Thursday, April 25, 2024
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‘बिहार की सड़कों पर नमाज बंद होगी या नहीं’ – सवाल पर बोले CM नीतीश कुमार – ये सब कोई मुद्दा है?

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के उलट BJP विधायक हरिभूषण ठाकुर बचैल और बिहार सरकार में पंचायती राजमंत्री सम्राट चौधरी ने भी सड़क पर नमाज पढ़े जाने का विरोध किया है।

गुरुग्राम और नोएडा में सार्वजानिक स्थलों पर भारी जनविरोध के चलते नमाज़ बैन होने के बाद अब इस से मिलती जुलती सुगबुगाहट बिहार में भी सुनाई देने लगी है। भाजपा विधायक हरिभूषण ठाकुर बचैल ने बिहार में इसकी पहल करने का ऐलान कर दिया है। बिहार सरकार में पंचायती राजमंत्री सम्राट चौधरी ने भी भाजपा विधायक का समर्थन किया था। लेकिन मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के मुताबिक इन बातों की चर्चा से दूर रहना ही उचित है। उन्होंने इसे मुद्दा न बनाने की अपील की है।

मीडिया को दिए गए इंटरव्यू में नीतीश कुमार ने कहा, “इन सबसे कोई मतबल नहीं। कहीं कोई पूजा करता है, कहीं कोई गाता है। ये सब कोई मुद्दा है? अपना-अपना विचार है, हम लोगों का ऐसा विचार है। हम तो सबको मान कर चलते हैं। हमारे लिए सभी लोग एक समान हैं। सबको अपने ढंग से खुद ही ध्यान रखना चाहिए। ये कोई एक कम्युनिटी की बात नहीं है। सब धर्म के लोगों को इन सब बातों का ध्यान रखना चाहिए। जब हमने कोरोना की गाइडलाइन बनाई थी, तब सबने उसे माना था। पता नहीं कौन किस बात को ले कर क्या बोलता है। हमारे लिए इन सब चीजों का कोई मतलब नहीं। पता नहीं ये मुद्दा कैसे बन जाता है।”

इस से पहले भाजपा विधायक हरिभूषण ठाकुर बचैल ने मीडिया से बात करते हुए कहा था, “जिस तरह हरियाणा में खुले में नमाज़ पर रोक लगाई है, वैसे ही बिहार में भी लगाना चाहिए। हम इसकी पहल करेंगे। शुक्रवार को बेवजह सड़क को जाम कर देना, खुले में सड़क पर नमाज़ पढ़ना… आस्था है तो घर में पढ़ें, मस्जिद फिर क्यों हैं? हरियाणा के मुख्यमंत्री खट्टर बहुत ही धन्यवाद के पात्र हैं। अगर ये सब नहीं रोका गया तब माहौल तनावपूर्ण होगा। 75 साल पहले ही धर्म के आधार पर भारत-पाकिस्तान का बँटवारा हो चुका है। लेकिन आज भी मुद्दा वहीं का वहीं है। अगर हम नहीं संभले तो आने वाली पीढ़ियाँ माफ़ नहीं करेंगीं।”

भाजपा विधायक हरिभूषण ने आगे कहा, “CM नीतीश मानें या नहीं, ये उनके ऊपर है लेकिन इसे दुनिया मान रही है। आपने देखा होगा कि बलिदानी CDS पर भी कमेंट किए गए हैं। इन सबसे आने वाले खतरे को भाँपना चाहिए। भारत में कुछ नहीं बल्कि बहुत ऐसे हैं। बिहार में ही देखिए, यहाँ पर वन्देमातरम का विरोध किया गया।”

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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