पूर्व केंद्रीय मंत्री और हॉकी ओलंपियन असलम शेर खान ने एक पत्र में दो साल की अवधि के लिए कॉन्ग्रेस अध्यक्ष बनने की इच्छा प्रकट की है। लेकिन उनकी इस पेशकश को कॉन्ग्रेसी खेमे में किसी भी वरिष्ठ नेता ने गंभीरता से नहीं लिया।
आम चुनाव में पराजय के बाद राहुल गाँधी ने 25 मई को दिल्ली में कॉन्ग्रेस कार्यसमिति की बैठक में अपने इस्तीफ़े की पेशकश की थी। हालाँकि, उनका इस्तीफ़ा नामंज़ूर कर दिया गया था और इस नाते वो आज भी अपने पद पर आसीन हैं। ख़बर के अनुसार, असलम ख़ान पहले ऐसे नेता हैं जिन्होंने राहुल गाँधी की जगह ख़ुद को स्थापित करने का प्रस्ताव रखा। इसका सीधा-सा मतलब है कि उन्होंने कॉन्ग्रेस अध्यक्ष पद का कार्यभार को संभालने की इच्छा सबसे पहले प्रकट की।
पार्टी के सर्वोच्च निर्णय लेने वाले निकाय ने सर्वसम्मति से प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया और एक प्रस्ताव पारित किया, जिसमें राहुल गाँधी को संगठन में सुधार के लिए कहा गया। देश भर के कॉन्ग्रेस नेताओं और गठबंधन दलों के प्रमुखों ने गाँधी से अपने फ़ैसले पर पुनर्विचार करने का आग्रह किया। 27 मई को कॉन्ग्रेस अध्यक्ष को लिखे पत्र में ख़ान ने लिखा:
“… मैं अपनी सेवाएँ पार्टी को देना चाहूँगा और केवल दो साल की समय-अवधि के लिए एक अस्थायी कॉन्ग्रेस अध्यक्ष के रूप में ज़िम्मेदारी लूँगा।”
ओलंपियन असलम शेर ख़ान, जो मलेशिया में कुआलालंपुर में 1975 का विश्व कप जीतने वाली भारतीय हॉकी टीम के सदस्य थे, उन्होंने कहा कि वो एक अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी और एक राजनीतिज्ञ हैं और अपने इसी अनुभव के आधार पर उन्होंने यह पेशकश की।
65 वर्षीय पूर्व ओलंपियन असलम ख़ान ने 1972 में म्यूनिख ओलंपिक में भाग लिया था। वो कभी-कभार कॉन्ग्रेस पार्टी में एक वर्ग के ख़िलाफ़ अपनी आलोचनात्मक टिप्पणियों के लिए सुर्ख़ियों में रहे हैं, उन्हें लगता है कि वह फिर से एक सुपर-सब बन सकते हैं। 2017 में, तत्कालीन मध्य प्रदेश कॉन्ग्रेस प्रमुख अरुण यादव के ख़िलाफ़ ख़ान ने एक ऐसा बयान दिया था जिसके चलते राज्य इकाई को यह घोषणा करनी पड़ गई थी कि असलम ख़ान अब पार्टी से नहीं जुड़े रहेंगे।