Thursday, November 14, 2024
Homeराजनीति'सभी निजी संपत्ति को राष्ट्रीय समझा जाए' योगेंद्र यादव के 7-पॉइंट एक्शन प्लान का...

‘सभी निजी संपत्ति को राष्ट्रीय समझा जाए’ योगेंद्र यादव के 7-पॉइंट एक्शन प्लान का मजाक बनने के बाद रामचंद्र गुहा ने बनाई दूरी

रामचंद्र गुहा ने ट्विटर पर खंड 7.1 का जिक्र करते हुए कहा कि जो खंड चर्चा के दौरान प्रस्तुत किया गया था वह छपे हुए खंड से काफी अलग था। गुहा ने कहा कि, उन्होंने जब मिशन के बयान को मंजूरी दी थी, तो खंड 7.1 में लिखा था, "राष्ट्र के भीतर सभी संसाधन राष्ट्रीय संसाधन हैं, इस मिशन के लिए उपलब्ध हैं।"

पूर्व आप नेता और वर्तमान में स्वराज पार्टी के नेता द्वारा 7-पॉइंट एक्शन प्लान ट्वीट किया गया। जिसका उद्देश्य कोरोनावायरस महामारी से लड़ने में मदद करने के लिए था। इस एक्शन प्लान को ‘प्रमुख अर्थशास्त्रियों और बुद्धिजीवियों’ द्वारा स्पष्ट रूप से समर्थन का दावा भी किया गया।

हालाँकि, ऑपइंडिया ने इन सातों एक्शन पॉइंट पर कहा था कि ये सभी योजनाएँ ऐसी हैं जिन्हें 14 वर्षीय बच्चें द्वारा भी लिखा जा सकता था और इसमें कई दिक्कतें थीं। इनमें से एक खंड था, 7.1 जिसमें कहा गया था कि सभी निजी संपत्ति, जिसमें बॉन्ड, सोना, संपत्ति आदि शामिल हैं उन्हें महामारी से लड़ने के लिए राष्ट्रीय संसाधन के रूप में माना जाना चाहिए।

उन बुद्धिजीवियों में से एक थे रामचंद्र गुहा जिन्होंने इस बचकाने ‘7 पॉइंट योजना’ का समर्थन किया था। हालाँकि, बाद में इस योजना का सोशल मीडिया पर मज़ाक उड़ने के बाद गुहा ने यू-टर्न ले लिया और खुद को एक्शन प्लान से दूर कर लिया।

बाद में रामचंद्र गुहा ने ट्विटर पर खंड 7.1 का जिक्र करते हुए कहा कि जो खंड चर्चा के दौरान प्रस्तुत किया गया था वह छपे हुए खंड से काफी अलग था।

गुहा ने कहा कि, उन्होंने जब मिशन के बयान को मंजूरी दी थी, तो खंड 7.1 में लिखा था, “राष्ट्र के भीतर सभी संसाधन राष्ट्रीय संसाधन हैं, इस मिशन के लिए उपलब्ध हैं।”

गुहा ने आगे कहा कि इस प्रकाशित संस्करण में कई हस्ताक्षरकर्ताओं की स्वीकृति नहीं है और उन्होंने “प्रस्तावित स्टेटमेंट में किए गए कई आवश्यक सुझावों पर ध्यान नही दिया है।”

उल्लेखनीय है कि यद्यपि राम चंद्र गुहा ने स्पष्ट रूप से कहा है कि यह खंड सही मायने में ठीक नहीं है, उन्होंने इस योजना से खुद को पूरी तरह से दूर करने से परहेज किया है। वो अभी भी बयान में कहे किए गए बाकी सुझावों का समर्थन करते है। योजना में किए गए कुछ अन्य सुझाव जिसमें ‘सभी के लिए रोजगार’, ‘सभी के लिए आय’ और ‘अर्थव्यवस्था के सही होने तक कोई इंटरेस्ट नही’।

तथाकथित प्रमुख ‘बुद्धिजीवियों’ द्वारा सुझाए गए उपाय अकल्पनीय हैं और इनमें से कई बुद्धिजीवी सोनिया गाँधी के नेशनल एडवाइजरी कॉउन्सिल में भी थे, जो यह सुनिश्चित करने के लिए राज्य में ज़मीनी स्तर पर काम कर रहे हैं ताकि वे निजी संसाधनों को अपने खजाने में भर सके।

Join OpIndia's official WhatsApp channel

  सहयोग करें  

एनडीटीवी हो या 'द वायर', इन्हें कभी पैसों की कमी नहीं होती। देश-विदेश से क्रांति के नाम पर ख़ूब फ़ंडिग मिलती है इन्हें। इनसे लड़ने के लिए हमारे हाथ मज़बूत करें। जितना बन सके, सहयोग करें

ऑपइंडिया स्टाफ़
ऑपइंडिया स्टाफ़http://www.opindia.in
कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

संबंधित ख़बरें

ख़ास ख़बरें

अमेरिकी कैंपसों को ‘मेरिट’ वाले दिन लौटाएँगे डोनाल्ड ट्रंप? कॉलेजों को ‘वामपंथी सनक’ से मुक्त कराने का जता चुके हैं इरादा, जनिए क्या है...

ट्रम्प ने कहा कि 'कट्टरपंथी मार्क्सवादी सनकी' ने कॉलेजों में घुसपैठ की है और करदाताओं के पैसे को अपने वैचारिक एजेंडे को फैलाने में लगाया है।

पानी की बोतलों में थूक रहा मौलवी, लेने के लिए मुस्लिमों में मची होड़: Video वायरल, जानिए इस्लाम में ‘थूक’ कितने काम की… कैसे...

एक मुस्लिम मौलवी का एक वीडियो वायरल हो रहा है। इसमें वह यहाँ मौजूद लोगों की बोतलों में सूरा (इस्लामिक प्रार्थनाएँ) पढ़ने के बाद थूक रहा है।

प्रचलित ख़बरें

- विज्ञापन -