मोतीलाल वोरा का 93 साल की उम्र में 20 दिसंबर 2020 को निधन हो गया था। जब तक जीवित रहे गाँधी परिवार के वफादार रहे। उन्हें परिवार का राजदार भी माना जाता था। नेशनल हेराल्ड में वे भी आरोपित थे। अब कॉन्ग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गाँधी ने इस मामले में सारा दोष दिवंगत वोरा के मत्थे मढ़ने की कोशिश की है।
नेशनल हेराल्ड से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने राहुल गाँधी से लगातार तीसरे दिन बुधवार (15 जून 2022) को कई घंटों तक पूछताछ की। इस दौरान राहुल ने ईडी को बताया कि एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड (AJL) और यंग इंडिया लिमिटेड (YIL) के अधिग्रहण से संबंधित सभी लेन-देन कॉन्ग्रेस के पूर्व कोषाध्यक्ष मोतीलाल वोरा ही देखते थे।
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, कॉन्ग्रेस के पूर्व अध्यक्ष ने यंग इंडिया लिमिटेड द्वारा लिए गए लोन की कोई भी जानकारी होने से इनकार किया। बताया जा रहा है कि उन्होंने इसकी सारी जिम्मेदारी वोरा पर डाल दी। कॉन्ग्रेस सचिव प्रणव झा ने टाइम्स ऑफ इंडिया से कहा कि ईडी की कार्रवाई न्यायिक प्रक्रिया के तहत है और उसे लीक करना अपराध है। इसलिए हम इस पर कोई टिप्पणी नहीं करेंगे। ईडी राहुल से अब तक कई सत्रों में करीब 30 घंटे पूछताछ कर चुकी है। एजेंसी ने केरल के वायनाड से सांसद राहुल गाँधी को 17 जून 2022 को भी पूछताछ के लिए तलब किया है।
आपको बता दें कि वोरा AJL के चेयरमैन और मैनेजिंग डायरेक्टर हुआ करते थे। वे AICC (ऑल इंडिया कॉन्ग्रेस कमिटी) के कोषाध्यक्ष भी रहे। राहुल गाँधी और उनकी माँ सोनिया गाँधी की यंग इंडियन में 76 फीसदी हिस्सेदारी है। शेष 24 फीसदी वोरा और ऑस्कर फर्नांडीस (प्रत्येक 12 फीसदी) के पास थी। फर्नांडीस का भी 13 सितंबर 2021 में निधन हो गया थी। वोरा की तरह ऑस्कर फर्नांडिस भी AJL और YIL के डायरेक्टर रहे थे।
गौरतलब है कि पूरा मामला नेशनल हेराल्ड अखबार से जुड़ा है। ‘नेशनल हेराल्ड’ की स्थापना 1937 में हुई थी। AJL तब उर्दू में ‘कौमी आवाज़’ और हिंदी में ‘नवजीवन’ नामक अख़बार निकालता था। नेहरू के लेख इसमें अक्सर आया करते थे। अंग्रेज सरकार ने इसे 1942 में बैन कर दिया था। नेहरू स्वतंत्रता के बाद इसके बोर्ड के अध्यक्ष पद से तो हट गए, लेकिन अख़बार कॉन्ग्रेस से ही चलता रहा। 1963 में इसके सिल्वर जुबली कार्यक्रम में नेहरू ने सन्देश जारी किया। 2016 में इसे फिर से डिजिटल प्लेटफॉर्म के रूप में लॉन्च किया गया था।
कई वर्षों से सर्कुलेशन कम होने और घाटे में जाने के कारण 2008 में ‘नेशनल हेराल्ड’ अख़बार को बंद कर दिया गया था। इसने अपने ऑपरेशन्स बंद कर दिए। लेकिन, दिल्ली, लखनऊ और मुंबई जैसे महानगरों में इसके पास अकूत संपत्ति थी। अख़बार के पास 2000 करोड़ रुपए की संपत्ति होने का अंदाज़ा लगाया गया था।
असली खेल यहीं से शुरू हुआ, जब कॉन्ग्रेस ने अपने पार्टी फंड से अख़बार को 90 करोड़ रुपए का लोन दिया। 2010 में कॉन्ग्रेस ने अपनी नई कंपनी YIL को AJL वाला ऋण असाइन कर दिया। जब AJL ऋण चुका नहीं पाया तो उसकी सारी संपत्तियों को YIL को ट्रांसफर कर दिया गया। इस तरह 50 लाख रुपए के बदले AJL की सारी संपत्तियों का मालिकाना हक़ गाँधी परिवार के स्वामित्व वाली YIL के पास चली गई।
इसको लेकर 2013 में भाजपा सांसद सुब्रमण्यन स्वामी ने शिकायत दर्ज कराते हुए पूछा कि 1000 शेयरधारकों वाली 2000 करोड़ रुपए की संपत्ति किसी कंपनी से मात्र 50 लाख रुपए का लोन देकर कैसे हड़पी जा सकती है? कुल लोन 90.25 करोड़ रुपए का था, जिसके माध्यम से स्वामी ने गाँधी परिवार पर धोखाधड़ी के करने के आरोप लगाए। कॉन्ग्रेस के इन 4 बड़े नेताओं के अलावा पार्टी की ओवरसीज शाखा के अध्यक्ष सैम पित्रोदा और ‘राजीव गाँधी फाउंडेशन’ के पत्रकार सुमन दुबे भी इस मामले में आरोपित हैं।