प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार (31 अक्टूबर 2024) को सरदार वल्लभभाई पटेल की 149वीं जयंती को उन्हें श्रद्धांजलि दी। पीएम मोदी ने गुजरात के केवड़िया स्थित ‘स्टैच्यू ऑफ यूनिटी’ पर पुष्पांजलि अर्पित की। सरदार की जयंती को राष्ट्रीय एकता दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस अवसर पर एक बड़ा कार्यक्रम भी आयोजित किया गया, जिसमें सांस्कृतिक एवं सैन्य कार्यक्रम भी शामिल हैं।
इस दौरान प्रधानमंत्री ने एकता दिवस भी परेड देखी, जिसमें 9 राज्यों और 1 केंद्रशासित प्रदेश की पुलिस के साथ-साथ 4 केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल, NCC और एक मार्चिंग बैंड की 16 मार्चिंग टुकड़ियाँ शामिल हुईं। परेड में NSG की हेल मार्च टुकड़ी, BSF और CRPF के महिला और पुरुष बाइकर्स की रैली, BSF के मार्शल आर्ट का शो, वायुसेना का ‘सूर्य किरण’ फ्लाईपास्ट शामिल हुईं।
पीएम मोदी ने कहा कि जब भारत को आजादी मिली थी, तब दुनिया में कुछ लोग थे जो भारत के बिखरने का आकलन कर रहे थे। उन्हें उम्मीद नहीं थी कि सैकड़ों रियासतों को जोड़कर एक भारत का निर्माण हो पाएगा, लेकिन सरदार पटेल ने ये करके दिखा दिया। पीएम ने कहा कि ये इसलिए संभव हुआ क्योंकि पटेल व्यवहार में यथार्थवादी, संकल्प में सत्यवादी, कार्य में मानवतावादी और ध्येय में राष्ट्रवादी थे।
प्रधानमंत्री ने कहा, “एक सच्चे भारतीय होने के नाते, हम सभी का कर्तव्य है कि हम देश की एकता के हर प्रयास को celebrate करें। उत्सव, उमंग से भर दें। ऊर्जा, आत्मविश्वास, हर पल नए संकल्प, नई उम्मीद, नई उमंग… यही तो celebration है।” इस दौरान उन्होंने जम्मू-कश्मीर मे अनुच्छेद 370 खत्म होने का भी जिक्र किया।
पीएम मोदी ने कहा, “अनुच्छेद-370 को हमेशा-हमेशा के लिए जमीन में गाड़ दिया गया है। पहली बार वहाँ इस विधानसभा चुनाव में बिना भेदभाव के मतदान किया गया। पहली बार वहाँ के मुख्यमंत्री ने भारत के संविधान की शपथ ली है। ये दृश्य भारत के संविधान निर्माताओं को अत्यंत संतोष देता होगा, उनकी आत्माओं को शांति मिलती होगी और ये संविधान निर्माताओं को हमारी विनम्र श्रद्धांजलि है।”
उन्होंने आगे कहा, “आज पूरे देश को खुशी है कि आजादी के सात दशक बाद देश में एक देश और एक संविधान का संकल्प भी पूरा हुआ है। सरदार साहब को मेरी ये सबसे बड़ी श्रद्धांजलि है। 70 साल तक बाबा साहेब अंबेडकर का संविधान पूरे देश में लागू नहीं हुआ था। संविधान की माला जपने वालों ने संविधान का ऐसा घोर अपमान किया था। कारण था, जम्मू कश्मीर में अनुच्छेद-370 की दीवार।”
अनुच्छेद-370 को हमेशा-हमेशा के लिए जमीन में गाड़ दिया गया है। पहली बार वहां इस विधानसभा चुनाव में बिना भेदभाव के मतदान किया गया।
— BJP (@BJP4India) October 31, 2024
पहली बार वहां के मुख्यमंत्री ने भारत के संविधान की शपथ ली है। ये दृश्य भारत के संविधान निर्माताओं को अत्यंत संतोष देता होगा, उनकी आत्माओं को शांति…
मूर्ति की विशेषता
सरदार पटेल की यह मूर्ति 182 मीटर ऊँची है, जो दुनिया की सबसे ऊँची प्रतिमा है। इसे साल 2010 में नरेंद्र मोदी ने बतौर मुख्यमंत्री इसे स्थापित करने का ऐलान किया था। 31 अक्टूबर 2013 से प्रतिमा का निर्माण शुरू हुआ था, जो पाँच साल बाद यानी कि 31 अक्टूबर 2018 को सरदार पटेल की 143वीं जयंती पर पूरा हुआ। इसका उद्घाटन नरेंद्र मोदी ने प्रधानमंत्री के रूप में किया था।
कहा जाता है कि इस प्रतिमा के लिए देश भर के पाँच लाख से अधिक किसानों के पास से 135 मीट्रिक टन खेती-किसानी के पुराने औजार दान में लिए गए। इन्हें गलाकर 109 टन लोहा तैयार किया गया और इसे प्रतिमा बनाने में इस्तेमाल किया गया। इसमें 2.10 लाख क्यूबिक मीटर सीमेंट-कंक्रीट और 2000 टन काँसे, 6500 टन स्ट्रक्चरल स्टील और 18500 टन सरिया का इस्तेमाल किया गया है।
यह प्रतिमा लगभग 2989 करोड़ रुपए की लागत से 12 किलोमीटर के इलाके में बनाए गए तालाब के बीचों-बीच बनी है। यह प्रतिमा 6.5 तीव्रता के भूकंप और 220 किलोमीटर की गति के तूफान का सामना कर सकती है। प्रतिमा में 85% ताँबे का उपयोग किया गया है। इससे सैकड़ों सालों तक जंग नहीं लगेगा।