घटते समर्थन के बीच ‘भारतीय किसान यूनियन (BKU)’ के नेता राकेश टिकैत की बयानबाजी तेज हो गई है। उन्होंने धमकी दी है कि किसान फिर से दिल्ली जाएँगे और बैरिकेड तोड़ेंगे। उन्होंने मंगलवार (मार्च 23, 2021) को जयपुर की एक रैली में ये बातें कही। शुक्रवार को किसान संगठनों ने ‘भारत बंद’ का भी आह्वान किया है।
राकेश टिकैत ने दावा किया है कि तीनों कृषि कानूनों के खिलाफ लड़ रहे किसान संगठन एक हैं और उनमें विभाजन जैसी कोई बात नहीं है। बता दें कि ‘किसान आंदोलन’ में राजनीति और इसके नेताओं की मंशा पर सवाल उठाते हुए कई संगठन इससे अलग हो गए हैं। पश्चिम बंगाल में वामपंथियों ने इससे किनारा कर लिया। राकेश टिकैत ने दावा किया कि केंद्र सरकार ने किसानों को धर्म व जाति के आधार पर विभाजित करने की कोशिश की, लेकिन असफल रही।
उन्होंने किसानों से कहा कि आपलोगों को दिल्ली जाकर फिर से बैरिकेडों को तोड़ना पड़ेगा। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के उस बयान पर भी कटाक्ष किया, जिसमें उन्होंने कहा था कि नए कानूनों के तहत अब किसान अपनी फसल कहीं भी बेच सकते हैं। उन्होंने कहा कि किसान राज्यों की विधानसभाओं, सभी DM दफ्तरों और संसद भवन में बेच कर इसे सही साबित करेंगे, क्योंकि संसद से बेहतर भला कौन मंडी हो सकती है।
एक लाख की भीड़ जुटाने का दावा था, बमुश्किल 5 हजार लोग पहुंचे; आंधी स… https://t.co/AIGbOcUNwE
— Ashok Shrivastav (@AshokShrivasta6) March 24, 2021
राजस्थान की राजधानी जयपुर के विद्याधर नगर स्टेडियम में टिकैत ने रैली की। कहने को तो ये ‘महापंचायत’ थी, लेकिन इसमें भीड़ ही नहीं थी। दावा 1 लाख की भीड़ जुटाने का किया गया था, लेकिन मुश्किल से 5000 लोग भी नहीं जुटे। आयोजकों ने अंधड़ और खराब मौसम पर सारा दोष मढ़ दिया और वक्ताओं ने कहा कि भीड़ न होने से सरकार खुश होगी।
रैली में भगदड़ सी स्थिति थी और एक व्यक्ति घायल भी हो गया। तंबू का पाइप एक युवक के सिर पर ही जा गिरा। राकेश टिकैत ने मोदी सरकार को किसान-विरोधी बताते हुए पूँजीपतियों के साथ समझौते करने के आरोप लगाया और कहा कि देश की जनता न जागी तो ये देश बेच कर चले जाएँगे। मंच पर कॉन्ग्रेस और भीम आर्मी के कई नेता जुटे। रैली की तैयारी करीब एक हफ्ते से चल रही थी, लेकिन फिर भी ये फ्लॉप रही।
इससे पहले बेंगलुरु के किसानों को भड़काते हुए टिकैत ने उन्हें दिल्ली की तर्ज पर पूरे शहर को घेरने को कहा था। उन्होंने कहा कि ये लड़ाई लंबी चलेगी और जब तक तीनों ‘काले कानून’ वापस नहीं हो जाते और MSP पर नया कानून नहीं आ जाता, तब तक हर शहर में ऐसे विरोध-प्रदर्शन शुरू करने होंगे। बता दें कि दिल्ली सीमा से अधिकतर किसान लौट चुके हैं और संगठनों के नेता अब भीड़ नहीं जुटा पा रहे हैं।