कॉन्ग्रेस पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गाँधी ने असम के शिवसागर में हुई रैली में कहा कि सत्ता में आने पर सीएए लागू नहीं करेंगे। अक्सर अपनी बातों से ज़्यादा हरकतों की वजह से चर्चा में रहने वाले राहुल गाँधी ने इस रैली में असम के एक पारंपरिक गमछे का इस्तेमाल किया, जिससे वह राज्य के लोगों और खुद के बीच ‘कनेक्ट’ स्थापित कर पाएँ (जैसा अमूमन उनसे होता नहीं है)।
#WATCH | “…..Hum ne yeh gamchha pehna hai.. ispe likha hai CAA.. ispe humne cross laga rakha hai, matlab chahe kuchh bhi ho jaye.. CAA nahi hoga.. ‘hum do, hamare do’ achhi tarah sun lo, (CAA) nahi hoga, kabhi nahi hoga,” says Congress leader Rahul Gandhi in Sivasagar, Assam pic.twitter.com/ZYk7xAUdYx
— ANI (@ANI) February 14, 2021
गमछा दिखाते हुए राहुल गाँधी ने कहा कि इस पर सीएए (नागरिकता संशोधन क़ानून) लिखा हुआ है और उस पर क्रॉस का निशान बना हुआ है। इसका मतलब यह है कि चाहे जो हो जाए सीएए लागू नहीं होगा। राहुल गाँधी ने कहा, “हमने ये गमछा पहना है इस पर लिखा है सीएए। इस पर हमने क्रॉस लगा रखा है मतलब चाहे जो हो जाए सीएए नहीं होगा! हम दो हमारे दो…।। अच्छी तरह सुन लो, (सीएए) नहीं होगा, कभी नहीं होगा।”
सीएए 2019 के दौरान संसद के दोनों सदनों से पारित किया गया था। इस पर अभी अमल किया जाना बाकी है। इस कानून की मदद से पड़ोसी देशों के प्रताड़ित अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों को नागरिकता दी जाएगी। इसके लागू होने के बाद पाकिस्तान, अफ़गानिस्तान, बांग्लादेश के हिन्दू, सिख, बौद्ध, जैन और ईसाई लोगों को नागरिकता दी जाएगी।
लेकिन कॉन्ग्रेस के पूर्व अध्यक्ष ने ताजा बयान से फिर साबित किया है कि उन्हें इस्लामी देशों के प्रताड़ित हिन्दुओं, सिखों, बौद्धों, जैनों, ईसाइयों से कोई मतलब नहीं है। इन देशों में मौजूद अधिकांश लोग दलित समुदाय से आते हैं, जिनके हित की कॉन्ग्रेस हमेशा वकालत करती है। इसका मतलब साफ़ है कि ‘दलितों के अधिकारों’ के लिए लड़ने की बात छलावा मात्र है। दलितों के मुद्दे पर की गई सारी भाषणबाजी सिर्फ राजनीतिक मुनाफ़े के लिए की गई थी।
असम में सीएए को लेकर पूर्व में काफी विरोध-प्रदर्शन हुए थे। प्रदेश में इस मुद्दे पर लगभग सारे विवाद हल हो चुके हैं। लेकिन आगामी विधानसभा चुनावों में यह बेशक बड़ा मुद्दा होगा।