भारत के वरिष्ठतम नेताओं में से एक शरद पवार ने 1993 मुंबई बम ब्लास्ट के दौरान कुछ ऐसा किया था, जो आप सोच नहीं सकते। उस दौरान उन्होंने झूठ बोला था, वो भी सिर्फ़ कथित तौर पर सांप्रदायिक सौहार्द्र को बरकरार रखने के लिए। उस समय महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री रहे पवार ने समुदाय विशेष को भी पीड़ित दिखाने के लिए बम ब्लास्ट्स की संख्या बढ़ा दी थी। दूसरे शब्दों में कहें तो उन्होंने एक अतिरिक्त बम ब्लास्ट की ‘खोज’ कर ली थी, जो असल में हुआ ही नहीं था। भले ही आपको यह अविश्वसनीय लगे लेकिन यही सच है। 12 मार्च 1993 को मुंबई को दहलाने वाले 12 सीरियल बम धमाके हुए, जिसके बाद महानगर में अराजकता फ़ैल गई और लोगों में भारी खलबली मच गई।
ये ऐसा पहला आतंकी हमला था, जब भारत में आरडीएक्स का इस्तेमाल किया गया हो। 26/11 तरह ये हमले भी पूर्व नियोजित थे और इन्हें काफी प्लानिंग के बाद अंजाम दिया गया था। उन ब्लास्ट्स में 300 के क़रीब लोग काल के गाल में समा गए थे, वहीं 1400 के क़रीब लोग घायल हुए थे। यह भारत की ज़मीन पर आतंकी हमलों में हुई अब तक की सबसे बड़ी क्षति है। इस घातक आतंकी हमले में शिवसेना दफ़्तर को भी निशाना बनाया गया था।
Sharad Pawar saying Threats to Modi are Lies but How can we believe him now, as when 12 blasts went off in Bombay 1993, he lied & announced there had been 13 blasts. He said 13th blast took place in Masjid Bunder. Before police started investigation, he said LTTE is behind blasts
— Anshul Saxena (@AskAnshul) June 10, 2018
इंडिया टुडे की एक रिपोर्ट के अनुसार, महाराष्ट्र के तत्कालीन मुख्यमंत्री शरद पवार ने हमलों के तुरंत बाद दूरदर्शन स्टूडियो में जाकर बोला था और घोषणा की थी कि कुल 13 धमाके हुए हैं। उन्होंने न जाने कहाँ से एक अतिरिक्त विस्फोट की ‘खोज’ कर ली थी। पवार ने कहा था कि मस्जिद बंदर में 13वाँ विस्फोट हुआ था। चूँकि इस हमले में हिन्दू बहुल क्षेत्रों को निशाना बनाया गया था, ऐसे में पवार ने मस्जिद में विस्फोट की कहानी गढ़ी ताकि समुदाय विशेष को भी पीड़ित की तरह पेश किया जा सके। वास्तव में, सभी 12 धमाके हिन्दू बहुल इलाक़े में किए गए थे।
पवार ने दावा किया था कि उनके इस झूठ के लिए उनकी प्रशंसा की गई थी। एनसीपी सुप्रीमो ने इस हमले में समुदाय विशेष को बराबर पीड़ित दिखाने व सच्चाई को दबाने के लिए झूठ का सहारा लिया था। ऐसा स्वयं पवार ने स्वीकार किया था। उन्होंने इसे ‘संतुलन’ के लिए किया गया प्रयास बताया था। हमले के 22 वर्षों बाद पवार ने पुणे में आयजित 89वीं मराठी साहित्यिक बैठक को सम्बोधित करते हुए स्वीकार किया था कि उन्होंने जानबूझ कर एक अतिरिक्त बम ब्लास्ट की कहानी गढ़ी ताकि समुदाय विशेष को पीड़ित दिखा कर सांप्रदायिक तनाव से बचा जाए क्योंकि ‘पाकिस्तान ऐसा ही चाहता था’। उन्होंने कहा कि उन्हें भी यह पता था कि ये सभी धमाके हिन्दू बहुल क्षेत्रों में हुए थे।
पवार ने कहा कि उन्होंने दूरदर्शन स्टूडियो जाकर ऐसा कहा क्योंकि यह सांप्रदायिक तनाव की स्थिति को बचाने के लिए सही था। वे लोगों को इस बात का एहसास दिलाना चाहते थे कि मजहब विशेष भी इस विस्फोट के शिकार हुए हैं। उन्होंने दावा किया कि न्यायमूर्ति श्रीकृष्ण आयोग द्वारा उनके इस क़दम की सराहना की गई थी। यहाँ तक की पवार ने उस हमले का दोष लिट्टे पर भी मढ़ा था। उन्होंने सांप्रदायिक दंगे रोकने के लिए ऐसा करने का दावा किया। 78 वर्षीय पवार भारत सरकार में केंद्रीय रक्षा व कृषि मंत्री रह चुके हैं। अभी हाल ही में उन्होंने आगामी लोकसभा चुनाव न लड़ने का ऐलान किया है।
12 मार्च 1993 में इन स्थानों पर धमाके हुए थे- मुंबई स्टॉक एक्सचेंज, नरसी नाथ स्ट्रीट, शिव सेना भवन, एयर इंडिया बिल्डिंग, सेंचुरी बाज़ार, माहिम, झावेरी बाज़ार, सी रॉक होटल, प्लाजा सिनेमा, जुहू सेंटॉर होटल, सहार हवाई अड्डा और एयरपोर्ट सेंटॉर होटल। इस धमाके का साज़िशकर्ता दाऊद इब्राहिम और टाइगर मेमन था। इसकी पूरी साज़िश पाकिस्तान में रची गई थी। उस दिन को आज भी ब्लैक फ्राइडे के नाम से जाना जाता है।