Monday, November 18, 2024
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प्रियंका जी माना आपके भाई को अडानी-अबांनी नहीं खरीद पाए, पर वह कौन सा राहुल गाँधी है ​जिसे ‘अडानी का यार’ कहता है हसदेव अरण्य

प्रियंका गाँधी को दंभ भरने से पहले पता होना चाहिए कि आज के भारत में जैसे गोदी सेठ वाले पत्रकार की टीआरपी जीरो है, वैसे ही कॉन्ग्रेस के शीर्ष परिवार की क्रेडिबिलिटी भी जीरो है।

कॉन्ग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गाँधी ने जब सितंबर 2022 में भारत जोड़ो यात्रा (Bharat Jodo Yatra) शुरू की, उस समय मैं कॉन्ग्रेस शासित छत्तीसगढ़ में था। जब कन्याकुमारी में वे भारत माता को गाली देने वाले पादरी की पाठशाला में बैठे थे, मैं बारिश में हसदेव अरण्य की (Hasdeo Aranya) ओर बढ़ रहा था। मैं आपको ये सब इसलिए बता रहा, क्योंकि 3 जनवरी 2023 को जब राहुल की यात्रा का दूसरा चरण शुरू हुआ, उनकी बहन और कॉन्ग्रेस महासचिव प्रियंका गाँधी वाड्रा (Priyanka Gandhi Vadra) ने एक दावा किया है।

उत्तर प्रदेश में यात्रा के प्रवेश के दौरान लोनी बॉर्डर के मंच से प्रियंका गाँधी ने दावा किया कि अडानी, अंबानी ने बड़े से बड़े नेता खरीद लिए। देश की मीडिया खरीद ली। लेकिन उनके भाई राहुल गाँधी को नहीं खरीद पाए और ना कभी खरीद पाएँगे।

इसी तरह का दावा आजकल प्रणय रॉय नामक सेठ का मुलाजिम रहा एक पत्रकार भी करता फिर रहा है। उसकी बात फिर कभी। आज प्रियंका गाँधी के अडानी वाले दावे को सुनते ही मुझे अचानक से हसदेव अरण्य याद आ गया। मुझे वह राजनीतिक दोगलापन याद आने लगा जिसके पीड़ित छतनार के पेड़ों के बीच बनी एक झोपड़ी में उस बारिश के बीच बैठे थे, जब मैं उनके पास पहुँचा था। खुद को पीड़ित बताने वाले जनजातीय समाज के ये लोग अडानी के लिए राहुल गाँधी पर धोखा देने का आरोप लगा रहे थे।

दूर-दूर तक फैली हरियाली से होकर आप छत्तीसगढ़ के सरगुजा जिले के घने जंगलों के बीच स्थित हरिहरपुर पहुँचते हैं। यहीं वह जगह, वह झोपड़ी और वे लोग मुझे मिले थे जो 02 मार्च 2022 से अनिश्चतकालीन धरने पर बैठे थे। हरिहरपुर, सालही, फतेहपुर, घाटबर्रा, चारपाड़ा, मदनपुर जैसे कई गाँव के जनजातीय समाज ‘हसदेव बचाओ’ के नारे के साथ छत्तीसगढ़ की कॉन्ग्रेस सरकार और अडानी समूह के खिलाफ संघर्षरत थे। राहुल गाँधी पर वादाखिलाफी का आरोप लगा रहे थे। उनका कहना था कि परसा में खदान की अनुमति फर्जी ग्रामसभा का आयोजन कर दी गई। खुदाई की वजह से वे करीब 4.5 लाख पेड़ों की कटाई होने का दावा कर रहे थे। यह भी कहना था कि कॉन्ग्रेस सरकार ने उनसे संवाद करने को एक अधिकारी तक नहीं भेजा, लेकिन जबरन पेड़ काटने के लिए उसका अमला आए दिन धमक जाता है।

कॉन्ग्रेस से इनलोगों की नाराजगी की वजह राहुल गाँधी का वह वादा था, जो उन्होंने 2015 में किया था। हरिहरपुर से करीब 15 किलोमीटर दूर मदनपुर में जून 2015 में राहुल गाँधी ने एक सभा की थी। इस दौरान इन ग्रामीणों को भरोसा दिलाया था कि राज्य में कॉन्ग्रेस की सरकार बनने पर इस इलाके में खुदाई की अनुमति नहीं होगी। उनके गाँव नहीं उजड़ने दिए जाएँगे। इस वादे पर भरोसा कर इनलोगों ने 2018 के विधानसभा चुनावों में कॉन्ग्रेस को समर्थन दिया। राज्य में भूपेश बघेल के नेतृत्व में कॉन्ग्रेस की सरकार भी आ गई। इसके बाद कॉन्ग्रेस और राहुल गाँधी ने यह वादा भूला दिया।

वादा याद दिलाने के लिए यहाँ के करीब 300 ग्रामीणों ने 4 अक्टूबर 2021 को एक पदयात्रा शुरू की। यह 11 अक्टूबर को रायपुर पहुँची। बघेल सरकार को राहुल गाँधी का वादा याद दिलाया। आश्वासन मिला, पर हुआ कुछ नहीं। इसके बाद ग्रामीणों का एक दल दिल्ली आकर राहुल गाँधी से मिला। उन्होंने भी कथित तौर पर फिर भरोसा दिलाया। फिर भी कोई पहल नहीं हुई तो ग्रामीणों ने ‘हसदेव अरण्य बचाओ संघर्ष समिति’ के बैनर तले धरना शुरू किया था।

सालही के नंदराम ने ऑपइंडिया को बताया था, “छत्तीसगढ़ में कॉन्ग्रेस सरकार आने से हम लोगों को लगा कि जब ये नरवा, गरुआ, घुरुवा की बात कर रही है तो यह खदान आवंटन रद्द करेगी। लेकिन यह नरवा, घुरुवा को उजाड़ने का काम कर रही है।” उल्लेखनीय है कि छत्तीसगढ़ का परसा कोल ब्लॉक राजस्थान राज्य विद्युत् उत्पादन निगम लिमिटेड को आवंटित है। राजस्थान की सरकार ने अनुबंध पर इसे खनन के लिए अडानी समूह को दिया है। राजस्थान में भी कॉन्ग्रेस की ही सरकार है।

मुझे यह नहीं पता कि इस ठंड में भी हसदेव अरण्य के बीच बनी उस झोपड़ी के नीचे लोग बैठे हैं या नहीं। मुझे यह भी नहीं पता कि मेरे आने के बाद कितने पेड़ों की कटाई हुई है। हाल ही में हसदेव अरण्य खनन परियोजना पर रोक से सुप्रीम कोर्ट ने भी इनकार किया है। मैं इस विमर्श में भी नहीं पड़ना चाहता कि यह परियोजना उस समय भी चल रही थी, जब छत्तीसगढ़ में बीजेपी की सरकार हुआ करती थी।

ये सब बातें इसलिए बेमानी हैं ​क्योंकि ये सारे तथ्य 2015 में भी थे। बावजूद राहुल गाँधी ने इनके गाँवों को उजड़ने नहीं देने का वादा किया था। लेकिन सत्ता में आने के बाद उन्होंने इनलोगों की सुध तक लेने की कोशिश नहीं की। न ही उनकी सरकार ने इनसे संवाद का प्रयास, जबकि कॉन्ग्रेस की ही सरगुजा यूनिट और इसी इलाके से आने वाले बघेल सरकार के मंत्री टीएस सिंहदेव इनको समर्थन देने की बात करते रहे।

बावजूद लोनी बॉर्डर से प्रियंका गाँधी जो दंभ रही थीं, वह बताता है कि कॉन्ग्रेस के शीर्ष परिवार को आज भी लगता है कि इस देश की जनता मूर्ख है। उसे वह उसी तरह झाँसा दे पाएगी, जैसे देकर उसने 70 सालों तक राज किया। लेकिन उन्हें पता होना चाहिए कि आज के भारत में जैसे इस तरह का दावा करने वाले एंकर की टीआरपी जीरो है, वैसे ही कॉन्ग्रेस के शीर्ष परिवार की क्रेडिबिलिटी भी जीरो है।

हसदेव अरण्य में चल रहे आंदोलन पर हमारी ग्राउंड रिपोर्ट को आप इस लिंक पर क्लिक कर पढ़ सकते हैं

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अजीत झा
अजीत झा
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