महाराष्ट्र में 23 नवंबर को राष्ट्रपति शासन हटने के बाद तड़के सुबह भाजपा नेता देवेंद्र फडणवीस ने एनसीपी से बगावत करने वाले अजित पवार की मदद से मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। हालाँकि, शरद पवार भतीजे को वापस अपने कुनबे में लाने में कामयाब हुए। अजित पवार के बगावत के बारे में एनसीपी अध्यक्ष ने कहा कि इसका कारण कॉन्ग्रेस है। बकौल पवार, कॉन्ग्रेस सरकार गठन पर हो रही बातचीत को काफ़ी लम्बा खींच रही थी, इसलिए अजित ने चिढ कर भाजपा के साथ जाने का फ़ैसला लिया। उन्होंने स्पष्ट कहा कि कॉन्ग्रेस पार्टी की चिढ़ के कारण अजित ने बगावत की।
शरद पवार ने बताया कि अजित मानते थे कि कॉन्ग्रेस बातचीत को कुछ ज्यादा ही लम्बा खींच रही है और शिवसेना विचार-विमर्श में ठीक से हिस्सा नहीं ले रही है। शरद पवार ने चौंकाने वाला खुलासा करते हुए बताया कि उन्हें पता था कि अजित पवार और देवेंद्र फडणवीस की बातचीत चल रही है। हालाँकि, पवार ने यह भी कहा कि उन्हें इसका तनिक भी आभास नहीं था कि अजित भाजपा से जा मिलेंगे। शरद पवार ने बताया कि फडणवीस के शपथ लेने से 1 दिन पहले 22 नवंबर की शाम को हुई बैठक में कॉन्ग्रेस से काफ़ी गर्मागर्म बहस हुई थी।
अजित पवार उस बैठक में हुई बातचीत से काफ़ी नाराज़ थे। वो चिढ़ गए थे। शरद पवार ने आगे बताया कि कॉन्ग्रेस अपने लिए अधिक संख्या में मनपसंद मंत्रालयों की माँग कर रही थी। शरद पवार उस बैठक से निकल गए थे। उसके बाद अजित पवार भी गुस्से में उस बैठक से निकल गए थे और उन्होंने एनसीपी नेताओं से कहा कि वो शायद इस तरह से काम करने में सक्षम नहीं हो पाएँगे। उसी रात देवेंद्र फडणवीस के साथ उनकी बैठक हुई। शरद पवार ने इस बात को नकार दिया कि उनके इशारे पर ही अजित ने फडणवीस को समर्थन दिया था।
गठबंधन के लिए भाजपा की बजाय शिवसेना को तरजीह देने के सवाल पर शरद पवार ने कहा कि भाजपा के मुक़ाबले शिवसेना के साथ काम करना ज्यादा आसान है। शरद पवार ने कहा कि वो शिवसेना के साथ गठबंधन करने को तभी राज़ी हुए जब उन्हें पक्का यकीन हो गया कि ठाकरे सरकार कहीं भी हिंदुत्व को बीच में लेकर नहीं आएगी। शरद पवार ने यह भी माना कि पार्टी में उनके भतीजे की पकड़ ख़ासी मजबूत है। पवार ने कहा कि अजित की बगावत के बाद उनसे मुलाकात हुई तो उन्हें अपनी ग़लती का एहसास हो गया और उन्होंने अपना फ़ैसला बदल लिया।
हालाँकि, शारद पवार इस सवाल से कन्नी काट गए कि अजित नई सरकार में उपमुख्यमंत्री का पद संभालेंगे या नहीं? उन्होंने कहा कि एनसीपी, कॉन्ग्रेस और शिवसेना की गठबंधन में ‘पूर्ण समझदारी’ है और सरकार 5 वर्ष का कार्यकाल पूरा करेगी।