Wednesday, November 13, 2024
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गठबंधन का नाम ‘INDIA’ रख कर फँस गए विपक्षी दल? इस नाम से कुछ भी नहीं हो सकता है रजिस्टर, समझें क्या कहता है कानून

आपका ट्रेडमार्क या फिर डिजाइन इस तरह का नहीं हो सकता जो ऊपर वर्णित है (जैसे अशोक चक्र या राष्ट्रीय ध्वज), इनका कोई पेटेंट भी नहीं कराया जा सकता।

विपक्षी गठबंधन ने कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरु में हुई बैठक के बाद UPA को अलविदा कहते हुए ‘INDIA (Indian National Developmental Inclusive Alliance)’ नाम एक एक नया गठबंधन बनाया है। इसके बाद पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कह दिया कि 2024 लोकसभा चुनाव की लड़ाई अब ‘INDIA बनाम NDA’ की होगी। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या देश के नाम का इस्तेमाल इस तरह से किया जा सकता है?

इसके लिए हमें सबसे पहले कानून को देखना पड़ेगा। अगर सिर्फ बोलचाल के लिए ही गठबंधन बनाया गया है तो वो ‘INDIA’ इसका नाम रख सकते हैं या फिर कहने-सुनने के लिए इसका इस्तेमाल कर सकते हैं, लेकिन जैसे ही बात रजिस्ट्रेशन वगैरह की आएगी तो ये संभव नहीं हो पाएगा। चूँकि बताया गया है कि राष्ट्रीय राजधानी नई दिल्ली में गठबंधन का एक सचिवालय भी होगा, इसीलिए हो सकता है कि आगे चल कर गठबंधन के नाम पर ही चुनावी अभियान से लेकर वेबसाइट वगैरह भी लॉन्च की जाए।

भारत में अगर किसी नए राजनीतिक दल का गठन करना है तो इसके लिए आवदेन चुनाव आयोग के दफ्तर ‘निर्वाचन सदन’ में देना होता है। इसके बाद चुनाव आयोग इस दल को रजिस्टर करता है और उसे चुनाव चिह्न प्रदान करता है। लेकिन, बात ये भी है कि गठबंधन का नाम बिना रजिस्ट्रेशन के भी कागज पर हो सकता है और मुँहजबानी हो सकता है, इसे रजिस्टर कराने की कोई अनिवार्यता नहीं है। UPA, NDA, MVA या फिर ‘महागठबंधन’ – इन सबका इस्तेमाल खूब होता है लेकिन किसी सरकारी पंजीकरण की ज़रूरत नहीं पड़ती।

लेकिन, अगर विपक्षी गठबंधन सिर्फ ‘INDIA’ नाम के साथ किसी भी संस्था, वेबसाइट, कंपनी या संगठन को रजिस्टर कराने जाता है तो उसे मुँह की खानी पड़ सकती है। उसे इस नाम के आगे-पीछे ज़रूर कुछ जोड़ना पड़ेगा, क्योंकि संविधान के हिसाब से ये हमारे देश का नाम है। इसकी तह तक जाने के लिए हमें ‘THE EMBLEMS AND NAMES (PREVENTION OF IMPROPER USE) ACT, 1950’ को समझना पड़ेगा। आइए, देखते हैं कि ये कानून क्या कहता है।

ये कानून कहता है कि कुछ खास नाम, प्रतीक और चिह्न ऐसे हैं जिन्हें रजिस्टर नहीं कराया जा सकता है। इनमें 20 ऐसे चीजों की सूची दी गई है जिनका इस्तेमाल रजिस्ट्रेशन के लिए नहीं किया जा सकता। जैसे, आप ‘इंडिया टीवी’ हो सकते हैं, ‘NDTV इंडिया’ हो सकते हैं या फिर ‘टाइम्स ऑफ इंडिया’ हो सकते हैं, लेकिन ‘इंडिया’ नहीं हो सकते, ‘भारत’ नहीं हो सकते। आप भारत के किसी राजकीय चिह्न या प्रतीक को भी रजिस्टर नहीं करा सकते।

वो 20 चीजें हैं – UN का नाम, चिह्न और सील, WHO का नाम, चिह्न या सील, भारत के राष्ट्रीय ध्वज, भारत देश या इसके किसी भी राज्य या सरकारी संगठन का नाम, प्रतीक या मुद्रा, राष्ट्रपति-राज्यपाल का नाम, चिह्न या सील, ऐसा कोई नाम जिससे लगे कि सरकार या सरकारी संस्थाओं के अंतर्गत आता हो, राष्ट्रपति, राष्ट्रपति भवन व राजभवन का नाम या तस्वीर, महात्मा गाँधी या भारत के किसी भी प्रधानमंत्री की तस्वीर (इन्हें कैलेंडरों के लिए इस्तेमाल में लाया जा सकता है, लेकिन इसका कमर्शियल प्रयोग नहीं होना चाहिए), किसी भी सरकार सम्मान या मेडल का नाम-चिह्न, ‘इंटरनेशनल सिविल एविएशन ऑर्गेनाइजेशन’ का नाम-चिह्न-सील, ‘इंटरपोल’ शब्द, ‘World Meteorological Organisation’ का नाम-प्रतीक-मुद्रा, ‘Tuberculosis Association of India’ का नाम-प्रतीक-सील, ‘International Atomic Energy Agency’ का नाम-प्रतीक-सील, ‘अशोक चक्र’ और ‘धर्म चक्र’ जैसे नाम या फिर उनकी तस्वीर, संसद-विधानसभा या फिर किसी भी अदालत का नाम-तस्वीर-चिह्न, ‘रामकृष्ण मठ’ या ‘रामकृष्ण मिशन’ का नाम-चिह्न, ‘शारदा मठ’ या ‘रामकृष्ण शारदा मिशन’ का नाम-चिह्न, ‘भारत स्काउट्स एन्ड गाइड्स’ का नाम-प्रतीक।

ये कानून कहता है कि ऊपर जो भी वर्णित हैं उनका इस्तेमाल किसी भी संस्था, कंपनी या समूह के रजिस्ट्रेशन के लिए नहीं किया जा सकता। आपका ट्रेडमार्क या फिर डिजाइन इस तरह का नहीं हो सकता जो ऊपर वर्णित है (जैसे अशोक चक्र या राष्ट्रीय ध्वज), इनका कोई पेटेंट भी नहीं कराया जा सकता। ये भी बताया गया है कि इसमें केंद्र सरकार का निर्णय अंतिम होगा। आप ‘रिपब्लिक’ या ‘सदर-ए-रियासत’ नाम का इस्तेमाल भी नहीं कर सकते रजिस्ट्रेशन के लिए।

यही कारण है कि अर्णब गोस्वामी ने अपने चैनल का नाम सिर्फ ‘रिपब्लिक’ नहीं, बल्कि ‘रिपब्लिक वर्ल्ड’ और ‘रिपब्लिक भारत’ रखा। अब आपके मन में एक सवाल ज़रूर आ रहा होगा कि भारत में ‘India.com’ नाम की भी तो वेबसाइट है और इसका रजिस्ट्रेशन कैसे हो गया? इसके लिए बता दें कि इसकी रजिस्टर्ड कंपनी का नाम ‘Indiadotcom Digital Pvt Ltd’ है, सिर्फ ‘INDIA’ नहीं। ये सिर्फ ‘India’ नहीं हो सकता है, इस नाम से कोई कंपनी रजिस्टर का भी नहीं सकता।

‘India.com’ को भी 2011 में लॉन्च किया गया था। उस समय अधिकतर विदेशी कंपनियाँ ही थीं जो डोमेन बेचने और होस्टिंग का काम करती थीं। लेकिन, अब कई भारतीय कंपनियाँ भी ये काम करने लगी हैं और हो सकता है कि आज की तारीख़ में इसे रजिस्टर करने में दिक्कतें आतीं। तब इंटरनेट को लेकर नियम-कानून कच्चे चरण में ही थे। ‘.com’ को छोड़ कर अगर ‘.in’ की बात करें तो अधिकतर भारतीय वेब डोमेन बेचने वाली या होस्टिंग की कंपनियाँ ही इसे बेचती हैं, लेकिन वो ‘India.in’ नहीं बेचतीं।

जहाँ तक विपक्षी गठबंधन के नए नाम ‘INDIA’ का प्रश्न है, अधिवक्ता शशांक शेखर झा ने भी इस तरह ट्वीट कर के इशारा किया है। उन्होंने लिखा है, “भारत का ‘संप्रतीक और नाम (अनुचित प्रयोग निवारण)’ अधिनियम, 1950 के तहत विपक्षी दल अपने गठबंधन का नाम ‘INDIA’ नहीं इस्तेमाल में ला सकते। चुनाव आयोग को इस पर कार्रवाई करनी चाहिए।” लेकिन, बात ये है कि जब तक इसे रजिस्टर नहीं कराया जाता तब तक सब ठीक है। अगर सचिवालय होगा, कैम्पेन लॉन्च होगा – तो रजिस्टर कराया जाएगा? तो फिर किस नाम से? क्या कोई बदलाव होगा?

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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