Sunday, September 1, 2024
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‘न्यूट्रल’ पत्रकार सुप्रिया श्रीनेट द्वारा राहुल गाँधी का समर्थन करने पर मिला पुरस्कार, महाराजगंज सीट से लड़ेंगी चुनाव

एक पत्रकार के रूप में सुप्रिया श्रीनेट की निष्ठा स्पष्ट रूप से संदिग्ध है क्योंकि कॉन्ग्रेस में शामिल होने की उनकी योजना सहज और सरल तो नहीं हो सकती, इसके लिए उन्होंने सोच-विचार कर लंबी योजना बनाई होगी।

‘न्यूट्रल’ पत्रकार सुप्रिया श्रीनेट, ईटी नाउ की कार्यकारी संपादक, शुक्रवार को कॉन्ग्रेस पार्टी में शामिल हो गईं। इस बात का ख़ुलासा कॉन्ग्रेस द्वारा जारी की गई चौथी लिस्ट से हुई। चौथी लिस्ट में पार्टी नेतृत्व ने सुप्रिया को उत्तर प्रदेश के महाराजगंज से तनुश्री त्रिपाठी की जगह चुनाव लड़ने का मौक़ा दिया है।

दिलचस्प बात यह है कि कॉन्ग्रेस पार्टी में शामिल होने वाली सुप्रिया श्रीनेट द्वारा इसी हफ़्ते पत्रकारों की ‘न्यूट्रिलिटी’ और अखंडता पर सवाल उठाए थे। हाल ही में, सुप्रिया श्रीनेट ने RBI के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन का साक्षात्कार लिया था और अपने इसी शो में राहुल गाँधी के NYAY कार्यक्रम का समर्थन भी किया था।

आज यह स्वीकार करना अस्वाभाविक नहीं है कि देश में कई पत्रकार हैं जो एक तरफ तो गाँधी परिवार के प्रति सहानुभूति रखते हैं और दूसरी तरफ जनता में ‘न्यूट्रल’ होने का स्वांग रचते हैं। सुप्रिया श्रीनेट का कॉन्ग्रेस के प्रति यह गहरा लगाव एक दिन में तो नहीं बना होगा बल्कि यह प्रक्रिया बहुत पहले से रही होगी।

सुप्रिया श्रीनेट को लोकसभा चुनाव का उम्मीदवार बनाए जाने से पहले किसी भी राजनीतिक दल की विचारधारा को समझने के लिए अपने टिकट की पैरवी करने या कम से कम निर्णय लेने के लिए पर्याप्त समय लेना चाहिए। अगर सुप्रिया श्रीनेट टिकट की पैरवी कर रही थीं या लंबे समय से कॉन्ग्रेस पार्टी में शामिल होने पर विचार कर रही थीं, तो क्या यह एक पत्रकार के रूप में उनका यह आचरण उन्हें सवालों के घेरे में नहीं घेरता?

एक पत्रकार के रूप में सुप्रिया श्रीनेट की निष्ठा स्पष्ट रूप से संदिग्ध है क्योंकि कॉन्ग्रेस में शामिल होने की उनकी योजना सहज और सरल तो नहीं हो सकती, इसके लिए उन्होंने सोच-विचार कर लंबी योजना बनाई होगी। कॉन्ग्रेस में शामिल होने का रास्ता उन्होंने बहुत पहले से तैयार किया होगा जिसका संबंध हाल में लिए गए साक्षात्कार और राहुल गाँधी की नीतियों का समर्थन करने से नहीं है।

इस बीच, यह जानना भी पेचीदा है कि क्या ईटी नाउ इस तथ्य से अवगत था कि सुप्रिया श्रीनेट का कॉन्ग्रेस पार्टी के प्रति झुकाव था। अगर ईटी नाउ को उनके कॉन्ग्रेस लिंक के बारे में पता था, तो मीडिया संगठन ने जनता में इसका ख़ुलासा क्यों नहीं किया या सुप्रिया को पत्रकारिता की आड़ में ईटी नाउ स्टूडियो से कॉन्ग्रेस का प्रचार करने से दूर रखने की कोशिश क्यों नहीं की?

पत्रकारिता के क्षेत्र में निष्पक्षता एक पहलू है। प्रत्येक पत्रकार अपने स्वयं के राजनीतिक विचारों का हक़दार होता है। ऐसे में सुप्रिया श्रीनेट का ये आचरण उन्हें एक नहीं बल्कि अनेकों सवालों के घेरे में ला खड़ा करता है जो अपने प्रोफेशन की आड़ में राजनीतिक सपने को पूरा करने की जुगत में दिखती हैं।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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