इंटरनेट ट्रोल और NDTV पत्रकार ध्रुव राठी के धैर्य का बाँध भी एग्जिट पोल्स को देखकर आखिरकार टूट गया। ध्रुव राठी ने ट्विटर पर मीडिया और राजनीतिक समूहों के प्रति अपना रोष व्यक्त करते हुए 2 ट्वीट के माध्यम से अपनी कड़ी नाराजगी व्यक्त की है।
पहले ट्वीट में ध्रुव राठी ने लिखा है, “मुझे आश्चर्य नहीं होगा अगर एग्जिट पोल्स सही निकले। लोगों ने प्रोपेगैंडा के असर को हलके में लिया।” कॉन्ग्रेस की ओर इशारा करते हुए ध्रुव राठी ने कहा, “90% मीडिया, बॉलीवुड फिल्म, TV सीरियल्स, सोशल मीडिया एडवर्टीस्मेंट आपके कण्ट्रोल में होने के बावजूद, सभी आपको एक मसीहा के रूप में स्थापित और भी आपको ‘गंदा धंधा’ करने के लिए खुली छूट दे रखी है। इस सबका बड़ा असर हुआ है।”
I won’t be surprised if #ExitPolls are correct
— Dhruv Rathee (@dhruv_rathee) May 19, 2019
People underestimate the impact of Propaganda. Having 90% media in your control, Bollywood films, TV serials, social media ads all projecting you as a messiah and EC giving you a free hand to play dirty = Massive influence.
ध्रुव राठी ने दूसरे ट्वीट में लिखा है, “सच्चाई चाहे जो भी हो, अगर एक आदमी किसी झूठ को दिन में 10 बार सुने, तो वो उसे सच मान लेता है। यहाँ तक कि हिटलर को भी आखिरी इलेक्शन में 33% जर्मन्स का समर्थन मिला था।”
No matter the reality, if a person constantly hears the same lie 10 times a day from different places, he’ll believe it’s the truth
— Dhruv Rathee (@dhruv_rathee) May 19, 2019
Even Hitler enjoyed a comfortable support of up to 33% Germans in their last fair elections
इन दोनों ट्वीट्स को देखकर अंदाजा लगाया जा सकता है कि सोशल मीडिया पर प्रोपेगैंडा फैलाने के लिए मशहूर ध्रुव राठी का निशाना कोई और नहीं बल्कि, कॉन्ग्रेस पार्टी अध्यक्ष राहुल गाँधी हैं। जिस प्रकार से राहुल गाँधी लगातार मोदी सरकार को घोटालों में घिरा हुआ साबित करने के लिए झूठे डाक्यूमेंट्स और बयानों का सहारा लेते रहे, शायद ध्रुव राठी उन्हीं से अपनी निराशा व्यक्त कर रहे थे। यहाँ तक कि राहुल गाँधी को ‘चौकीदार चोर है’ जैसे नारों के लिए सुप्रीम कोर्ट ने फटकार भी लगाई थी और उन्हें इसके लिए माफ़ी भी माँगनी पड़ी थी।
ट्रोल राठी स्वयं भी निम्न कोटि के प्रोपेगंडाबाज़ हैं जो अक्सर झूठ और प्रपंच के सहारा लेकर लोगों में भ्रांतियाँ फैलाते पाए जाते हैं। यही कारण है कि वो इस बात को बेहतर तरीके से समझते हैं कि लोगों ने उनके प्रोपेगंडा को हलके में लिया जिस कारण एग्जिट पोल में उनके फेवरेट आम आदमी पार्टी का डब्बा गोल हो गया। साथ ही, राहुल गाँधी को मसीहा बनाने की भी सारी कवायद काम नहीं आई। तमाम फ़र्ज़ी आँकड़ों की मदद से, रोजगार से लेकर दर्शन शास्त्र तक में अपनी रुचि दिखाने वाले राठी इस बात से बेहद निराश दिखे जो उनके ट्वीट में पढ़ने को मिलता है।
हमें ध्रुव राठी की स्थिति से सहानुभूति है और सलाह यह है कि ऐसे समय में उन्हें अपने दोस्तों और झुंड के साथ रहना चाहिए।
फिलहाल एग्जिट पोल के नतीजों को देखकर लिबरल गैंग और मीडिया गिरोहों में विशेष निराशा देखने को मिली है। रिपोर्ट्स लिखे जाने तक NDTV के ही वयस्क पत्रकार रवीश कुमार भी अपने प्राइम टाइम में अपने समर्थकों से धैर्य बनाए रखने की अपील करते देखे गए और उन्होंने कहा कि एग्जिट पोल की बातों में आकर हौसला ना खोएँ और 23 मई तक कम से कम प्रतीक्षा करें।