Sunday, September 1, 2024
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कॉन्ग्रेस समर्थक साकेत गोखले को झटका, शेफाली वैद्य के खिलाफ अवमानना कार्यवाही से AG का इनकार

साकेत गोखले ने शेफाली वैद्य के खिलाफ इसलिए अवमानना का मामला दर्ज करना चाहा था क्योंकि अटॉर्नी जनरल ने उन लेफ्ट-लिबरलों के खिलाफ मुकदमा दायर करने की अनुमति दी थी, जिन्होंने अर्णब गोस्वामी को जमानत देने के लिए सुप्रीम कोर्ट की आलोचना की थी।

अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने कॉन्ग्रेस समर्थक साकेत गोखले को झटका देते हुए एक्टिविस्ट-लेखिका शेफाली वैद्य के खिलाफ अवमानना कार्यवाही शुरू करने के लिए अपनी सहमति देने से इनकार कर दिया। लाइव लॉ ने अपनी रिपोर्ट में इसकी जानकारी दी।

खुद को राहुल गाँधी का फॉलोवर बताने वाले साकेत गोखले ने अटॉर्नी जनरल से लेखिका शेफाली वैद्य के खिलाफ अदालत की अवमानना अधिनियम, 1971 (Contempt of Courts Act) की धारा 15 के तहत अवमानना याचिका दायर करने की अनुमति माँगी थी। साकेत ने आरोप लगाया था कि शेफाली वैद्य ने देश की न्यायपालिका के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी की है।

कॉन्ग्रेस समर्थक साकेत गोखले द्वारा शेफाली वैद्य के खिलाफ कार्रवाई की माँग वाले पत्र का जवाब देते हुए अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने कहा कि जिस ट्वीट को लेकर वो अदालत की अवमानना कार्यवाही शुरू करना चाहते हैं, वह ट्वीट शेफाली वैद्य के ट्विटर पेज पर लगभग एक साल पहले पोस्ट किया गया था।

अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने कहा कि केंटेम्प्ट ऑफ कोर्ट्स एक्ट, 1971 की धारा 20 के अनुसार, कोई भी कथित रूप से विरोधाभासी आचरण की एक साल की अवधि समाप्त होने के बाद उसके खिलाफ कोई अवमानना कार्रवाई शुरू नहीं किया जा सकता, जब तक कि मामले का स्वत: संज्ञान न लिया जाए।

एजी केके वेणुगोपाल ने कहा, “इसलिए इन परिस्थितियों को देखते हुए शेफाली वैद्य के खिलाफ कार्रवाई शुरू नहीं की जा सकती। अत: मैं आपको इसकी सहमति देने से इनकार करता हूँ।”

बता दें कि साकेत गोखले जिस ट्वीट को लेकर अदालत की अवमानना याचिका दायर करना चाहते थे, वह ट्वीट शेफाली वैद्य ने 2017, 2018 और 2019 में किए थे। गोखले ने पिछले महीने उन ट्वीट्स के स्क्रीनशॉट पोस्ट किए थे, जिनमें कहा गया था कि वह ‘एक दिलचस्प अदालत की अवमानना याचिका’ पर काम कर रहे हैं। ट्वीट में शेफाली वैद्य ने दिवाली के दौरान पटाखों पर प्रतिबंध और अन्य मामलों में किए गए विवादास्पद टिप्पणियों पर शीर्ष अदालत की आलोचना की थी।

यहाँ पर बताने की जरूरत नहीं है कि साकेत गोखले ने शेफाली वैद्य के खिलाफ इसलिए अवमानना का मामला दर्ज करना चाहा था क्योंकि अटॉर्नी जनरल ने उन लेफ्ट-लिबरलों के खिलाफ मुकदमा दायर करने की अनुमति दी थी, जिन्होंने रिपब्लिक टीवी के एडिटर-इन-चीफ अर्णब गोस्वामी को जमानत देने के लिए सुप्रीम कोर्ट की कड़ी आलोचना की थी। 

अटॉर्नी जनरल ने लेफ्ट ट्रोल के खिलाफ अवमानना कार्रवाई शुरू करने की सहमति दी

गौरतलब है कि अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने लॉ के एक छात्र को कॉमिक आर्टिस्ट रचिता तनेजा के खिलाफ अवमानना कार्यवाही शुरू करने के लिए सहमति दे दी है। रचिता तनेजा पर अवमानना की कार्यवाही की सहमति उन ट्वीट्स के लिए दी गई, जो ‘दुस्साहसिक हमला और संस्था का अपमान’ था। 

अर्णब गोस्वामी को बेल दिए जाने को लेकर sanitarypanels ने एक कार्टून बनाया था। जिसमें लिखा था, “तू जानता नहीं मेरा बाप कौन है।” इसमें बीच में अर्णब गोस्वामी को, एक तरफ सुप्रीम कोर्ट और दूसरी तरफ बीजेपी को दिखाया गया।

इसी तरह के दूसरे ट्वीट में सुप्रीम कोर्ट को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) से जोड़ते हुए ‘संघी कोर्ट ऑफ इंडिया’ के रूप में उल्लेखित किया। इसमें कैप्शन दिया गया, “अर्णब को जमानत मिलती है, असली पत्रकारों को जेल मिलती है, स्वतंत्र न्यायपालिका विफल होती है।”

इससे पहले गालीबाज ‘कॉमेडियन’ कुणाल कामरा द्वारा किए गए विवादित ट्वीट को लेकर अटॉर्नी जनरल ने अवमानना का मुकदमा चलाने की अनुमति दी थी। अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने यह अनमुति इलाहाबाद हाईकोर्ट के वकील अनुज सिंह की शिकायत के आधार पर दी थी। 

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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