ममता बनर्जी की अगुवाई में टीएमसी ने रविवार (21 जुलाई 2024) को शहीद दिवस कार्यक्रम मनाया। कभी शहीद दिवस कार्यक्रम कॉन्ग्रेस मनाती थी, लेकिन ममता बनर्जी ने कॉन्ग्रेस पार्टी से अलग होने के बाद युवा कॉन्ग्रेस के 13 कार्यकर्ताओं की हत्या को अपने नाम के साथ जोड़ लिया और उसका इस्तेमाल कम्युनिष्टों की जड़ काटने में किया। दरअसल, साल 1993 में तब युवा कॉन्ग्रेस की नेता रही ममता बनर्जी की अगुवाई में युवा कॉन्ग्रेसियों का बड़ा प्रदर्शन राइटर्स बिल्डिंग के सामने होना था, लेकिन कोलकाता पुलिस की गोलीबारी में 13 युवा कॉन्ग्रेस कार्यकर्ताओं की जान चली गई थी।
क्यों गई थी कॉन्ग्रेस कार्यकर्ताओं की जान?
दरअसल, पश्चिम बंगाल में वामदलों के शासन के दौरान राशन कार्ड दिखाने पर वोटिंग की अनुमति मिल जाती थी। लेकिन कॉन्ग्रेस माँग कर रही थी कि वोटिंग के लिए सिर्फ मतदाता पहचान पत्र को ही मान्य किया जाए, राशन कार्ड पर वोटिंग को रोका जाए। उस समय ज्योति बसु पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री थे, उन्होंने कॉन्ग्रेस की माँग को खारिज कर दिया था। वहीं, ममता बनर्जी पूरे जोश में थी। वो साल 1984 के लोकसभा चुनाव में दिग्गज नेता सोमनाथ चटर्जी को धूल चटा चुकी थी। ऐसे में युवा कॉन्ग्रेस का नेतृत्व करते हुए उनकी अगुवाई में ही ये रैली निकली थी, जिसमें बाद में 13 युवा कॉन्ग्रेस कार्यकर्ताओं की जान चली गई थी।
कॉन्ग्रेस अगले साल से हर साल पश्चिम बंगाल में 21 जुलाई को शहीद दिवस के तौर पर मनाती रही, लेकिन साल 1998 में ममता बनर्जी ने कॉन्ग्रेस छोड़कर टीएमसी का गठन किया, तो इस शहीद दिवस को भी कॉन्ग्रेस से छीन लिया। इसके बाद से 21 जुलाई को टीएमसी हर साल बड़े पैमाने पर शहीद दिवस मनाती है, जिसे ममता बनर्जी पश्चिम बंगाल में सीपीआई(एम) के खिलाफ खुद के तने रहने के तौर पर प्रस्तुत करती हैं।
इस साल भी 1 जुलाई को टीएमसी ने कोलकाता के धर्मतला इलाके में एक बड़ी रैली का आयोजन किया। इस रैली में इंडी गठबंधन के उसके साथी पहुँचे। एक तरफ तो इंडी गठबंधन से खुद बाहर हुई ममता बनर्जी इस कार्यक्रम का आयोजन कर रही हैं, वहीं, इंडी बंधन में शामिल कम्युनिष्ट पार्टियों को चिढ़ाते हुए उनके ही सहयोगियों को मंच पर भी बुला रही हैं। ये किस तरह की राजनीति ममता बनर्जी कर रही हैं, शायद उन्हें खुद भी नहीं मालूम, क्योंकि लोकसभा चुनाव के दौरान एक तरफ तो वो खुद को इंडी गठबंधन से अलग भी बताती रही, तो बाहर से इंडी गठबंधन को समर्थन देने का भरोसा भी जताती रही, जबकि खुद पूरे पश्चिम बंगाल में वामदलों और कॉन्ग्रेस के खिलाफ चुनाव भी लड़ती रही, तो यूपी में सपा-कॉन्ग्रेस के गठबंधन में शामिल होकर भदोही लोकसभा सीट पर भी चुनाव लड़ लिया।
Today, the entire Trinamool Congress family mourns the demise of the 13 great souls who sacrificed their lives for a greater cause.
— All India Trinamool Congress (@AITCofficial) July 21, 2024
People from across Bengal united under the leadership of our Hon'ble Chairperson Smt. @MamataOfficial to honour the martyrs.
Their courage and… pic.twitter.com/R8GxWYNSF1
खैर, टीएमसी हर साल शहीद दिवस के मौके पर अपने अगले साल के राजनीतिक कदमों का मोटा-मोटा ब्यौरा पेश करती है। इस बार टीएमसी ने अभी से साल 2026 के विधानसभा चुनावों में पार्टी कार्यकर्ताओं को जुट जाने का ऐलान कर दिया है।