महाराष्ट्र की राजनीति में बड़ी हलचल देखने को.मिल रही है। विधानसभा चुनाव बाद जब सरकार गठन के लिए प्रयास चल रहा था, तब सुप्रीमो शरद पवार एक बार भी मातोश्री नहीं गए थे। अब उन्होंने राजभवन जाकर राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी और फिर मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे से मातोश्री जाकर मुलाक़ात की। हाल ही में भाजपा नेता व पूर्व मुख्यमंत्री नारायण राणे ने भी राज्यपाल से मिल कर राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने की माँग की थी।
सीएम उद्धव ठाकरे के घर पर हुई ‘गुप्त बैठक’ की चर्चा महाराष्ट्र का राजनीतिक गलियारों में जोरों पर है। दो तरह की अटकलें लगाई जा रही हैं। जहाँ एक तरफ कुछ लोग महाराष्ट्र की महा विकास अघाड़ी सरकार के खतरे में होने की बात कर रहे, वहीं दूसरी तरफ कुछ लोग केंद्र सरकार द्वारा कोई कड़ा फैसला लिए जाने की अटकलें लगा रहे हैं। राज्य में कोरोना वायरस के मरीजों की संख्या 53,000 के पार हो गई है। स्थिति नियंत्रण के बाहर है।
शरद पवार और उद्धव ठाकरे की बैठक में शिवसेना मुखपत्र ‘सामना’ के संपादक संजय राउत भी मौजूद थे। लम्बे समय के बाद शरद पवार के मातोश्री पहुँचने के पीछे तमाम अटकलें इसीलिए लगाई जा रही हैं क्योंकि 36 दिनों तक चले सत्ता-संघर्ष के दौरान वो एक बार भी वहाँ नहीं गए थे। इससे पहले वो राज्यपाल से मिले थे। दरअसल, राज्यपाल कोश्यारी ने ही एनसीपी के संथापक-अध्यक्ष पवार को बुलावा भेजा था।
इस बैठक में प्रफुल्ल पटेल भी मौजूद थे। हालाँकि, पटेल ने बैठक के बाद दावा किया कि वो राज्यपाल के बुलावे पर आए थे और वहाँ किसी भी तरह की कोई राजनीतिक चर्चा नहीं हुई। अब ये बात लोगों के गले उतर ही नहीं रही कि पवार और पटेल राज्यपाल से बिना किसी राजनीतिक कारण मिलने चले गए हों। प्रफुल्ल पटेल अपने गुजराती कनेक्शन के लिए भी जाने जाते हैं। उनका ससुराल गुजरात के एक बड़े व्यापारिक खानदान में है। ऐसे में सियासी अटकलें स्वाभाविक हैं।
आज से क़रीब 20 दिन पहले पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस, भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष चंद्रकांत पाटिल और भाजपा के पूर्व अध्यक्ष अमित शाह के बीच एक मंत्रणा हुई थी। मीडिया सूत्रों का कहना है कि उसके बाद से ही भाजपा उद्धव ठाकरे को लेकर आक्रामक हो गई है। केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने भी हाल ही में उद्धव पर हमला बोला था। सरकार और राजभवन के बीच लगभग हर मुद्दे पर टकराव हो रहा है, जो अच्छे संकेत नहीं हैं।
“Sharad Pawar & CM Uddhav Thackeray met at Matoshri last evening.The two leaders held talks for one&a half hours.If anyone is spreading news about stability of the govt, it should be considered as their stomach ache.The govt is strong. No worries”, Shiv Sena leader Sanjay Raut pic.twitter.com/NeLkBZ1JnV
— ANI (@ANI) May 26, 2020
सोशल मीडिया पर कई विश्लेषक भाजपा की सत्ता में वापसी की बातें भी कर रहे हैं। जिस तरह से मध्य प्रदेश में कमलनाथ सरकार को अपदस्थ कर के शिवराज सिंह चौहान मुख्यमंत्री बने, अगर महाराष्ट्र में फिर से देवेंद्र फडणवीस की वापसी हो जाए तो इसमें आश्चर्य नहीं। शिवसेना बार-बार सफाई दे रही है कि सरकार मजबूत है। संजय राउत ने सफाई दी है कि जिस तरह कोरोना की वैक्सीन नहीं आई है, उसी तरह उद्धव सरकार को गिराने का तोड़ भी विपक्ष के पास नहीं है।
उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र को अस्थिर करने का प्रयास सफल नहीं होगा और विरोधियों को खुद ही क्वारंटाइन हो जाना चाहिए। यहाँ ये सवाल उठता है कि आखिर कौन महाराष्ट्र सरकार को अस्थिर करना चाह रहा है? राउत ने ये भी कहा कि अस्थिरता को लेकर झूठी ख़बर फैलाई जा रही है, फिर उन्होंने ही कहा कि अस्थिर करने के प्रयास कामयाब नहीं होंगे। उद्धव और पवार की बैठक क़रीब डेढ़ घंटे तक चली।
हाल ही में शरद पवार ने आरोप लगाया था कि राज्यपाल कोश्यारी सरकार के कामकाज में कुछ ज्यादा ही दखल दे रहे हैं। वहीं फडणवीस ने माँग की थी कि उद्धव ठाकरे की सरकार कोरोना से लड़ने में कदम विफल रही है, इसीलिए राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाया जाए। फ़िलहाल कोई भी नेता इस पर कुछ बोलने को तैयार नहीं है कि पवार-उद्धव और पवार-कोश्यारी की बैठक के दौरान किन मुद्दों पर चर्चा हुई।