी किया, संघ में मुस्लिमों एवं जातियों को लेकर जवाब दिया। मोहन भागवत ने कहा कि हम संघ में किसी की जाति नहीं पूछते। RSS में अनुसूचित जाति-जनजातियों के प्रतिनिधित्व के सवाल पर उन्होंने कहा कि हम किसी से पूछते नहीं हैं। इस दौरान उन्होंने तब का एक किस्सा भी सुनाया, जब वो नए-नए सरकार्यवाह चुने गए थे।

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख ने बताया कि सुरेश सोनी उस दौरान सह-सरकार्यवाह चुने गए। इस दौरान मीडिया ने चलाया कि भागवत गुट की विजय हुई है, OBC को प्रतिनिधित्व देने के लिए सुरेश सोनी को रखा गया है। बकौल मोहन भागवत, मीडिया रिपोर्ट्स देखकर उन्होंने सुरेश सोनी से पूछा कि क्या वो ओबीसी समाज से आते हैं? इसपर वो मुस्कुराकर रह गए। मोहन भागवत ने कहा कि संघ में ऐसा वातावरण है कि आजतक उन्हें नहीं पता है कि सुरेश सोनी किस जाति से आते हैं।

इस दौरान मोहन भागवत ने ये भी कहा कि RSS की शाखा में सबका स्वागत है, मुस्लिमों का भी। लेकिन, साथ ही सरसंघचालक ने जोड़ा कि इसके लिए उन्हें न केवल ‘भारत माता की जय’ के नारे को स्वीकार करना होगा बल्कि भगवा ध्वज का भी सम्मान करना होगा। उन्होंने स्पष्ट किया कि पूजा-पद्धति या धार्मिक रीति-रिवाजों को लेकर RSS कोई भेदभाव नहीं करता है, हर जाति-संप्रदाय के लोगों के लिए संघ के दरवाजे खुले हुए हैं। उन्होंने इस दौरान हिन्दू-मुस्लिम-सिख-ईसाई सबका नाम लिया।

हालाँकि, इस दौरान मोहन भागवत ने इस्लामी आक्रांताओं के महिमा-गान पर करारा प्रहार करते हुए कहा कि जो लोग ख़ुद को औरंगज़ेब का वंशज मानते हैं, उनके लिए संघ में कोई जगह नहीं है। बता दें कि RSS में पहले से ही ‘राष्ट्रीय मुस्लिम मंच’ चल रहा है। मुहम्मद अफजल इसके राष्ट्रीय संयोजक हैं, वहीं इंद्रेश कुमार मार्गदर्शक की भूमिका में हैं। मोहन भागवत ने स्पष्ट संदेश दे दिया है कि भारत की संस्कृति एक है और ‘भारत माता की जय’ व भगवा ध्वज उस संस्कृति के प्रतीक हैं, इसका सम्मान करना ही होगा।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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