26/11 की 12वीं बरसी पर आज कई भारतीय सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर उस मुंबई हमले की चर्चा कर रहे हैं, जिसमें 170 लोगों से ज्यादा की मौत हुई थी और 300 से अधिक घायल हुए थे। 26 नवंबर 2008 को 10 इस्लामी आतंकियों ने भारत की आर्थिक राजधानी मुंबई में घुस कर 4 दिन तक भारी तबाही मचाई थी। उन्होंने कई इलाकों में गोलीबारी और बमबारी करते हुए खून की नदियाँ बहाई थी।
इन आतंकियों ने 26 नवंबर से 29 नवंबर 2008 के बीच में पूरे देश को भयभीत कर दिया था। आज उसी दिन को याद करते जहाँ पूरा देश पाकिस्तान की आलोचना कर रहा है, मृतकों को श्रद्धांजलि दे रहा है, वहीं कॉन्ग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गाँधी ने इस पर चुप्पी साधी हुई है। राहुल ने इस हमले को लेकर एक ट्वीट तक शेयर नहीं किया है। वहीं कॉन्ग्रेस के आधिकारिक ट्विटर अकाउंट से एक ट्वीट शेयर हुआ है।
हैरानी की बात यह है कि ऐसा नहीं है कि राहुल गाँधी ने सोशल मीडिया से दूरी बनाने के कारण इस मामले पर कुछ टिप्पणी न की हो। वह सोशल मीडिया पर लगातार एक्टिव हैं। उन्होंने किसानों के प्रोटेस्ट पर पुलिस एक्शन की निंदा की है। लेकिन उन्होंने एक ट्वीट भी 26/11 पर नहीं किया। उनके अन्य ट्वीटों में उन्होंने फुटबॉलर डिएगो माराडोना, कॉन्ग्रेस नेता अहमद पटेल और शिया नेता डॉ. मौलाना कल्बे की मृत्यु पर अपनी संवेदना व्यक्त की है।
नहीं हुआ है अभी सवेरा,
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) November 26, 2020
पूरब की लाली पहचान
चिड़ियों के जगने से पहले,
खाट छोड़ उठ गया किसान
काले क़ानूनों के बादल गरज रहे गड़-गड़,
अन्याय की बिजली चमकती चम-चम
मूसलाधार बरसता पानी,
ज़रा ना रुकता लेता दम!
मोदी सरकार की क्रूरता के ख़िलाफ़ देश का किसान डटकर खड़ा है। pic.twitter.com/UMtYbKqSkM
गौरतलब है कि राहुल गाँधी का ऐसा असंवेदनशील रवैया पहली दफा उजागर नहीं हुआ है। पिछले साल 2019 भी राहुल ने इस मौके पर कुछ नहीं कहा था और न ही आतंकी हमले में मारे गए लोगों को श्रद्धांजलि दी थी। इसके अलावा साल 2008 में जब पाकिस्तान के आतंकी मुंबई के लोगों को सड़कों पर मार रहे थे, उसके कुछ दिन बाद ही गाँधी परिवार के युवराज दिल्ली में पार्टी कर रहे थे।
मीडिया खबरों में बताया गया था कि उस समय दिल्ली के बाहरी इलाके में राहुल गाँधी अपने बचपन के दोस्त समीर शर्मा की संगीत रस्म में पहुँचे थे। वह राधे मोहन चौक पर स्थित फार्म हाउस में थे। इंडिया टुडे में, इस संगीत रस्म को लेकर लिखा गया था, “शनिवार की रात का संगीत ‘दिलकश’ था। इसे दुल्हन की बहन लीना मुसाफिर और उसके पति इंद्र द्वारा होस्ट किया गया था। पार्टी में 800 से अधिक मेहमानों ने भाग लिया, जिसमें पेज 3 लोग भी शामिल थे।”
इस आर्टिकल में कॉर्पोरेट वकील अजय बहल को कोट करके लिखा था, “राहुल गाँधी के इस रवैए ने भावी नेताओं पर हमारे यकीन को खो दिया है।” अजय बहल स्वयं 26/11 के दौरान ओबरॉय अस्पताल में फँस गए थे, लेकिन होटल स्टाफ की मदद से बच निकलने में सफल रहे थे।
बता दें कि आज राहुल गाँधी की असंवेदनशीलता इसलिए भी चौंकाने वाली नहीं है, क्योंकि उन्होंने जब 26/11 के दौरान ही कुछ नहीं बोला और पार्टी मनाते रहे, तो जाहिर है उन्हें 12 साल बाद क्यों लगेगा कि मुंबई में आतंकी हमले जैसा कुछ हुआ था। मगर शर्मनाक ये जरूर है कि कॉन्ग्रेस ऐसे लापरवाह नेता को यूथ का चेहरा बताती है और उनमें भावी प्रधानमंत्री के सारे गुण देखती है।