राजस्थान में एक बार फिर से मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री के बीच का टकराव सतह पर आ गया है। कोटा, जोधपुर और बीकानेर के हॉस्पिटलों में सैकड़ों बच्चों की मौत के बाद अशोक गहलोत ने कहा था कि राजस्थान में किसी बच्चे की मौत पर उसके घर जाकर पीड़ित परिजनों से मिलने की परंपरा नहीं रही है। इस बयान का जवाब देते हुए प्रदेश कॉन्ग्रेस अध्यक्ष और उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट ने कहा कि अगर ऐसी परंपरा नहीं रही है, तो ये परंपरा डालनी चाहिए। उन्होंने पूछा कि क्या पीड़ित माँ-बाप का दुःख बाँटने और उनके आँसू पोंछने के लिए सरकार बच्चे की तेरहवीं होने तक इंतजार करेगी?
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का नाम लिए बिना उनके ‘परंपरा’ वाले बयान की पायलट ने धज्जियाँ उड़ा दी। उन्होंने कहा कि एक तरफ घूँघट को ग़लत परंपरा बना कर उसे ख़त्म किया जा रहा है तो दूसरी तरफ बच्चों की मौत पर घर न जाने वाली परंपरा का बचाव क्यों किया जा रहा है? ये दोहरा रवैया क्यों? उन्होंने कहा कि पीड़ितों का दुःख बाँटने और उनके आँसू पोछना सरकार की जिम्मेदारी है, ये परंपरा डाली जानी चाहिए।
इस दौरान सचिन पायलट ने भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा कि ज़मीन पर पतंग उड़ाने की बजाए पार्टी हवा में पतंगबाजी कर रही है। पायलट ने कहा कि नौजवान नाराज़ हैं और संवाद की कमी है, फिर भी बहुमत के दम पर केंद्र सरकार अपनी मनमानी जनता पर थोपने में लगी हुई है। पायलट के साथ कई कॉन्ग्रेस पदाधिकारी भी थे, जिनके साथ उन्होंने पतंगबाजी की। सचिन पायलट ने गहलोत पर उनके घूँघट वाले बयान को लेकर कटाक्ष किया। गहलोत ने कहा था:
“महिलाओं को घूंघट में देखकर मुझे अच्छा नहीं लगता। जहाँ एक तरफ आज पूरी दुनिया तरक्की कर रही है, वहीं दूसरी तरफ हमारे प्रदेश की महिलाएँ घूँघट में हैं। इस परंपरा को ख़त्म किया जाना चाहिए। महिला सशक्तिकरण की दिशा में ये आवश्यक है।”
राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत का डिप्टी सीएम सचिन पायलट पर निशाना@sharatjpr https://t.co/0pUjwGkCfs
— आज तक (@aajtak) January 11, 2020
उनके इसी बयान को ‘परंपरा’ वाले बयान से जोड़ते हुए सचिन पायलट ने अशोक गहलोत को कठघरे में खड़ा किया। इससे पहले जब कॉन्ग्रेस अध्यक्ष सोनिया गाँधी ने पायलट को पार्टी आलाकमान की तरफ से कोटा में बच्चो की मौत का जायजा लेने भेजा था, तब भी उन्होंने गहलोत की आलोचना की थी। गौरतलब है कि राजस्थान में सत्ता और संगठन के बीच चल रहे इस संघर्ष में जनता पिस रही है। पार्टी आलाकमान भी लाचार नज़र आ रहा है।