केंद्रीय मंत्री (पर्यावरण, सूचना एवं प्रसारण, भारी उद्योग) प्रकाश जावड़ेकर ने ऑपइंडिया को दिए इंटरव्यू में कई मुद्दों पर अपनी बात काफी मुखरता के साथ रखी। इस दौरान उन्होंने इंटरनेट सामग्री के स्व विनियमन (self regulation) पर भी बात की।
केंद्रीय मंत्री से जब पूछा गया कि डिजिटल मीडियम में फिलहाल किस तरह की चुनौतियाँ हैं? तो उन्होंने इसका जवाब देते हुए कहा कि यह बहुत ही महत्वपूर्ण पहलू है और उनका मानना है कि डिजिटल मीडिया खुद ही इसे सेल्फ रेग्युलेट करे, लेकिन अगर उन्हें मदद चाहिए, तो वो मदद करने के लिए भी तैयार हैं।
उन्होंने आगे कहा, “इसके अच्छे और बुरे दोनों तरह के नतीजे आ रहे हैं। इसलिए हमने OTT प्लेटफॉर्म को कहा है कि वो सेल्फ-रेग्युलेशन की अच्छी व्यवस्था करें। डिजिटल मीडिया से भी कह सकते हैं, क्योंकि कंटेंट ऑर्गेनाइज्ड होता है। लेकिन डिसऑर्गेनाइज्ड कंटेंट पर लगाम कसना थोड़ा मुश्किल है। एक मैकेनिज्म बनाइए, जिसकी विश्वसनीयता हो और किसी को भी इससे शिकायत न हो और उसके कारण सुधार होता रहे और अगर कोई नहीं करता है तो क्या करना है, इसका विकल्प हमेशा सरकार के पास खुले होते हैं।”
फेक न्यूज को लेकर प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि इसके लिए पीआईबी है। वो बहुत अच्छे से फैक्ट चेक करती है। उसकी प्रतिष्ठा भी हो गई है। आगे इसके लिए और सख्त कदम उठाए जाएँगे। इसकी वजह से अनेक चैनल ने फेक न्यूज दिखाना बंद किया, कई चैनलों को माफी माँगनी पड़ी, अनेक अखबारों को माफी माँगनी पड़ी। इसका परिणाम यह हुआ कि अब लोग भी चेक करके ही न्यूज लगाते हैं, बिना सोर्स का न्यूज नहीं लगाते हैं।
केंद्रीय मंत्री से जब पूछा गया कि उन्होंने कम से कम तीन बार विदेशी संस्थाओं को ट्विटर पर तथ्यात्मक रूप से गलत साबित किया है, लेकिन वही चीज मीडिया में नहीं दिखती है कि आपने ऐसा किया है। इस पर वो कहते हैं, “मैं देश-विदेश की हर खबरें देखता हूँ। ऐसे में अगर कोई गलत जानकारी या खबर होती है तो हम उन तक पहुँचाते हैं। ये काम पीआईबी करता है। पीआईबी के ऐसे कुछ प्रयासों को मैं ट्विट्स में बदलता हूँ, लेकिन हर ट्विट्स के द्वारा मैं मंत्रालय नहीं चलाता हूँ।”