प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी दिल्ली के द्वारका स्थित DDA ग्राउंड में रामलीला आयोजन में शामिल हुए और इस दौरान उन्होंने कई महत्वपूर्ण बातें कहीं। विजयादशमी के दिन प्रधानमंत्री ने पहले रामलीला में प्रभु श्रीराम, माता सीता और लक्ष्मण का पूजन किया और उसके बाद जनता को संबोधित किया।
प्रधानमंत्री ने देशवासियों को याद दिलवाया कि हम ऐसे समय में विजयादशमी मना रहे हैं जब हमारा चंद्रयान-3 चन्द्रमा की सतह पर दो माह पहले उतर चुका है। उन्होंने कहा कि विजयादशमी पर शस्त्र पूजन का विधान है, हमारे देश में शस्त्र की पूजा मातृभूमि की रक्षा के लिए की जाती है।
भारत की धरती पर शस्त्रों की पूजा किसी भूमि पर आधिपत्य नहीं, बल्कि उसकी रक्षा के लिए की जाती है: PM @narendramodi pic.twitter.com/iCeS1Rkwao
— PMO India (@PMOIndia) October 24, 2023
प्रधानमंत्री ने इस दौरान अयोध्या में बन रहे श्रीराम मंदिर का भी उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि रामलला विराजने में कुछ ही महीने बाकी हैं। ऐसे में अगली रामनवमी पर अयोध्या में गूँजने वाला हर स्वर विश्व को हर्षित करेगा। उन्होंने राम मंदिर को ‘जीत’ के रूप में बताया।
इस दौरान प्रधानमंत्री को सुनने के लिए हजारों की भीड़ रामलीला में मौजूद थी। यह आयोजन द्वारका DDA ग्राउंड में किया गया था। प्रधानमंत्री के साथ दिल्ली भाजपा के बड़े नेता मौजूद रहे। मंच पर मौजूद रहने वालों में सांसद प्रवेश वर्मा भी थे।
प्रधानमंत्री ने कहा कि हम श्रीराम की मर्यादाओं को भी जानते हैं और अपनी सीमाओं की रक्षा करना भी जानते हैं। हम शक्ति पूजन के संकल्प और कोरोना जैसी बीमारी के दौरान ‘सर्वे सन्तु निरामया’ के नियम का पालन करने वाले लोग हैं।
हमें समाज में बुराइयों के, भेदभाव के अंत का संकल्प लेना चाहिए: PM @narendramodi pic.twitter.com/1vcHZqbc8M
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उन्होंने भगवान राम के विचारों का भारत बनाने की अपील की। भगवान राम के विचारों के भारत को प्रधानमंत्री ने विकसित, आत्मनिर्भर और विश्व में शान्ति का सन्देश देने वाला भारत बताया। प्रधानमंत्री मोदी ने विजयादशमी के उत्सव को हर राष्ट्रभक्त की विजय का उत्सव बताया।
प्रधानमंत्री मोदी ने इस दौरान देश में जातिवाद और क्षेत्रवाद फ़ैलाने वालों पर करार प्रहार किया। उन्होंने कहा, “ये दहन हो उन शक्तियों का जो जातिवाद और क्षेत्रवाद के नाम पर माँ भारती को बाँटने का प्रयास करती हैं। ये दहन हो उन विचारों का जिनमें भारत का विकास नहीं स्वार्थ की सिद्धि निहित है।” उन्होंने भारत को विश्व की सबसे बड़ी और सबसे विश्वस्त डेमोक्रेसी भी बताया।