कोटा के जेके लोन अस्पताल में शुक्रवार (जनवरी 3, 2020) को 2 और बच्चों की मौत हो गई। राजस्थान के स्वास्थ्य मंत्री रघु शर्मा भी सौ से ज्यादा बच्चों की मौत होने के बाद अस्पताल का जायजा लेने पहुॅंचे। इस दौरान उन्होंने प्रदेश की कॉन्ग्रेस सरकार की नाकामियों को छिपाने पर पूरा जोर लगाया। बावजूद उनके एक दावे की पोल खुल गई।
शर्मा ने पिछले दिनों अस्पताल की खस्ताहालत का दोष पूर्ववर्ती भाजपा सरकार पर मढ़ने की कोशिश की थी। कहा था कि भाजपा सरकार ने पर्याप्त पैसे नहीं दिए। उनका कहना था कि 2012 में जब कॉन्ग्रेस सत्ता में थी तो अस्पताल के लिए 5 करोड़ रुपए का बजट मंजूर किया गया था। लेकिन, सरकार बदल गई और उसने 5 करोड़ के बदले 1.7 करोड़ रुपए ही जारी किए। अब पता चला है कि अस्पताल के पास 6 करोड़ रुपए पड़े थे। लेकिन, इनका इस्तेमाल उपकरण वगैरह को ठीक करने के लिए नहीं किया गया।
Rajasthan Health Minister, Raghu Sharma on infant deaths in Kota: In 2012, when Congress was in power, 120 beds were approved for the hospital, of which 60 were for Pediatrics. But then the govt changed and only Rs. 1.7 crore out of Rs. 5 crores was released. pic.twitter.com/geiFHM2pHZ
— ANI (@ANI) January 3, 2020
यह बात खुद जिले के प्रभारी मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास ने कही है। वे भी शर्मा के साथ कोटा के जेके लोन अस्पताल पहुॅंचे थे। बाद में शर्मा ने भी ट्वीट कर बताया कि अस्पताल प्रशासन के पास 6 करोड़ का पर्याप्त बजट उपलब्ध था।
https://platform.twitter.com/widgets.js15 जनवरी तक सेंट्रलाइज्ड ऑक्सिजन लाइन लगाने के हमने निर्देश दे दिए हैं साथ ही अस्पताल प्रशासन के पास 6 करोड़ का पर्याप्त बजट उपलब्ध था अधिकांश इक्विपमेंट्स को सुधार दिया गया है और बाकी को तुरंत सुधरवाने या नए लेने के निर्देश दे दिए हैं।(3/4)
— Dr. Raghu Sharma (@RaghusharmaINC) January 3, 2020
यह तथ्य सामने आने के बाद राज्य सरकार की नाकामी को छिपाने की कोशिश करते हुए दोनों मंत्री ने सारा ठीकरा मीडिया और प्रशासन के सिर फोड़ दिया। प्रताप सिंह ने कहा कि उपकरण ख़रीद की ज़िम्मेदारी डॉक्टरों और अधिकारियों की होती है। उन्होंने लापरवाही की। वहीं अस्पताल के नए अधीक्षक डॉक्टर एससी दुलारा ने बताया कि उन्होंने अब तक बैलेंस शीट नहीं देखी है, इसीलिए उन्हें ख़र्च का अंदाज़ा नहीं है।
रघु शर्मा ने अस्तपाल की जायजा लेने के बाद कहा कि बजट की कमी नहीं है। सबकुछ जल्द ही ठीक कर लिया जाएगा। जबकि चंद दिन पहले ही उन्होंने वसुंधरा राजे की पूर्ववर्ती सरकार पर बजट आवंटन में पक्षपात करने का आरोप लगाया था और कहा था कि जितने बेड की अनुशंसा अशोक गहलोत के पिछले कार्यकाल में की गई थी, उतना नहीं बढ़ाया गया। बजट न होने का रोना रोने वाले रघु शर्मा और उनके साथी मंत्री प्रताप सिंह अब कह रह 6 करोड़ रुपए पड़े हुए थे। ऐसे में सवाल उठता है कि यदि रुपयों की कमी के कारण मौतें हुईं तो फिर 6 करोड़ पड़े क्यों रह गए? पहले से मौजूद राशि को ख़र्च क्यों नहीं किया गया?
‘राजस्थान पत्रिका’ की एक रिपोर्ट के अनुसार, अस्पताल में 533 में से 320 उपकरण ख़राब पड़े हुए हैं। अर्थात, अस्पताल में 60% से ज़्यादा उपकरण ख़राब हैं। मुख्यमंत्री कहते हैं कि बच्चों की मौत कोई ‘नई बात’ नहीं है और चिकित्सा मंत्री कहते हैं कि राजनीति की जा रही है। अगर बच्चों की मौत होगी तो बातें होंगी ही। वो अलग बात है कि मीडिया इसे गोरखपुर अथवा मुजफ्फरपुर ट्रेजडी की तरह तवज्जो नहीं दे रहा। अस्पताल के 19 वेंटिलेटर में से 14 ख़राब पड़े हैं। यानी, 73% वेंटिलेटर ख़राब अवस्था में हैं। कई ट्यूबलाइट बंद थे, पर्दे-चादर वगैरह गंदे थे और परिसर में गाय-भैंस घूम रहे थे।
चिकित्सा मंत्री ने कहा कि चिकित्सा सुविधाओं के लिए बजट की कमी नहीं है उसका सदुपयोग कर समय पर उपकरणों की मरम्मत एवं सुविधाओं को दुरूस्त रखा जाए ताकि अस्पताल में आने वाले मरीजों को किसी प्रकार की असुविधा नहीं हो।
— Govt of Rajasthan (@RajGovOfficial) January 4, 2020
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स्वास्थ्य मंत्री रघु शर्मा के दौरे के कारण अस्पताल की 6 बार सफाई की गई, सारे कपड़ों और लाइटों को बदल दिया गया। डॉक्टरों और स्थानीय अधिकारियों की लापरवाही की बातें भी सामने आ रही है। लेकिन रजथान की कॉन्ग्रेस सरकार ख़ुद को पाक-साफ़ दिखाने के लिए उन पर सारा दोष मढ़ बच निकलना चाहती है।