राजस्थान (Rajasthan) में महिलाओं के साथ अपराध की घटनाएँ अपने चरम पर पहुँच गई हैं। बलात्कार और हत्या (Rape and Murder) की घटनाएँ राजस्थान के लोगों की जिंदगी जैसे रोजमर्रा की घटनाएँ हो गई हैं। हालाँकि, वहाँ के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (CM Ashok Gehlot) के नेतृत्व वाली कॉन्ग्रेस ने इसके लिए भी बहाना खोज लिया है।
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का कहना है कि साल 2012 में दिल्ली में हुए बर्बर निर्भया कांड के बाद अपराधियों को फाँसी मिलने लगी है। इसलिए बलात्कारी महिलाओं के साथ रेप करने के बाद उनकी हत्या कर दे रहे हैं।
सीएम गहलोत को इस बयान पर गौर करें तो उनका मंतव्य यही निकलता है कि अगर रेपिस्टों को फाँसी नहीं दी जाती तो अपराधी रेप करने के बाद हत्याएँ नहीं करते। यानी घटना सिर्फ रेप तक ही सीमित रह जाती और पीड़ित महिला का जीवन बच जाता है।
यह पहली बार नहीं है, जब अशोक गहलोत ने इस तरह का बयान दिया है। मई 2022 में उन्होंने कहा था कि प्रदेश में बलात्कार और अन्य अपराधों के बढ़ने का कारण ‘नौकरियों की कमी’ के कारण लोगों में फैली हताशा हैं। यहाँ तक कि उन्होंने रेप की अधिकांश घटनाओं को फर्जी बता दिया।
एक मुख्यमंत्री के रूप में इससे घिनौना बयान शायद ही होगा, क्योंकि सीएम के हाथ में प्रदेश की कमान होती है और वहाँ की सुरक्षा-व्यवस्था को संभालने के लिए एक विकसित तंत्र होता है। सीएम गहलोत ने रेप और हत्या की घटनाओं को रोकने के लिए पुलिस-प्रशासन को मजबूत करने या तकनीक का सहारा लेने या फिर मामले की त्वरित सुनवाई जैसे कदम उठाने के बजाए उन्होंने बहाने खोज लिए।
सीएम गहलोत का यह बयान एक तरह से अपराधियों का मनोबल बढ़ाने वाला है। यह बयान भी कुछ वैसा ही है, जब समाजवादी पार्टी की सरकार के दौरान उत्तर प्रदेश में रेप की घटनाएँ चरम पर पहुँच गईं तो वर्तमान सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव ने कह दिया कि बच्चों से गलतियाँ हो ही जाती हैं।
भाजपा ने बोला हमला
सीएम गहलोत के इस बयान के बाद भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता शहजाद जयहिंद ने उन पर निशाना साधा है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत इस तरह का बयान देेते रहे हैं, लेकिन राहुल गाँधी और प्रियंका गाँधी चुप हैं।
Gehlot blames Strict Rape laws not the rapists!Says Rape related murders increased after laws were tightened post Nirbhaya!Not the first such statement!He also said most rape cases are fake!His minister said “mardon ka pradesh hence rapes take place” – Priyanka ji is silent? pic.twitter.com/2lMBsu6qCf
— Shehzad Jai Hind (@Shehzad_Ind) August 7, 2022
शहजाद ने कहा, “गहलोत बलात्कारियों के बजाए सख्त दुष्कर्म कानूनों को दोषी ठहरा रहे हैं! उन्होंने कहा कि निर्भया कांड के बाद कानून सख्त होने से रेप से संबंधित हत्याएँ बढ़ीं! ऐसा पहला बयान नहीं! उन्होंने यह भी कहा है कि रेप के ज्यादातर मामले फर्जी हैं! उनके मंत्री ने कहा ‘मर्दों का प्रदेश है, इसलिए रेप होते हैं’, लेकिन प्रियंकाजी चुप हैं?”
मर्दों का प्रदेश, इसलिए होते हैं रेप- कॉन्ग्रेस सरकार के मंत्री
मार्च 2022 में राजस्थान की कॉन्ग्रेस सरकार में मंत्री शांति धारीवाल ने निर्लज हँसी हँसते हुए कहा था कि राजस्थान मर्दों का प्रदेश है, इसलिए यहाँ रेप की घटनाएँ अधिक होती हैं और प्रदेश इसमें नंबर वन पर है।
धारीवाल ने कहा था, “रेप के मामले में हम नंबर एक पर है, अब ये रेप के मामले क्यों हैं? कहीं न कहीं गलती है…” हँसते हुए उन्होंने कहा था, “वैसे भी यह राजस्थान तो मर्दों का प्रदेश रहा है यार, उसका क्या करें?” यह कहकर धारीवाल फिर हँसने लगे और उनके साथ कई और मंत्री कॉन्ग्रेस विधायक भी हँसने लगे।
UP में मार्च निकालने वाले राहुल-प्रियंका राजस्थान पर चुप
उत्तर प्रदेश की घटना को सनसनी बनाकर पेश करने वाले और उसका राजनीतिक इस्तेमाल करने वाले कॉन्ग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गाँधी और महासचिव प्रियंका गाँधी राजस्थान की घटनाओं पर चुप हो जाते हैं। मार्च तो दूर की बात, इन घटनाओं पर उनके मुँह से एक शब्द भी निकलता है।
प्रदेश के कॉन्ग्रेसी मंत्री महेश जोशी के बेटे रोहित जोशी पर रेप के आरोप लग चुके हैं। विधायक मीना पर रेप के आरोप लग चुके हैं। यही नहीं, जोशी के बेटे पर जिस लड़की ने आरोप लगाया था, उस पर हमला किया गया और धमकी दी गई।
प्रदेश में छोटी-छोटी बच्चियों से लेकर 82 साल की बुजुर्ग तक के साथ रेप को अंजाम दिया जा रहा है, लेकिन दोनों भाई-बहन इन घटनाओं पर चुप हैं। कई मौकों पर देश ने कॉन्ग्रेस और उसकी पार्टी के नेताओं ने इस दोहरेपन को नजदीक से देखा है।
रेप के मामले में राजस्थान देश में नंबर एक
राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) के आँकड़ों को गौर करें तो राजस्थान बलात्कार के मामले में देश में सबसे आगे है। साल 2020 में राजस्थान में रेप के कुल 5,310 मामले दर्ज किए गए। वहीं, साल 2019 में इसी अपराध के 5,997 मामले दर्ज हुए थे।
गृहमंत्रालय द्वारा जारी रिपोर्ट में कहा गया है कि साल 2020 में इन अपराधियों में से सिर्फ 45.4 प्रतिशत को सजा मिली। वहीं, उसी साल के रिकॉर्ड मामले के 54.6 प्रतिशत मामले में पीड़िता न्याय पाने में असमर्थ रही। यानी साल 2020 में दर्ज कुल रेप के मामलों में आधे से कम मामले में सजा हुई।
ऐसे में सरकार की नाकामी और पुलिस-प्रशासन की लापरवाही का ठिकरा सीएम अशोक गहलोत कड़े कानून पर डालकर अपनी जिम्मेदारियों से बचने का प्रयास कर रहे हैं। अपराध की बढ़ती घटनाएँ साबित कर रही हैं कि कॉन्ग्रेस सरकार में कानून-व्यवस्था ध्वस्त हो चुकी है।