प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज (दिसंबर 10, 2020) नए संसद भवन का शिलान्यास किया। उन्होंने संसद भवन का पूजन कर उसकी आधारशिला रखी। अपने संबोधन में इस अवसर को प्रधानमंत्री ने ऐतिहासिक और 130 करोड़ भारतीयों के लिए गर्व का दिन बताया। साथ ही संसद की नई इमारत को एक ऐसी तपोस्थली से जोड़ा, जो भारतीयों के कल्याण का काम करेगी।
पीएम मोदी ने कहा, “आज का दिन भारत के लोकतांत्रिक इतिहास में मील के पत्थर की तरह है। हम भारत के लोग मिलकर अपनी संसद के इस नए भवन को बनाएँगे और इससे सुंदर क्या होगा। इससे पवित्र क्या होगा कि जब भारत अपनी आजादी के 75 वर्ष का पर्व मनाएँ, तो उस पर्व की साक्षात प्रेरणा, हमारी संसद की नई इमारत बने।”
हम भारत के लोग मिलकर अपनी संसद के इस नए भवन को बनाएंगे।
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और इससे सुंदर क्या होगा, इससे पवित्र क्या होगा कि जब भारत अपनी आजादी के 75 वर्ष का पर्व मनाए,
तो उस पर्व की साक्षात प्रेरणा, हमारी संसद की नई इमारत बने: पीएम @narendramodi #NewParliament4NewIndia pic.twitter.com/n3GURAOvR3
प्रधानमंत्री ने इस अवसर पर 2014 के उस दिन को याद किया, जब उन्हें पहली बार संसद आने का मौका मिला। उन्होंने उस वक्त लोकतंत्र के इस मंदिर को सिर झुका कर, माथा टेक कर नमन किया था।
मैं अपने जीवन में वो क्षण कभी नहीं भूल सकता जब 2014 में पहली बार एक सांसद के तौर पर मुझे संसद भवन में आने का अवसर मिला था।
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तब लोकतंत्र के इस मंदिर में कदम रखने से पहले, मैंने सिर झुकाकर, माथा टेककर, लोकतंत्र के इस मंदिर को नमन किया था: पीएम #NewParliament4NewIndia pic.twitter.com/HDsEt9iKKv
पीएम कहते हैं कि हमारे वर्तमान संसद भवन ने आजादी के आंदोलन और फिर स्वतंत्र भारत को गढ़ने में अपनी अहम भूमिका निभाई है। आजाद भारत की पहली सरकार का गठन भी यहीं हुआ और पहली संसद भी यहीं बैठी। लेकिन अब संसद के शक्तिशाली इतिहास के साथ ही यर्थाथ को स्वीकारना उतना ही आवश्यक है। ये इमारत अब करीब 100 साल की हो रही है। बीते वर्षों में इसे जरूरत के हिसाब से अपग्रेड किया गया। कई नए सुधारों के बाद संसद का ये भवन अब विश्राम माँग रहा है।
संसद के शक्तिशाली इतिहास के साथ ही यर्थाथ को स्वीकारना उतना ही आवश्यक है।
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ये इमारत अब करीब 100 साल की हो रही है। बीते वर्षों में इसे जरूरत के हिसाब से अपग्रेड किया गया।
कई नए सुधारों के बाद संसद का ये भवन अब विश्राम मांग रहा है।
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उन्होंने बताया कि वर्षों से नए संसद भवन की जरूरत महसूस की गई है। ऐसे में हम सभी का दायित्व है कि 21वीं सदी के भारत को एक नया संसद भवन मिले। इसी कड़ी में ये शुभारंभ हो रहा है। वह बोले, “पुराने संसद भवन ने स्वतंत्रता के बाद के भारत को दिशा दी, तो नया भवन आत्मनिर्भर भारत के निर्माण का गवाह बनेगा। पुराने भवन में देश की आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए काम हुआ, तो नए भवन में 21वीं सदी के भारत की आकांक्षाएँ पूरी की जाएँगी।”
उन्होंने इंडिया गेट से आगे बने नेशनल वॉर मेमोरियल का जिक्र करते हुए कहा कि संसद का नया भवन अपनी पहचान को स्थापित करेगा। आने वाली पीढियाँ नए संसद भवन को देखकर गर्व करेंगी कि ये स्वतंत्र भारत में बना है। आजादी के 75 वर्ष का स्मरण करके इसका निर्माण हुआ है।
भारतीयों के लिए लोकतंत्र को जीवन मूल्य करार देते हुए पीएम ने लोकतंत्र को जीवन पद्धति और राष्ट्र जीवन की आत्मा कहा। उन्होंने कहा कि भारत का लोकतंत्र, सदियों के अनुभव से विकसित हुई व्यवस्था है। भारत के लिए लोकतंत्र में, जीवन मंत्र भी है, जीवन तत्व भी है और साथ ही व्यवस्था का तंत्र भी है।
जैसे आज इंडिया गेट से आगे नेशनल वॉर मेमोरियल ने नई पहचान बनाई है, वैसे ही संसद का नया भवन अपनी पहचान स्थापित करेगा।
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आने वाली पीढ़ियां नए संसद भवन को देखकर गर्व करेंगी कि ये स्वतंत्र भारत में बना है। आजादी के 75 वर्ष का स्मरण करके इसका निर्माण हुआ है।#NewParliament4NewIndia pic.twitter.com/KwYerGuqYv
इतिहास में जाते हुए पीएम मोदी ने याद कराया कि आजादी के समय किस तरह से एक लोकतांत्रिक राष्ट्र के रूप में भारत के अस्तित्व पर संदेह जताया गया था। अशिक्षा, गरीबी, सामाजिक विविधता सहित कई तर्कों के साथ ये भविष्यवाणी कर दी गई थी कि भारत में लोकतंत्र असफल हो जाएगा। लेकिन आज हम गर्व से कह सकते हैं कि हमारे देश ने उन आशंकाओं को न सिर्फ गलत साबित किया, बल्कि 21वीं सदी की दुनिया भारत को अहम लोकतांत्रिक ताकत के रूप में आगे बढ़ते देख रही है।
पीएम ने कहा भारत में लोकतंत्र, हमेशा से ही गवर्नेंस के साथ ही मतभेदों को सुलझाने का माध्यम भी रहा है। मतभेद के लिए हमेशा जगह है लेकिन डिस्कनेक्ट कभी न हो, इसी लक्ष्य को लेकर हमारा लोकतंत्र आगे बढ़ा है। आज नीतियों में भले ही अंतर हो भिन्नता हो, लेकिन जनता की सेवा अंतिम लक्ष्य है और इसमें कोई मतभेद नहीं होना चाहिए।
Policies में अंतर हो सकता है, भिन्नता हो सकती है।
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लेकिन हम Public की सेवा के लिए हैं, इस अंतिम लक्ष्य में कोई मतभेद नहीं होना चाहिए।
वाद-संवाद संसद के भीतर हों या संसद के बाहर,
राष्ट्रसेवा का संकल्प, राष्ट्रहित के प्रति समर्पण लगातार झलकना चाहिए।#NewParliament4NewIndia pic.twitter.com/9KUEjSitLy
इसके साथ उन्होंने राष्ट्र भावना को सर्वोपरि कहा और राष्ट्रीय संकल्पों की सिद्धि के लिए एक स्वर में साथ खड़े होने की बात कही। उनके अनुसार भारत की एकता-अखंडता को लेकर किए गए उनके प्रयास, इस मंदिर की प्राण-प्रतिष्ठा की ऊर्जा बनेंगे। जब एक-एक जनप्रतिनिधि, अपने ज्ञान, बुद्धि, शिक्षा, अपने अनुभव को पूर्ण रूप से यहाँ निचोड़ देगा, उसका अभिषेक करेगा, तब इस नए संसद भवन की प्राण-प्रतिष्ठा होगी।
भारत की एकता-अखंडता को लेकर किए गए उनके प्रयास, इस मंदिर की प्राण-प्रतिष्ठा की ऊर्जा बनेंगे।
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जब एक-एक जनप्रतिनिधि, अपना ज्ञान, बुद्धि, शिक्षा, अपना अनुभव पूर्ण रूप से यहां निचोड़ देगा, उसका अभिषेक करेगा, तब इस नए संसद भवन की प्राण-प्रतिष्ठा होगी।#NewParliament4NewIndia pic.twitter.com/Okl4KNLs0C
पीएम मोदी ने जन कल्याण के लिए मूलभूत सिद्धांत दोहराया। उन्होंने कहा, “हमें संकल्प लेना है। ये संकल्प हो India First का। हम सिर्फ और सिर्फ भारत की उन्नति, भारत के विकास को ही अपनी आराधना बना लें। हमारा हर फैसला देश की ताकत बढ़ाए। हमारा हर निर्णय, हर फैसला, एक ही तराजू में तौला जाए। और वो है- देश का हित सर्वोपरि।”
उन्होंने सभी भारतीयों को प्रण दिलाया कि हमारे लिए देश के संविधान की मान-मर्यादा और उसकी अपेक्षाओं की पूर्ति, जीवन का सबसे बड़ा ध्येय होगी।
हमें संकल्प लेना है…
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ये संकल्प हो India First का।
हम सिर्फ और सिर्फ भारत की उन्नति, भारत के विकास को ही अपनी आराधना बना लें।
हमारा हर फैसला देश की ताकत बढ़ाए।
हमारा हर निर्णय, हर फैसला, एक ही तराजू में तौला जाए।
और वो है- देश का हित सर्वोपरि।#NewParliament4NewIndia pic.twitter.com/aDpViGmFcs